राज्य में इमली का उत्पादन दो लाख टन......
वनोपज पर जान जातीय समाज
महुआ का सालाना उल्पादन भी दो लाख टन
जनजातीय समुदाय का जीविकांपार्जन लघु वनोपज पर निर्भर है। राज्य की कुल 86.45 लाख जनजीतीय आबादी की एक बड़ा हिस्सा जंगलों से इन्हें इकठा करता है। गौरतलब है कि राज्य के लगभग 80 हजार वर्ग किलोमीटर क्षेत्रफल में से 23605 वर्ग किमी( 29.6) फीसदी में जंगल है।
चतरा, कोडरमा और पलाूमू जिले का 40 फीसदी से अधिक भाग जंगल है। झारख्ंड स्टेट माइनर फारेस्ट प्रोडयूस को-आॅपरेटिव डेवलपमेंट एंड मार्केंटिंग (झामकोफेड) की रिपोट के मुताबिक लघु वनोपज के कुल टर्न ओवर में करीब 75 फीसदी योगदान अकेले केंन्दू पता का है।
हालांकि राज्य में केंन्दू पता का कुल उत्पादन कितना है, यह आंकड़ा झामकोफेड के पास नहीं है। यहां विभिन्न लघु वनोपज के सालाना उत्पादन का जिक्र किया जा रहा है।
विभिन्न वनोपज व उत्पादन(स्त्रोत झामकोफेड)
वनोपज सालाना उत्पादन उपयोग
इमली---- दो लाख टन----- बगैर बीज की पैकिंग व पेस्ट
महुआ---- दो लाख टन---- शराब (इसका उपयोग भोजन और दवा के रूप में आदिवासी मूलवासी समाज करता है , लेकिन सरकार इसे सिर्फ शराब के उपयोग में दिखती है जो गलत है )
साल बीज--- एक लाख टन--- तेल व साबुन(, हवाई जहाज ग्रीस)
डोरी ----20 हजार टन--- तेल व साबुन
कुसुम---- 10 हजार टन--- तेल व साबुन
करंज बीज --5 हजार टन-- एंटीबायोटिक तेल, मलहम स स्प्रे
जामुन---- 5 हजार टन ---- पल्प, सिरप, व पाउडर
चिरौंजी 2 हजार टन ड्राई फ्रुट
हर्रा--- 2 हजार-- दवा
आवंला---- 2 हजार टन--- पावडर, मुरब्बा, त्रिफला, अचार
बहेरा -----2 हजार टन --- त्रिफला
चिरैता---- 2 हजार टन----- एंटिबायोटिक पावडर
पलाश फूल, बीज---- 1 हजार टन---- जैविक रंग, दवा
नीम बीज, पता, फूल, छल ---500 टन--- तेल, साबुन, दवा
सर्पगंधा---- 500 टन--- दवा
अष्गंधा---- 500 टन--- दवा
सतावरी----- 200 टन--- दवा
शहद ------- 100 टन--- दवा,खाद्य
केंन्दू पता, फल,---- उपलब्ध नहीं--- बीड़ी(सरकार के अनुसार उपलब्ध न`ही है` , सभी जानते हैं की हर साल हजारो ट्रक केन्दु पता झारखण्ड के बिभिन् छेत्रो से निकलता है।
वनोपज पर जान जातीय समाज
महुआ का सालाना उल्पादन भी दो लाख टन
जनजातीय समुदाय का जीविकांपार्जन लघु वनोपज पर निर्भर है। राज्य की कुल 86.45 लाख जनजीतीय आबादी की एक बड़ा हिस्सा जंगलों से इन्हें इकठा करता है। गौरतलब है कि राज्य के लगभग 80 हजार वर्ग किलोमीटर क्षेत्रफल में से 23605 वर्ग किमी( 29.6) फीसदी में जंगल है।
चतरा, कोडरमा और पलाूमू जिले का 40 फीसदी से अधिक भाग जंगल है। झारख्ंड स्टेट माइनर फारेस्ट प्रोडयूस को-आॅपरेटिव डेवलपमेंट एंड मार्केंटिंग (झामकोफेड) की रिपोट के मुताबिक लघु वनोपज के कुल टर्न ओवर में करीब 75 फीसदी योगदान अकेले केंन्दू पता का है।
हालांकि राज्य में केंन्दू पता का कुल उत्पादन कितना है, यह आंकड़ा झामकोफेड के पास नहीं है। यहां विभिन्न लघु वनोपज के सालाना उत्पादन का जिक्र किया जा रहा है।
विभिन्न वनोपज व उत्पादन(स्त्रोत झामकोफेड)
वनोपज सालाना उत्पादन उपयोग
इमली---- दो लाख टन----- बगैर बीज की पैकिंग व पेस्ट
महुआ---- दो लाख टन---- शराब (इसका उपयोग भोजन और दवा के रूप में आदिवासी मूलवासी समाज करता है , लेकिन सरकार इसे सिर्फ शराब के उपयोग में दिखती है जो गलत है )
साल बीज--- एक लाख टन--- तेल व साबुन(, हवाई जहाज ग्रीस)
डोरी ----20 हजार टन--- तेल व साबुन
कुसुम---- 10 हजार टन--- तेल व साबुन
करंज बीज --5 हजार टन-- एंटीबायोटिक तेल, मलहम स स्प्रे
जामुन---- 5 हजार टन ---- पल्प, सिरप, व पाउडर
चिरौंजी 2 हजार टन ड्राई फ्रुट
हर्रा--- 2 हजार-- दवा
आवंला---- 2 हजार टन--- पावडर, मुरब्बा, त्रिफला, अचार
बहेरा -----2 हजार टन --- त्रिफला
चिरैता---- 2 हजार टन----- एंटिबायोटिक पावडर
पलाश फूल, बीज---- 1 हजार टन---- जैविक रंग, दवा
नीम बीज, पता, फूल, छल ---500 टन--- तेल, साबुन, दवा
सर्पगंधा---- 500 टन--- दवा
अष्गंधा---- 500 टन--- दवा
सतावरी----- 200 टन--- दवा
शहद ------- 100 टन--- दवा,खाद्य
केंन्दू पता, फल,---- उपलब्ध नहीं--- बीड़ी(सरकार के अनुसार उपलब्ध न`ही है` , सभी जानते हैं की हर साल हजारो ट्रक केन्दु पता झारखण्ड के बिभिन् छेत्रो से निकलता है।
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