एक आम बगीचा ---यह सिर्फ बगीचा मात्र नहीं है , यह पर्यावरण का सबसे बड़ा आधार है , ग्रामीण आर्थिक आधार है , यह कई पीढ़ी का दिया उपहार है , जो पीढ़ी दर पीढ़ी फल -फूल , लकड़ी , शुद हवा , पानी , छाया देते आ रहा है , अभी यह आम बगीचा आने वाले और कई जेनेठुकरा रशन को जीवन दान देगा , इस सचाई को कोई नहीं ठुकरा सकता है , बशर्ते की लोभी मनुष्य इससे बर्बाद ना करे।
ग्रामीण अर्थ बयवस्था का सबसे बड़ा हिस्सा है। यही नहीं ग्रामीणों के भोजन से लेकर स्वास्थय लाभ का भी मूल आधार है। ग्रामीण नगदी फसल भी है। बिना मेहनत के ग्रामीणों को हर साल फल देता है। पत्ता , छल , मंजरी कई बिमारियों का निदान हैं।
हम ग्रामीणों का अंजीर , जो बिना पैसा खर्च किये हमें मुफ्त में मिलता हैं , यह तो हमारे पूर्वजों का आशिर्बाद है ,जिन्होंने हमारे लिए पेड़ लगा गए हैं , जब फल पकता है तो दूर दूर के राहगीरों को भी अपनी मंद मंद खुशबु से अपनी ओर आमंत्रित करता है। इनका फल को तो सभी देखते हैं , तोड़ कर कहते हैं, लेकिन इनके फूल को सायद किसी ने नहीं देखा। इसीलिए लोग कहते हैं -जो इनके फूल को खेत पता है , वह किस्मत वाला होता है , घर में फूल को रखने पेर घर में धन प्रवेश करता है,,,,,,
हमारे पूर्वजों ने जिस बिराशत को हमें दिए हैं, इससे हम आने वाले पीढ़ी को सुरछित दें , यह हमारा धर्म है
ग्रामीण अर्थ बयवस्था का सबसे बड़ा हिस्सा है। यही नहीं ग्रामीणों के भोजन से लेकर स्वास्थय लाभ का भी मूल आधार है। ग्रामीण नगदी फसल भी है। बिना मेहनत के ग्रामीणों को हर साल फल देता है। पत्ता , छल , मंजरी कई बिमारियों का निदान हैं।
हम ग्रामीणों का अंजीर , जो बिना पैसा खर्च किये हमें मुफ्त में मिलता हैं , यह तो हमारे पूर्वजों का आशिर्बाद है ,जिन्होंने हमारे लिए पेड़ लगा गए हैं , जब फल पकता है तो दूर दूर के राहगीरों को भी अपनी मंद मंद खुशबु से अपनी ओर आमंत्रित करता है। इनका फल को तो सभी देखते हैं , तोड़ कर कहते हैं, लेकिन इनके फूल को सायद किसी ने नहीं देखा। इसीलिए लोग कहते हैं -जो इनके फूल को खेत पता है , वह किस्मत वाला होता है , घर में फूल को रखने पेर घर में धन प्रवेश करता है,,,,,,
हमारे पूर्वजों ने जिस बिराशत को हमें दिए हैं, इससे हम आने वाले पीढ़ी को सुरछित दें , यह हमारा धर्म है