

यह है खूंटी जिला का तोरपा ब्लाक का कुल्डा गाँव..गाँव में ६० परिवार है। यंहा आदिवासी-मूलवासी समुदाय दोनोंहै। जीविका का प्रमुख साधन खेती-किसानी है। गाँव का बड़ा हिस्सा में जंगल है। जंगल के बीचो-बीच करो नहींऔर छत्ता नदी सदियों से अपनी गति से बह रही है। यंही दोनों नदियों का संगम स्थल भी है। ९ फरवरी २००८ मेंजब मै पहली बार इस गाँव में गयी..यह सूचना लेकर की इस गाँव को आर्सेलर मित्तल प्लांट लगाने के लिएचिन्हित किया है..आप गाँव वालों को इसकी जानकारी है..यह नहीं? इस दिन मै सिर्फ ६ लोगों से मिली थी। जबलोगों से इस संबंध में -पूछी..लोगों ऩे कहा नहीं जानते हैं। उस दिन मै गाँव में घुसते साथ पायी..जगह जगह कचासाल का नया पेड़ कट कर ढेर कर दिया गया है। कई जगहों में यही पायी। मैंने लोगों से पूछा आप लोग क्यों इसाकाट कर ढेर कर दिये हैं? लोगों ऩे जवाब दिया...गाँव के सभी आहिर परिवार काट कर रोज ट्रेक्टर से ढो कर ला रहेहैं..सुने हैं..कुछ दिन के बाद जंगल को सरकार ले लेगा..इसी लिए सभी जंगल को साफ कर रहे हैं॥
सुन कर मै हैरान थी..असलियत से लोग अनभिज्ञ हैं..की यंहा मित्तल कम्पनी अपना कारखाना लगाने ला रही है। लोगों को पूरी जानकारी देने पर -इन्हों ऩे एक स्वर में कहा..हम लोग जमीन -जंगल नहीं देंगे। इसी निर्णय के साथगाँव वालों ऩे मुझे और मेरे साथियों को १४ फरवरी को गाँव वालों के साथ इस बात को दुबारा रखने के लिए बुलाये। इसके बाद यह गाँव कम्पनी को जमीन नहीं देने के लिए संघर्ष करने का निर्णय के साथ -आदिवासी-मूलवासीअस्तित्व रक्षा मंच कुल्डा का गठन किये। गाँव में कमिटी बनी। आज यह गाँव हर मामले में आगे है॥ यही संगठनऩे युवाओं के लिए सेण्टर बनया है..संगठन बच्चों को अपना इतिहास, संस्कृति के साथ कम्पियूटर ज्ञान भी देनेका पहल किया है। यंहा के बच्चे..लड़के क्रिकेट और होकी खेल में महारत हासिल किये हैं। लड्कियीं फुटबाल खेलमें आगे हैं। संस्कृति के छेत्र में भी बहुत आगे हैं..आदिवासी मूलवासी अस्तित्व रक्षा मंच ऩे ..संघर्ष और निर्माणके दिशा में एक पहल शुरू किया है..
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