9 जुलाई 2011
खनन बिल कैबिनेट में पास हुआ
मसौदे से माइनिंग कंपनियां आशंकित -माइंस एंड मिनिरल्स डंवलपमेंट एंड रेगुलेशन (एकएकडीआर) बिल, 2010 शीघ्र संसद के पटल पर रखा जायेगा। इसके फायदे और नुकसान पर चर्चा होगी। लेकिन इसके पहले विशषज्ञों ने आगाह किया है कि इससे खनन कार्यों में जुटी कंपनियों को काफी नुकसान होगा। दरअसल, बिल में प्रावधान किया गया है कि जिस कंपनी का प्रोजेक्ट होगा, उस प्रभावित लोगों को 100 फीसदी रायल्टी देनी होगी। हालांकी, कोयला कंपनियों के लिए यह बाध्यता नहीं होगी। कोयला कंपनियों को प्रभावित आबादी को अपने लाभ का 26 फीसदी हिस्सा भुगतान करना होगा। विशेषज्ञों की राय में इसका सबसे अधिक असर धातु और ख्नन कार्य में जुटी कंपनियों के लाभ पर पडेगा।
एमएफ ग्लोबल के धवल जोशी ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि कोयला खनन में जुटी कंपनियों के मुनाफे की गणना का स्पष्ट आधार तय करना होगा। वहीं एसएमसी के सौरभ जैन कहते है कि एमएमडीआर धातू और खनन सेक्टर को यदि अपने मुनाफे का 26 फीसदी हिस्सा देना पड़ा, तो कंपनियों को सालाना 8,000 करोड़ रूपये का नुकसान होगा।
जोशी कहते हैं कि मानसून के दौरान खनन कार्य कम होते हैं। एक और पेरशानी यह होगी कि चीन मे जस्ते ही कीमतें इन दिनो गिर गयी हैं। सो जून और अगस्त के बीच मांग कम रहने की वजह से धातु गलाने के काम में जुटी कंपनियां स्टाक घटा कर आयात पर ध्यान केंद्रित करेगें।
एमके सिक्युरिटी का कहना कि बिल की आहट से ही इससे प्रभावित होनेवाली कंपनियों के शेयर पर असर दिखने लगा है। यदि सिर्फ रोयल्टी आधारित फ़ॉर्मूला काम करता है, ता वह बेहतर है। वहीं यदि कोई लाभांश से संबंधित कोई फ़ॉर्मूला लागू किया जाता है तो यह नुकसानदायक हो सकता है। यह मानना है विशेषज्ञों का.
No comments:
Post a Comment