झारखण्ड का धरोहर -झारखण्ड -की धरती में जो भी है, चट्टान , पहाड़ , जंगल , झाडी , पेड़ , पौधा , घांस , झाड़ , लत्तर , फूल , पत्ता , नदी , नाला , गाढ़ा , ढोड़हा , बालू , सभी सभी हमारा धरोहर है। यही गांव देवी -देंवता हैं , यही मरांग बुरु , हुडिंग बुरु , बड़पहाडी , बुरु बोंगा भी है। इसके साथ समाज का अधयत्मिक संबंद है। यही खान -खनिज , हिरा, सोना भी है , यही झारखंडी आदिवासी समाज का इतिहास , भाषा -संस्कृति , भी है। यही पर्यावरण भी है. यही कारन है की आदिवासी समाज अपने इस सह अस्तित्वा को सम्पति नहीं , धरोहर मानते हैं. यह पूरा गांव का है. सीएनटी एक्ट , एसपीटी एक्ट कानून के तहत एवं सविधान के पांचवी अनुसूची के तहत इस पर पुरे गांव का मालिकाना हक़ है।
दूसरी तरफ -पूंजी आधारित अर्थबवस्थ में यह दूसरे समादाय के लिए यह पूंजी निवेश कर मुनाफा कमाने का साधन है। उनके लिए सिर्फ मुनाफा कामना ही मुख उदेस्य होता है। आदिवासी सामाजिक मान्यताओं और बाजार की मान्यताओं में बिलकुल अलग है. जो एक दूसरे से टकराते हैं.
नदी , झील , झरना , जंगल , पह्ड़ एक दूसरे के पूरक हैं. इसके साथ ही जंगली जानवर, सांप , बीछू , पशु , पक्छी , सहित प्रकृति के साथ जीने -मरने वाले सभी जीव -जंतु पर्यावरण के प्रमुख आंग हैं. इसमें कोई भी कमजोर हो जाता है, तो इसका प्रतिकूल असर पर्यावरण पर पड़ता है. संतुलित पर्यावरण के लिए जरुरी है सभी पहलु या अंग का संग्रक्षण करना.
आदिवासी समाज का नदी , झील, झरना के साथ भी अध्यात्मिक संबंद है . इकिर बोंगा , गडा बोंगा , लगे एरा जल भगवन हैं. , आदिवासी समाज प्राकृतिक पूजक हैं..
दूसरी तरफ -पूंजी आधारित अर्थबवस्थ में यह दूसरे समादाय के लिए यह पूंजी निवेश कर मुनाफा कमाने का साधन है। उनके लिए सिर्फ मुनाफा कामना ही मुख उदेस्य होता है। आदिवासी सामाजिक मान्यताओं और बाजार की मान्यताओं में बिलकुल अलग है. जो एक दूसरे से टकराते हैं.
नदी , झील , झरना , जंगल , पह्ड़ एक दूसरे के पूरक हैं. इसके साथ ही जंगली जानवर, सांप , बीछू , पशु , पक्छी , सहित प्रकृति के साथ जीने -मरने वाले सभी जीव -जंतु पर्यावरण के प्रमुख आंग हैं. इसमें कोई भी कमजोर हो जाता है, तो इसका प्रतिकूल असर पर्यावरण पर पड़ता है. संतुलित पर्यावरण के लिए जरुरी है सभी पहलु या अंग का संग्रक्षण करना.
आदिवासी समाज का नदी , झील, झरना के साथ भी अध्यात्मिक संबंद है . इकिर बोंगा , गडा बोंगा , लगे एरा जल भगवन हैं. , आदिवासी समाज प्राकृतिक पूजक हैं..
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