झारखण्ड में कम्पनी राज --जरा यंहा देखिये -क्या हो रहा है-आप के राज में
झारखंड राज्य का मालिक अब राज्य सरकार नहीं है-राज्य का मालिक देशी -बिदेशी कंपनियां हैं, जो राज्य सरकार को चला रही है। कंपनियों के आगे सरकार का नियम-कानूनी कुछ भी नहीं चलता है -कंपनियां सरकार के नियम कानून का धजियाँ उड़ा रही हैं-लेकिन सरकार लाचार है, बेचारी है-कंपनी पर कोई कार्रवाई नहीं कर सकती है।
यह सर्वविदित है कि-जो लोग सरकार को यह बताने की कोशिश करते हैं-कि कंपनी वाले, पूजिपति संवैधानिक कानूनों को तोड़ कर जबरन आदिवासीयों-मूलवासियों, किसानों को जल-जंगल-जमीन कब्जा कर रहे हैं-इसे रोका जाए, इस तरह के सवाल उठाने वालों को सरकार, कंपनी और जमीन दलाल-माफिया मिल कर उग्रवादी, उपद्रावी, राजद्रोही, विकास विरोधी कराक दे कर फर्जी मुकदामा लगा कर जेल में बंद कर देते हैं।
कंपनी को अभी तक-1-कोयला माइंस का क्लीयरेंस नहीं मिला है
2-प्लांट लगाने के लिए 2400 एकड़ जमीन कंपनी ने गैर कानूनी तरीके से कब्जा किया है, इसमें 139 एकड़ वन भूमिं है-वन विभाग ने इसका एनओसी अभी तक नहीं दिया है
3-आयरन ओर के लिए आवंटित कोदलीबाद माइंस के लिए दी गयी क्षतिपूर्ति वन भूंमि पिछले एक साल से लंबित है।
4-उत्पादन आरंभ करने के लिए 9.9.2011 को ही कंसेट टू आपरेट का आवेदन झारखंड राज्य प्रदूषण नियंत्रण पर्षद के पास लंबित है।
छूसरी ओर इलेक्ट्रो स्टील कंपनी 2006 से ही कोयला माइंस भी चला रही है और 6 एमटी वाला स्टील करखाना भी 2007 से निर्माण कार्य शुरु किया जो 2012 से उत्पादन भी प्ररंभ कर दिया ।
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