Saturday, May 20, 2023

हां आशा है आगे जाकर फिर मुलाकात होगी।

 जिंदगी एक नदी की धारा है। हजारों चट्टानों से टकराते फुहारों में बिखरते-समेटते कल कल करते अपना रास्ता बनाते आगे बढ़ते परिचित - अपरिचित कई छोटी बड़ी धाराओं से मिलती हैं। UMASS LOWELL University of Massachusetts द्वारा GREELEY Scholar for Peace Studies 2023 के लिए चुने जाने के बाद America -Bostan में रहते हुए मैंने महसूस किया की कई छोटी बड़ी नदियों का संगम हो रहा है।

बोस्टन में प्रोफेसर उर्मी जी और कौशिक ने तय कर लिए थे की मैं उनके साथ रहूंगी। एक दूसरे से अनजान, लेकिन अहसास में अपनापन। उर्मी जी UMASS LOWELL University की प्रोफेसर, कौशिक दूसरे बड़े University में मानव cell संबंधित रिसर्च जॉब में।
प्रतिदिन सुबह अदरक वाली गर्म चाय कौशिक बना कर पिलाते हैं। कप खाली होने पर वे छूने भी नहीं देते, मन में झिझक होती थी की.. अपना खाया -प्लेट और कप नहीं धो पा रही थी। जब भी बर्तन पर हाथ डालने की कोशिश करती कौशिक मना कर देते। खुद खाएं या न खाएं पर आप को खिलाएंगे ही। मन से लेकर घर का कोना - कोना खुला खुला सा था। कॉलेज जाते समय बात चीत के सिलसिले में मेरे मन में चल रहे सोच जुबान पर आ गई निकले।
अच्छा आप अपना घर -प्यार हमारे जैसे लोग के लिए खुला रखे हैं , ऐसा... ! ! मेरे मन की.. बात समझते हुए….. प्रोफेसर उर्मी जी गाड़ी का इस्टेयरिंग संभालते... गाड़ी बढ़ते…कहती है . मेरे पिताजी उत्पल रंजन दाता Tura Govt. Collage के प्रोफेसर थे। बहुत सारे कॉलेज के बच्चे उनके पास पढ़ने के लिए आते थे। पिताजी बच्चों को मुफ्त में पढ़ाते थे, बच्चों से कहते थे जब भी तुम लोग आना चाहो तुम लोग आ सकते हो।
कहती है - मेरी मां भी स्कूल मैं टीचर थी । मेरे साथ पढ़ने वाले कोई भी बच्चा अगर मुझसे किताब पढ़ने के लिए मांगते, तो मेरी मां कहती थी तुम उसको किताब दे दो। उसको भी पढ़ने दो तुम्हारे पास तो किताब रहेगा तुम जब चाहोगे तब पढ़ लोगे। कभी-कभी परीक्षा के बीच भी मेरे साथ पढ़ने वाले साथी मुझसे किताब मानते थे, तो मेरे माता - पिता बोलते थे तुम उससे किताब दे दो तुम तो पढ़ ली हो उसको भी पढ़ने दो। मैं देखी हूं सभी पढ़ने वाले बच्चों के लिए मेरा मां-बाप का दरवाजा हमेशा खुला रहता था।
मेरी मां Jayanti Dutta school teacher थी। 2000 में उन्होने Denovo School Tura खोली, ताकि गरीब परिवार के बच्चे भी पढ़ सकें। प्रोफेसर बताती हैं हम कभी घर में नहीं खेले। हमेशा पेड़ के नीचे साथियों के साथ खेलते थे। कभी कभी पेड़ पर बैठे रहते थे साथियों के साथ। घर से यूनिवर्सिटी तस्तरी रास्ता हम दोनों के बीच चाचा चलते रही।
एक दिन सुबह कौशिक ने बताए मेरी मां आने वाली है। उसके लिए कमरा ठीक करना है। 10 अप्रैल को कौशिक की मां आई। मिलनसार और मृदुभाषी। मूल भाषा तमिल है लेकिन हिंदी भी अच्छी तरह बोलती हैं। बात चीत में पता चला कि वह एक महीने से अमेरिका के 8 स्थानों में अपनी टीम के साथ तमिल लोक संगीत कार्यक्रम दे चुकीं हैं। अब भारत लौटने की तैयारी है।
Sudha Ragunathan सुप्रशिद तमिल लोक गायिका हैं। बचपन से ही गाती हैं। Sudhaji के सरल व्यवहार से लगता ही नहीं है कि ये इतनी बड़ी लोक कलाकार हैं। कई तरह पुरस्कार से सम्मानित की गई हैं। हमारे देश के तीन राष्ट्रपति स्वर्गीय dr. अब्दुल कलाम, प्राणव मुखर्जी और बर्तवान राष्ट्रपति श्रीमति द्रौपदी मुर्मू जी के हाथों सम्मानित हो चुकी हैं। मेरा सौभाग्य रहा की आप के साथ और आप के परिवार के साथ रहने का मौका मिला।
जब परिवार से अलग हो रहे थे... हम सभी भाऊक थे.. एक दूसरे को देख रहें थे... संत थे…. मन.. बोलना चाह रहा था... सही में जिंदगी नदी की धारा है, बहते बहते कई छोटे बड़े नदियों से जा मिलता है, कुछ दूर साथ चलने के बाद फिर से कई धाराओं में बंट जाती है और आगे बढ़ती है... हां आशा है आगे जाकर फिर मुलाकात होगी।
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