सेवा में, 27-10-2022
माननीय प्रधानमंत्री महोदय prank-01/21
भारत सरकार
द्वारा
उपायुक्त महोदय
खूंटी जिला
झारखंड
विषय- प्रोपटी/ संपति कार्ड नहीं चाहिए-आदिवासी-मूलवासी किसानों के परंपरागत अधिकार सीएनटी एक्ट, एसपीटी एक्ट, मुंडारी खूंटी अधिकार एवं 5वीं अनुसूचि को कड़ाई से लागू किया जाए। इसलिए खूंटी जिला में संपति कार्ड बनाने के लिए प्रस्वाति ड्रोन सर्वेक्षण को रोका जाए।
महाशय
इतिहास गवाह है कि झारखंड में जल, जंगल, जमीन को आबाद करने का आदिवासी-मूलवासी किसान समुदाय का अपना गैरवशाली इतिहास है। आदिवासी समुदाय खतरनाक जंगली जानवरों से लड़ कर जंगल-झाड़ को साफ कर गाॅंव बसाया, जमीन आबाद किया है। आदिवासी-मूलवासी किसान समुदाय जंगल, नदी, पहाडों की गोद में ही अपने इतिहास, भाषा-संास्कृति, पहचान के साथ विकसित होता है। प्रकृतिक-पर्यावरण जीवन मूल्य के साथ आदिवासी -मूलवासी समुदाय के ताना-बाना को संरक्षित और विकसित करने के लिए ही छोटानापुर काश्तकारी अधिनियम 1908, संताल परगना काश्तकारी अधिनियम 1949 बनाया गया है। साथ ही भारतीय संविधान में पेसा कानून 1996 एवं पांचवी अनुसूचि में आदिवासी समुदाय के जल, जंगल, जमीन पर इनके खूंटकटी अधिकार सहित अन्य परंपरागत अधिकारों का प्रावधान किया गया है।
सर्व विदित है कि आदिवासी समुदाय के जंगल, जमीन, सामाजिक-संस्कृतिक, आर्थिक आधार को संरक्षित एवं विकसित करने के लिए भारतीय संविधान में विशेष कानूनी प्रावधान किये गये हैं। सीएनटी, एसपीटी एक्ट, पेसा कानून में विशेष प्रावधान है कि गांव के सीमा के भीतर एवं बाहर जो प्रकृतिक संसाधन है जैसे गिटी, मिटी, बालू, झाड़-जंगल, जमीन, नदी-झरना, सभी गांव की सामुदायिक संपति है। इस पर क्षेत्र के ग्रामीणों का सामुदायिक अधिकार है।
ये सभी सामुदायिक अधिकार को सीएनटी एक्ट, एसपीटी एक्ट, पेसा कानून, कोल्हान क्षेत्र के लिए विलकिनसन रूल, मुंडारी खूुंटकटी अधिकार में कानूनी मन्यता मिला हुआ है। ये सभी अधिकार आदिवासी समुदाय के लंबे संघर्ष और शहादत के बाद मिला है।
खतियान एवं वीलेज नोट में दर्ज सामुदायिक एवं खूंटकटी अधिकार को बचाना जगरूक नागरिकों के साथ राज्य की कल्याणकारी सरकार की भी जिम्मेदारी है।
वर्तमान में लाया जा रहा स्वामित्व योजना, आदिवासी सामुदाय के जल, जंगल, जमीन के सामुदायिक अधिकार को खत्म करेगा, सामाजिक, संस्कृतिक, आर्थिक तौर प्रतिकुल असर डालेगा। ग्रामीणों के सामुदायिक जमीन का मौद्रिकरण किया जाएगा, इससे ग्रामीण क्षेत्र के जमीन का व्यवसायीकरण को बढ़ावा दिया जाएगा। इसे ग्रामीणों पर टैक्स का बोझ बढेगा। जमीन, जंगल सहित अन्य सभी संसाधनों के खरीद-फरोक्त, एंव लूट-भ्रष्टाचार को बढ़ावा मिलेगा।
इस तरह से आदिवासी समाज का सुरक्षा कवच सीएनटी, एसपीटी एक्ट स्वतः टुटने लगेगा, पेसा कानून में मिला अधिकार खत्म हो जाएगा, मुंडारी खूंटकटी अधिकार खत्म हो जाएगा। परिवार और समाज में अशांति बढ़ेगा। इससे उत्पन्न परिस्थ्यिों से विस्थापन, पलायन, बेरोजगारी, भूख, भूमिहीन, अस्वस्थ्य, सूखा-आकाल एवं प्रदूषण जैसे महामारी का ही सामना करना पड़ेगा।
हमारी मांगें हैं-
1-केंन्द्र सरकार की नयी स्वामीत्व योजना /प्रोपटी/संपति कार्ड, को धरातल पर लागू नहीं किया जाए।
2-सीएनटी एक्ट, एसपीटी एक्ट, मुंडारी खूंटकटी एवं 5वीं अनुसूची में प्रावधान कानून को कड़ाई से लागू किया जाएं एवं आदिवासी-मूलवासी समुदाय के सामुदायिक अधिकारों को संरक्षित किया जाए।
3-तीनों नये कृषि कानून को रदद किया जाए
4-गैर मजरूआ आम, गैर मजरूआ खास जमीन, को भूमि बैंक में शामिल किया गया है को रदद किया जाए।
5-क्षेत्र के सभी जलस्त्रोतों, नदी-नाला का पानी लिफट ऐरिगेशन के तहत पाइप लाइन द्वारा किसानों के खेतों तक पहुंचाया जाए।
6-आॅनलाइन जमीन के दस्तावेजों का हो रहा छेड़-छाड़ एवं जमीन का हेरा-फेरी बंद किया जाए।
7-किसानों द्वारा लिया गया कृषि लोन माफ किया जाए।
निवेदक-आदिवासी-मूलवासी अस्तित्व रक्षा मंच
मुंडारी खूंटकटी परिषद
आदिवासी एकता मंच
ग्राम सभाएं
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