झारखण्ड में ३० सालों के बाद पंचायत चुनाव हुवा है. आम लोगों के साथ, सरकारी अधिकारी, नेता-मंत्री सभी मानते थे की-राज्य में पंचायत चुनाव नहीं हुवा है, इसलिए राज्य का बिकास नहीं हो रहा है. चुनाव के बाद गाँव के बिकास ले लिए पैसा सीधे पंचायत में आइयेगा..इसका सीधा लाभ पंचायत उठाएगा. गाँव वाले खुद तय करेंगे की- किस तरह का बिकास चाहिए. किस तरह के योजना का चयन करना चाहिए. आज वह समय आ गया है..की ..आप किस तरह का बिकास चाहते हैं..किस तरह से भ्रस्टाचार में फंशे बिकास को इससे मुक्त कर गाँव का सही बिकास कर सकते हैं..
मुखिया के पावर तय-सरकार ने पंचायती राज व्यवस्था को प्रभावी बनाने के लिए प्रमुख से लेकर मुखिया तक की शाक्तियां तय कर दी हैं। जिला परिषद अध्यक्ष के पावर भी निर्धारित किये गये हैं। इससे संबंधित नियमावली की अधिसूचना जारी कर गजट प्रकाशन के लिए भेज दिया गया है। इसके प्रकाशन की तिथि से अध्यक्ष व मुखिया इन शक्तियों का इस्तेमाल कर सकेंगें। नियमावली में मुखिया को ही चेक पर हस्ताक्षर करने को अधिकार दिया गया है। जिला परिषद अध्यक्ष व प्रमुख को वह अधिकार नहीं है।u
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