गांव की अपनी जिंदगी , अपने तरह से जीने की शैली है. गांव -किसान अपना बैल , गाय , भैंस को बरसात के समय घांस खिलने के लिए लकड़ी का मचान बना रखा है. बरसात के समय पशु को जमीन में घांस नहीं दिया जाता है, जमीन पैर देने से घांस बालू और मिटटी हो जाने से पशु उससे नहीं कहते हैं,
फुर्सत में हैं बच्चे --बताये स्कूल से लौट कर खेत में काम करने जाते हैं, गाय , बैल भी चराने जाते हैं, फुर्सत में गुलेल से निशाना भी साधते है,
अपने गांव में अपने तरह की जिंदगी.. जंगल जमीन, नदी पहाड़ के साथ जीने की अपने कला, अपनी संस्कृति
फुर्सत में हैं बच्चे --बताये स्कूल से लौट कर खेत में काम करने जाते हैं, गाय , बैल भी चराने जाते हैं, फुर्सत में गुलेल से निशाना भी साधते है,
अपने गांव में अपने तरह की जिंदगी.. जंगल जमीन, नदी पहाड़ के साथ जीने की अपने कला, अपनी संस्कृति
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