Sunday, February 26, 2023

यह तस्बीर बिता इतिहास बन गया है

यह तस्बीर बिता इतिहास बन गया है यह तस्बीर लोधमा रोड जाने पर सिठियो के पहले खेत था। जहां किसान धान की खेती करते थे। आदिवासी, मूलवासी किसान समुदाय जानते हैं कि खेत-टांड में मुसा-गुडु, चुहा रहते हैं। ये किसानों के खेत के फसलों को खाते हैं साथ ही फसलों की बालियों को अपने बिलों में भंण्डारन/एकठा करते हैं भविष्य के लिए। यह भी सर्वविदित हैं कि आदिवासी, मुलवासी, दलित समुदाय इन मुसा, गुडु, चुहा का शिकार करते हैं और खाते हैं। जब किसान खेत से धान, गेंहू काट लेते हैं, तब बच्चे खेतों में इन मुसा, गुडु का बिल तलाशते हैं। बिल मिल लाता जाता है, तब उनको निकालने के लिए कुदाल से खोदते और उसे निकालते हैं। निकालते समय ध्यान देना होता है कि बिल का मुख्या रास्ता के अलावा और किधर रास्ता है। जहां से वे खोदते समय भाग सकत हैं। उन सहायक बिल के रास्तों को बंद किया जाता है। तब खोदना शुरू करते हैं। म्ुसा-गुडु, चुहा को मार कर बच्चे मिलकर आग में जलाते, बनाते हैं। इनका मांस को बढिया से भुून कर मिल-बैठ कर खाते हैं। इस तस्बीर में गांव के बच्चे का टीम खेत के बिल से मुसा निकालने के लिए खोदने में वयस्थ हैं। करीब 7-8 साल पहले याने रिंग रोड़ बनने के पहले जब मैं इस रास्ते से कर्रा की ओर जा रही थी, मैंने इस तस्बीर को खीचीं। आज यहां खेत गायब हो गया कारण कि यहां का सभी खेत पर रिंग रोड़ बन गया। यहां अब खेत दूर-दूर तक दिखाइ नहीं देता है। गांव दिखाई नहीं देता है। अब सिर्फ दौडती गाडियां ही दिखाई देती है।

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