आॅनलाईन रैयतों का जमीन गायब हो रहा है, यह सिस्टम किसानों की जीमन लूटने का डिजिटल माॅडल है- सरकार को इस डिलिटल सिस्टम को बदलकर पुरानी व्यवस्था, मेनवली व्यवस्था को पुना स्थापति करना चाहिए। क्योंकि राज्य के 90 प्रतिशत किसान, जमीन मालिक पढ़े-लिखे नहीं हैं, जो आॅनलाईन सिस्टम का समझ नहीं पाते हैं। अब इनके जमीन का मालिक प्रज्ञा केंन्द्र बन गया है। किसानों के हाथ में कुछ भी नहीं है। पहले आंचल कार्याकल के करमचारी, आमीन, सीओं से लड़-झगड़ कर गलतियों को ठीक करवा लेते थे। अब ये आंचल कार्यालय से प्रज्ञा केंन्द्र, यहां से आंचल कार्यालय चक्कर काटते-काटते थक जाते हैं, लेकिन काम नहीं बनता है। यहां सिर्फ तीन-चार किसानों की स्थिति को रख रही हुं, यही स्थिति हर गांव के हर किसान क्षेल रहे हैं। अगर इस पर ध्यान नहीं दिया गया तो आने वाले 10-15 वर्षों के भीतर राज्य के सभी किसानो के हाथ से जमीन लूट लिया जाएगा और किसान स्वतः भूमिहीन और कंगाल हो जाएगें।
नियरन तोपनो-पोजे गांव-कमडारा प्रखंड, जिला-गुमला ने बताया, उनके एक खाता में कुल 39 एकड़ जमीन है। मलगुजारी 2014-15 तक का करमचारी के द्वारा कटवाया गया है। इसके बाद मलगुजारी करमचारी द्वारा कटवाना सरकार बंद कर दिया है। अंचल अधिकारी बोलते हैं-अब जमीन का मलगुलारी प्रज्ञा केंन्द्र में कटेगा। 2015-16 का मलगुजारी देने के लिए जब प्रज्ञा केंन्द्र गये, वहां कार्यरत लोगों ने पुराना रसीद मांगा, देखने के बाद कप्युटर में जमीन का रसीद काटने के लिए इंटरनेट मे देखा। देखने के बाद प्रज्ञा केंन्द्र संचालक ने कहा-आंनलाईन जमीन के उक्त खाता में sirf 19 एकड़ दिखाया गया है। इसी तरह नियरजन के परिवार का ही एक दूसरा खाता में 1 एकड़ 10 डिसमिल जमीन है। इसको आंन लाईन कुछ भी नहीं दिखा रहा है। पूरी तरह गायब हो गया।
स्ुालामी तोपनो-भालू टोली, मरचा, जिला -खूंटी, प्रखंड-तोरपा इन्होंने बतायी-हमारे परिवार 2014 तक का मलगुजारी काटा गया है करमचारी के द्वारा। 2015 का रसीद काटने मेरा भतिजा प्रज्ञा केंन्द्र गया, तब प्रज्ञा केंन्द्र संचालक ने कहा-अभी रसीद नहीं कटेगा। कुछ दिन के बाद फिर प्रज्ञा केंन्द्र गये, संचालक ने फिर वही बात को दुहराया कि-अभी रसीद नहीं कटेगा। इस कारण 2014 के बाद आज तक का रसीद नहीं कटा है। किसानों के मन में भय है कि कहीं जमीन की गड़बड़ी तो नहीं की जा रही है।
रामतोल्या पाहन टोली-सदवा तोपनो ने बताया, हमारे परिवार जमीन का रसीद बुधवा पाहन वगैरह के नाम से काटता है। इन्होंने बाताया हमारे खनदान में दो खाता में कुल जमीन 32 एकड़ 70 डिसमिल है। 2014 तक का रसीद करमचारी द्वारा कटवये हैं। मेनवली रसीद कटना बंद होने के बाद प्रज्ञा केंन्द्र गये थे, रसीद कटवाने। लेकिन आनलाईन जमीन का खाता संख्या भी नहीं दिखा और न ही जमीन का रकबा या तो भुगतान होने वाला राशि आनलाईन दिखाई नहीं दिया।
बड़ा सुलेमान-गांव गराई सरना टोली, जिला गुमला, प्रखंड -कमडारा -इन्होंने बताया हमारे खनदान के दो खातों का जामाबंदी 25 एकड़ है। 2014 तक करमचारी से रसीद कटवाये हैं। बाद में करमचारी बोला-अब रसीद प्रज्ञा केंन्द्र में आनलाईन कटेगा, वहां जाइये । हमलोग पुराना रसीद लेकर प्रज्ञा केंन्द्र गये। वहां आनलाईन जमीन का रसीद कटवाना चाहे। लेकिन आनलाईन जमीन सिर्फ 9 एकड़ ही चढ़ाया गया है'। एैसे स्थिाति में रसीद कैसे काटेंगें, पूरा जमीन दिखाएगा, तभी रसीद कटवाया सकते हैं।
फिलमोन सुरिन-ग्राम सालेगुटू, सालेगुटू पंचायत, प्रखंड-कमडारा, जिला-गुमला-स्व0 अलकसियुस का बेटा, फिलमोन सुरिन बताये हमरे एम खाता के खेसरा 1233, रकबा-2 एकड़ है। कहते हैं-पहले करमचारी से रसीद कटवाते थे। करमचारी से 2014 तक का रसीद कटवाये हैं। 2015 का रसीद कटवाने के लिए करमचारी के पास अंचल कार्यालय गये, तब करमचारी बोले, रसीद अब आनलाईन प्रज्ञा केंन्द्र में कटेगा। तब प्रज्ञा केंन्द्र गये। वहां प्रज्ञा केंन्द्र वाला बोला-नहीं दिखा रहा है, रसीद नहीं काटेगा। इसके बाद पुना करमचारी के पास गये और स्थिाति बाताये। करमचारी पहले बोले, अब नहीं बनेगा, क्योंकि तुम लोग रसीद नहीं काट रहे हो, इसलिए जमीन सरकार ले लिया। फिर करमचारी बोला-खर्चा पानी लगेगा, तब बन सकता हैै।
सुतुगन सुरिन-गांव पिम्पी, प्रखंड-कमडारा, जिला-गुमला-सुतुगन सुरिन, पिता स्व. जयमसीह सुरिन। सुतुगन बताया-खनदानी जमीन एक खाता में 81 एकड़ 84 डिसमिल है। दूसरा खाता में 3 एकड़ करीब है। 2014 तक का रसीद काटा हुआ है करमचारी के द्वारा। बाद में प्रज्ञा केंन्द्र गये थे-रसीद कटवाने के लिए। लेकिन दोनों खाता आनलाईन नहीं चढा है। सुतुगन सुरिन को भय है-कहीं ऐसा न हो कि जमीन सरकार लेलेगी, और लिख देगा-भूदान में दे दिया।
कोटबो गांव-कमडारा प्रखंड, (जिला-गुमला) के वार्ड सदस्य बताता है-हम लोगों का खेवट 1/2 है। जमीन 142 एकड़ 77 डिसमिल है। कहता है-मेनुवली रसीद कटता था, तब सही था। आनलाईन होने के बाद हम अपना जमीन का रसीद कटवाने प्रज्ञा केंन्द्र पहुंचे। नेट से जमीन का रिकोर्ड निकाले, देखे-तो हैरान रह गये। आनलाईन 142 एकड़ जमीन गायब हो गया, सिर्फ 77 डिसमिल जमीन ही दिखा रहा है। सुधारने के लिए कई बार करमचारी के पास गये, बोला सुधार देगें , लेकिन अब तक सुधार नहीं किया।
राम पाहन ने बताया, ग्रामीण किसानों का बहुत जमीन संडक में चला गया, सरकार ने जमीन के एवज में मुवाआजा कुछ भी नहीं दिया। तुरबुल से पोकला रोड़ बना। खेती की बहुत जमीन चली गयी, आज तक किसानों को मुआजा नहीं मिला। राम पाहन कहते हैं-मेरा एक एकड जमीन रिकोर्ड से ही गायब हो गया।
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