आज जिस तरह से मुखिया, प्रमूख और जिला अध्यक्ष को अधिकार दिया गया है, साथ ही मुख्य कार्यपालक पदाधिकारी (डीडीसी, बीडीओ) के रूप में ये भी मुख्य भूमिंका में हैं। आज पूरे देश भर में मनरेगा योजना के साथ कई योजनाओं में भारी अनयिमिता हुई है। लूट का आलम रहा। राज्य में मनरेगा पूरी तरह से विफल रहा। विदित हो कि-इन योजनाओं का कार्यन्वयन तथा संचालन का सूत्रधार पंचायत सेवक तथा बीडीओं ही थे। इन अधिकारियों के साथ प्रखंड स्तर में इसके मतहत काम करने वाले सभी विभागीय कर्मचारी इसमें लिप्त हैं। पंचायत सेवक का जलवा तो यह रहा कि-जब तक लाभूक योजना पास कराने से लेकर फाईनल कराने तक सिर्फ पैसों से ही बात करते रहें हैं। ग्रामीणों को जैसा चाहते हैं-अंगुली में नचाते आ रहे हैं ।ऐसे अधिकारियों को क्या नवनिर्वचित पंचातय के सदस्य इन अधिकारियों का लगाम लगा पाएंगें।
धारा 71 ग्राम पंचायत की स्थायी समितिया-
1. ग्राम पंचायत अपने कार्यों तथा कर्तव्यों के निर्वहन के लिए सात स्थायी समितिया गठित कर सकती है जो ऐसी समितियाॅ ग्राम पंचायत के सामान्य नियंत्रण के अधीन होगी और ऐसी समितिया ऐसी शक्तियों को प्रयोग करेगी जो ग्राम पंचायत द्वारा उनको सौंपी जाये-
2. सामान्य प्रशासन समिति
3. विकास समिति
4. महिला, सिक्चा एवं सामाजिक कल्याण समिति
5. स्वास्थ्य ’education एवं पर्यावरण समिति
6. सार्वजनिक सम्पदा समिति
7. अधोसंरचना समिति
2. प्रत्येक समिति में पांच सदस्य ग्राम पंचायत द्वारा बुलाये गये विशेष बैठक में सदस्यों द्वारा अपने बीच में से निर्वाचित किये जाऐंगंे
परन्तुं कोई भी सदस्य एक समय में दो से अधिक स्थायी समिति का सदस्य नहीं होगा।
3. इन समितियों में मुखिया एवं उप-मुखिया पदेन सदस्य होगें
4. ग्राम सभा अपने प्रथम बैठक में प्रत्येक स्थायी समिति के लिए अपने सदस्यों में से क्षेत्र विशेष के अनुभवी एवं जानकार एक व्यक्ति को बहुमत द्वारा निर्वावित की मनोनित कर सकती है परंन्तु तदनुसार मनोनित सदस्य को मत देने को अधिकार नहीं होगा
परंन्तु यह और भी कि ऐसे मनोनीत सदस्य को एक वर्ष की अवधि की समाप्ति के प’चात बहुमत के द्वारा ग्राम सभा वापस बुला सकेगी और नया मनोनयन कर सकेगी।
5. स्थायी समिति के सदस्यों की पद की अवधि, इनके कामकाज के संचालन की प्रक्रिया ऐसी होगी कि विहित की जाए।
6. सचिव-ग्राम पंयायत को सविच स्थायी समिति को पदेन सचिव होगां
धारा 73
पंचायत समिति एवं जिला परिषद की स्थायी समितिया-
1.प्रत्येक पंचायत समिति एवं प्रत्येक जिला परिषद अपने निर्वाचित सदस्यों में से निम्नलिखित स्थायी समितियाॅ गठित करेगी-
क. सामान्य प्रशासन समिति
ख. कृर्षि एवं उद्योग समिति
ग. स्वास्थ्य, जिला ’िाक्षा समिति
घ. वित, अंकेक्षण तथा योजना एवं विकास समिति
ड. सहकारिता समिति
च. महिला, शिशु एवं सामाजिक कल्याण समिति
छ. वन एवं पर्यारण समिति
ज. संचार तथा संकर्म समिति
2. सामान्य प्रशासन समिति में उपधारा(1) में विनिर्दिष्ट गठित समस्त स्थायी समितियों के सभापति होगें।
3. सामान्य प्रशासन समिति को छोड़कर प्रत्येक समिति में कम से कम छः सदस्य होगें, जो यथास्थिति परंन्तु ’िाक्षा या जिला परिषद के सदस्यों द्वारा अपने बीच में से विहित रीति में, निर्वाचित किये जाऐंगें। अनुसूचित जाति या अनुसूचित जनजाति को एक व्यक्ति होगा।
4. विधान सभा को प्रत्येक ऐसा सदस्य जों पंचायत समिति का सदस्य है उस पंचायत समिति के प्रत्येक समिति का पदेन सदस्य होगा।
5. संसद का प्रत्येक ऐसा सदस्य जो जिला परिषद का सदस्य है, उस परिषद में अपनी इच्छा से किन्हीं भी दो समितियों का पदेन सदस्य होगा।
6. सामान्य प्रशासन समिति एवं education समिति को छोड़ कर प्रत्येक समिति अपने निर्वाचित सदस्यों में से सभापति का निर्वाचन विहित रीति से होगा।
7. प्रमुख या जिला परिषद का अध्यक्ष सामान्य प्रशासन समिति तथा वित, अंकेक्षण तथा योजना एवे विकास समिति को पदेन सदस्य एवं अध्यक्ष होगा।
8. उप-प्रमुख या उपाध्यक्ष Education समिति एवं महिला, shishu एवं सामाजिक कल्याण समिति का पदेन सदस्य एवं अध्यक्ष होगा।
9. पंचायत समिति एवं जिला परिषद का कोई सदस्य दो से अधिक स्थायी समिति में सेवा करने का पात्र नहीं होगा।
10. कार्यापालक पदाधिकारी या मुख्य कार्यपालक पदाधिकारी यथास्थिति पंचायत समिति या जिला परिषद से सभी समितियों के पदेन सचिव होगें।
11. उपधारा(1) के अधीन गठित स्थायी समितियों के कार्यपालक वे होगें जैसा सक्षम प्राधिकारी द्वारा विहित किया जाए।
12. उपधारा (1) के अधीन निर्दिष्ट स्थायी समितियों के अतिरिक्त पंयाचत समिति या जिला परिषद विहित प्राधिकारी के अनुमोदनोपरांत ऐसे विषयों के लिए जो उपधारा(1) में निर्दिष्ट समितियों के कार्यकलाप के अंन्तर्गत नहीं आते हैं। एक या एक से अधिक समितियों को गठन कर सकेगी।
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