Sunday, June 29, 2014

यह निश्चित रूप में अंग्रेज सरकार के समय ही लगायी गयी थी ताकि यात्रा करते समय यात्री फल भी खा संके और धुप के दिन छाया भी मिल सके. निश्चित रूप इस मामले में अंग्रेज सरकार रोड को केवल गाड़ी दौडने के लिए नहीं बनती थी, लेकिन आम यात्रिओं के भोजन-पानी, के साथ और भी बुनियादी जरूरतों के साथ जोड़ कर देखती थी।

बिकास कर नाम पर उजड़ता पर्यावरण 
बिकास कर नाम पर उजड़ता पर्यावरण --सरकार राज्य में बिकास के नाम पर सैकड़ो सड़कें बन रही है, दर्जनो हाईवे बन राहे हैं।  इसके लिए लाखों पेड़ -पौधे, जंगल झाड़ कटे जा रहे हैं ,  विदित हो की जितने भी सड़कें  हैं - इन सड़कों के किनार दोनों ओर फलदार और छायादार पेड़ लगाये  हैं।  यह निश्चित रूप में अंग्रेज सरकार के समय ही लगायी गयी थी ताकि यात्रा करते समय यात्री फल भी खा संके और धुप के दिन छाया भी मिल सके. निश्चित रूप इस मामले में अंग्रेज सरकार रोड को केवल गाड़ी दौडने के लिए नहीं बनती थी, लेकिन आम यात्रिओं के भोजन-पानी, के साथ और भी बुनियादी जरूरतों के साथ जोड़ कर देखती थी।  
लेकिन आज हमारी सरकार रोड के किनारे सॉ साल से खड़े बिशाल पेड़ों को रोड चुड़ीकरण करण के नाम पर लाखों पेड़ों को काट कर खत्म कर दे रही है ,,जिससे पर्यावण की आपुनिये छाती हो रही है।इसे सिर्फ आम लोगों का ही केवल हानि नहीं है लेकिन। .पूरी पर्यावरण को उजाड़ने की साजिश ही है 

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