Saturday, November 5, 2022

धरना का समय - 12 बजे से स्थान-राजभवन के समक्ष

                                           प्रेस विज्ञप्ति

आप सभी जानते हैं कि हमारे पूर्वजों ने संाप, भालू, बाघ, बिच्छू जैसे खुंखार जंगली जानवरों से लड़कर झारखंडी की धरती को आबाद किया है। जब-जब हमारे विरासत पर हमला हुआ, समाज ने संघर्ष किया। आज राज्य बनने के बाद लगातार आदिवासी, मूलवासी समुदाय के उपर चारों ओर से हमला हो रहा है।  राज्य बनने के बाद आज तक राज्य और केंन्द्र में जितने भी संवैधानिक कानूनांे में संशोधन या फेर-बदल किया गया, सभी आदिवासी, मूलवासी, किसान, दलित और मजदूरों के संवैधानिक अधिकार को कमजोर करने का काम किया है। 

केंन्द्र सरकार और पिछली राज्य सरकार ने 2016 में भूमि बैंक बनाया, और 21 लाख एकड़ से अधिक समुदायिक संपत्ति/जमीन को भूमि बैंक में शामिल कर दिया। आज धड़ले से जमीन पर गैरकानूनी कब्जा का धंधा चरम पर है। जमीन का दस्तावेज आॅनलाइन होने के बाद रातों-रात जमीन का असली मालिक का नाम हटा कर किसी दूसरा व्यक्ति का नाम दर्ज किया जा रहा है। जमीन के खतियान जैसे मूल दस्तावेजों में भारी छेड-छोड किया जा रहा है। सरकार द्वारा नित नये कानून लाकर आदिवासी, मूलवासी, किसानों के परंपरागत एवं संवैधानिक अधिकारों को  कमजोर करके पूुजिपतियों और कारपोरेट उद्वोगों के हित को पूरा करने जा रही है।  झारखंड में आदिवासी, मूलवासी समुदाय के जल, जंगल, जमीन का सुरक्षा कवच सीएनटी, एसपीटी एक्ट, 5वीं अनूसूचि क्षेत्र, पेसा कानून में प्रावधान, समुदाय के सभी परंपरागत अधिकारों को तकनीकी रूप से कमजोर किया जा रहा है। 

वर्तमान समय में केंन्द्र सरकार द्वारा लायी जा रही स्वामित्व योजना के तहत प्राॅपटी कार्ड बनाने की प्रक्रिया भी इसका हिस्सा है। जिसके तहत प्रोपाॅटी कार्ड देने के नाम पर आदिवासी मूलवासी, दलित किसान समुदाय के समुदायिक जमीन को सरकार अपने हाथ में लेने की योजना बनायी है। वर्तमान में लाया जा रहा स्वामित्व योजना इसी उद्वेश्य का एक हिस्सा है। इससे सीएनटी एक्ट, एसपीटी एक्ट, 5वीं अनूसूचि, पेसा कानून, मुंडारी खूुटकटटी अधिकार, हो आदिवासी समुदाय के विलकिनसन रूल में प्रावधान परंपरागत समुदायिक अधिकार पूरी तरह समाप्त हो जाएगा। 

 ऐसे समय में कल्याणकारी राज्य के नागरिकों, मानवधिकार के शुभचितकों और आम लोगों की जिम्मेदारी है कि सामाजिक न्याय और राज्य हित में जनविरोधी नीतियों रोका जाए। इसके लिए व्यापक जनहस्तक्षेप की जरूरत है। इसी उद्वेश्य से 7 नवंबर 2022 को राजभवन के समक्ष धरना-सभा करने का निर्णय लिया गया है। धरना सभा में राज्य के विभिन्न ग्रामीण इलाकों के आदिवासी, मूलवासी, दलित किसान समुदाय भाग लेगें।

सभा के बाद-मांग पत्र राज्यपाल के नाम, मुख्यमंत्री के नाम, जनजातिय कल्याण मंत्री के नाम, भूमि सुधार एवं राजस्व विभाग -सचिव के नाम सौपां जाएगा। 

आप सभी जानते हैं कि झारखंड में सीएनटी एक्ट, एसपीटी एक्ट, मुंडारी खूंटकटी एवं 5वीं अनुसूचि क्षेत्र के आदिवासी बहुल जिला खूंटी में प्राॅपटी कार्ड बनाने के लिए ड्रोन से जमीन का सर्वे किया जा रहा था, आदिवासी सामाजिक संगठन लगातार इसका विरोध कर रहे हैं। बगोदर के माले विधायक श्री विनोद कुमार सिंह जी ने 10 मार्च को इस संबंध में विधान खूटी जिला 5वीं अनूसूचि क्षेत्र में आता है, बावजूद इसके ग्राम सभा की सहमति के बिना ही स्वामित्व योजना के तहत संपत्ति/जमीन का ड्रोन से सर्वे किया जा रहा है। इसके जवाब में स्वंय मुख्यमंत्री श्री हेमंत सोरेन ने कहा-खूंटी जिले के ग्रामीण क्षेत्रों में स्वामित्व योजना के तहत संपत्ति और जमीन का डिजिटल सर्वे डा्रेन के जरिए  हो रहा था। यह काम केन्द्र सरकार द्वारा किया जा रहा था। इसको लेकर ग्रामीण क्षेत्रों में संशय की स्थिति है, इसलिए राज्य सरकार इसे फिलहाल होल्ड करने का आदेश देता है। इन्होनें कहा-इस संबंध में जांच करायी जाएगी। बजट सत्र में सीएम के आदेश के तुरंत बाद ड्रोन सर्वे को होल्ड कर दिया गया है। लेकिन यह स्थायी रूप से नहीं। 

आप सभी जानते हैं कि केंन्द्र सरकार डिजिटल इंडिया लैंण्ड रिकाॅर्ड अधुनीकिकरण कार्यक्रम लेकर आयी है। इसके तहत देश भर की सभी संपत्ति और जमीन का स्वामित्व कार्ड बनाने जा रहा है। इसके लिए देश के सभी जमीन व संपत्ति का एक सोफटवेयर और हार्डवेयर तैयार कर रही है। जमीन व संपत्ति का ड्रोन सर्वे इसी प्रकिया के तहत खूंटी जिला के गांवों से शुरू किया गया है। पायलट प्रोजेक्ट के पहला चरण में (2022-22) में खूंटी जिला के 725 गांवों का डिजिटल सर्वे पूरा करने के बाद झारखंड के बाकि जिलों में, दूसरे चरण  2022-23 में 12000 गोवों, तीसरे चरण में 20000 गांवों का ड्रोन डिजिटल सर्वे करके डिजिटल नक्सा, खतियान भी बनाया जाएगा। ड्रोन से जमीन व संपत्ति का डिजिटल सर्वे कर संपत्ति/स्वामित्व कार्ड बनाने का काम 2024 तक पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है। 

झारखंड के आदिवासी समुदाय का अपना विशिष्ट इतिहास है। जंगल-जमीन पर अपना परंपरागत संवैधानिक अधिकार है। स्वामित्व योजना के लागू होने से राज्य के आदिवासी समुदाय के सभी परंपरागत संवैधानिक अधिकार स्वातः खत्म हो जाएगा। इसलिए ड्रोन सर्वे जो होल्ड किया गया है को पूरा तरह रदद किया जाना चाहिए। 

हमारी मांगें-

1-केंन्द्र सरकार द्वारा काॅरपोरेट घराणों एवं पूंजिपतियों के लिए लायी जा रही स्वामित्व योजना के तहत प्राॅपटी/ संपत्ति कार्ड योजना का लागू नहीं किया जाए। 

2-झारखंड में सीएनटी एक्ट, एसपीटी एक्ट, ं 5वीं अनुसूचि एवं पेसा कानून में प्रावधान अधिकारों को कड़ाई से लागू किया जाए। 

3-आदिवासी बहुल खूंटी जिला में प्राॅपटी कार्ड बनाने के लिए ड्रोन से जमीन /संपत्ति का सर्वे किया जा रहा था को होल्ड किया गया है, इसको पूरी तरह स्थायी रूप से रोका जाए। 

 4-रघुवर सरकार ने गैर मजरूआ आम, गैर मजरूआ खास, जंगल-झाड़ी जमीन को भूमि बैंक में शामिल किया है, इस भूमि बैंक को रदद किया जाए। 

5-राज्य के सभी जलस्त्रोंतों, नदी-नाला, झील-झरना का पानी लिफट ऐरिगेशन के तहत पाइप द्वारा किसानों के खेतों तक कृषि विकास के लिए पहुंचाया जाए। 

6-आॅनलाइन जमीन के दस्तावेजों का हो रहा ़क्षेड़-छाड़ को रोका जाए।

7-जमीन का लगान रसीद आॅफलाइन काटा जाए।

8-2013 के जमीन अधिग्रहण कानून को कड़ाई से लागू किया जाए।

9-भूमि बैंक का रदद किया जाए।

10-ग्राम सभा के हक अधिकार, पेसा कानून को कड़ाई से लागू किया जाए।

                     आयोजक-खतियान-जमीन बचाओं संघर्ष मोर्चा झारखंड

घटक संगठन-केंन्द्रीय जनसंघर्ष समिति-लातेहार, गुमला

आदिवासी-मूलवासी अस्तित्व रक्षा मंच

पहाडिया सेवा समिति-साहेबगंज

भूमि बचाव संघर्ष समिति-गोडा

जबड़ा डैम प्रभावित संधर्ष समिति-कर्रा

आजादी बचाओं आंदोलन-हजारीबाग

विस्थापित मुक्ति वाहिनी-चांडिल

आदिवासी जागरूकता मंच-गुमला

आदिवासी एकता मंच 

प्रेस वर्ता में -संयोजक दयामनी बरला, रोनाल्ड रिगन खलखो, कुरदुला कुजूर, टोम, मोनोरेन तोपनो, ंललिता तिग्गा, अरूण तोपनो। 

धरना का समय - 12 बजे से

स्थान-राजभवन के समक्ष



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