भूमि अधिकार आन्दोलन
कृषि संकट, पशु अर्थव्यवस्था पर हमले तथा मुस्लिम, दलित और अल्पसंख्यकों की भीड़ द्वाराहत्याओं के खिलाफ राष्ट्रीय सम्मेलन
किसान विरोधी नीतियों को लागू करने वाली सरकारों के खिलाफ संघर्ष का संकल्प
नई दिल्ली | 20 मार्च 2018: भूमि अधिकार आन्दोलन द्वारा कृषि संकट, पशु अर्थव्यवस्था पर हमले तथामुस्लिम, दलित और अल्पसंख्यकों की भीड़ द्वारा हत्याओं के खिलाफ राष्ट्रीय सम्मेलन के पहले दिन देश भर सेआये विभिन्न जनसंगठनों और किसान संगठनों ने देश की ग्रामीण क्षेत्रों की भयावह स्थिति को सामने रखते हुएकेंद्र सरकार की किसान विरोधी नीतियों के खिलाफ संघर्ष करने का संकल्प लिया। वक्ताओं ने अखिल भारतीयकिसान सभा द्वारा मुंबई किसानों के लॉन्ग मार्च के चलते किसानों के बीच पैदा हुए उत्साह का उल्लेख बार-बारकिया। वक्ताओं ने यह विश्वास व्यक्त किया कि भूमि अधिकार आन्दोलन जिस तरह सरकार को भूमि अधिग्रहणबिल को पारित करने से रोकने में कामयाब रहा था उसी तरह गाय की खरीद बिक्री को लेकर सरकार द्वारा बनायेगए कानून को बदलने में कामयाब होगा। पहले सत्र का संचालन बीजू कृष्णन तथा दूसरे सत्र का संचालन विमलभाई ने किया। पहले सत्र में प्रेम सिंह गहलावत, अखिल भारतीय किसान महासभा, जयकरण सिंह अखिल भारतीयकिसान खेत मजदूर संगठन आदि साथियों ने अपने विचार रखे।
मेवात को जानिए सत्र में मौलाना हनीफ और सिफत मेनेजर ने मेवात की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि और वर्तमानस्थिति पर अपनी बात रखी। दूसरे सत्र में आल इंडिया यूनियन आफ फारेस्ट वर्किंग पीपल के अशोक चौधरी,सिटीजंस फॉर जस्टिस एंड पीस की तीस्ता सीतलवाड़, माइनॉरिटीज कोरडीनेशन कमिटी के मुजाहिद नफीस, अखिलभारतीय किसान खेत मजदूर संगठन के सत्यवान जी, अग्रगामी किसान सभा के शिवनारायण जी, आदिवासीमूलनिवासी अस्तित्व रक्षा समिति की दयामनी बारला, लोक शक्ति अभियान के सामंत रे, विलास भोंगाड़े, जेएनयुके प्रोफेसर विकास रावल, प्रीत सिंह, छगन चौधरी तथा इंसाफ के वीरेंद्र विद्रोही ने अपने विचार रखे। कामरेड रमेशपाल ने क्रांति गीत प्रस्तुत किये।
सम्मेलन में हरियाणा और राजस्थान में गोरक्षा के नाम पर की गयी हत्याओं की जाँच रिपोर्ट भूमि अधिकारआन्दोलन द्वारा जारी की गयी तथा जाँच रिपोर्ट की सिफारिशों को सरकार से लागू करने की मांग की गयी जिसमेंगोरक्षा के नाम पर हुए सभी हत्याओं के दोषियों को तुरंत गिरफ्तार करने, पीड़ित परिवारों को एक करोड़ रूपयादेने आदि सिफारिशें की गयी। सम्मेलन को सांसद बदरुद्दुजा खान, के. के. रागेश ने सम्बोधित करते हुए जांच दलके अनुभवों को साझा किया।
सभा की शुरुआत करते हुए और भूमि सुधार आन्दोलन के बारे में बताते हुए हन्नान मोल्लाह जी, ने अपनी बातरखते हुए कहा कि भूमि अधिकार आन्दोलन में जन संगठनों, सामाजिक संगठनों और जन आंदोलनों का समावेशहै। मोदी सरकार के आने के बाद से किसान विरोधी जो नीतियाँ बनाने की शुरुआत हुई, उसके बाद यह संगठनखड़ा किया. 2013 में
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