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Friday, October 7, 2022
झारखंड में आदिवासी, दलित, किसान और मजदूर वर्ग के बच्चों के शिक्षित करने के लिए संचालित स्कूलों का बुरा हाल है...
सरकारी आवासीय विद्यालय
कहीं शिक्षक तो कहीं भवन नहीं और कहीं बच्चे नहीं ले रहे एडमिशन
राज्य के आवासीय विद्यालयों में को व्यवस्था के कारण पढ़ाई पर असर
(दैनिक भास्कर 1 अक्टूबर 2022)
झारखंड में आदिवासी, दलित, किसान और मजदूर वर्ग के बच्चे ही सरकरी स्कूलों में शिक्षा ग्रहण करते हैं। कम आय वाले अपने बच्चों को सरकारी स्कूलों में नामांकन कराते हैं। राइट टू एजुकेशन कानून के अनुसार देश के सभी बच्चों को गुनवाता पूर्ण शिक्षा देने का प्रावधान किया गया है। लेकिन सभी जानते हैं कि सरकारी शिक्षा सिस्टम पूरी तरह से चौपट हो चुका है। यही कारण है कि इन सरकारी स्कूलों में बच्चों को भेज कर उनकी ज़िंदगी बरबाद नहीं करना चाहते हैं।
झारखंड में आदिवासी, दलित, किसान और मजदूर वर्ग के बच्चों के शिक्षित करने के लिए संचालित स्कूलों का बुरा हाल है...
राज्य में सरकारी आवासीय विद्यालयों की स्थिति विकट है। कहीं शिक्षक नहीं, कहीं भवन नहीं, तो कहीं बच्चे ही एडमिशन नहीं ले रहे हैं। सीटें खाली रह जा रही हैं। नेताजी सुभाष चंद्र बोस आवासीय विद्यालय झारखंड, बालिका आवासीय विद्यालय और कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालयों की व्यवस्था एक-दूसरे से होड़ कर रही है। 57 झारखंड बालिका आवासीय विद्यालयों को अब तक अपना भवन नहीं मिल पाया है । कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालय में शिक्षकों की कमी तो है ही, किसी भी जिले की स्कूल में शत-प्रतिशत एडमिशन नहीं हुआ है।
इसी प्रकार नेताजी सुभाष चंद्र बोस आवासीय विद्यालय उनकी भी सभी सीटें भर नहीं पाई हैं। झारखंड बालिका आवासीय विद्यालयों का अपना भवन नहीं है। इनका संचालन कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालय से ही हो रहा है। ऐसे 57 विद्यालय साथ चल रहे हैं। स्पष्ट है कि दोनों स्कूलों पर इसका असर पड़ रहा है।
21 बालिका आवासीय विद्यालयों के भवन तैयार शिफ्ट करने का निर्देश
57 में से 21 झारखंड बालिका आवासीय विद्यालय के भवन बनकर तैयार हैं। झारखंड शिक्षा परियोजना ने इन 21 नए विद्यालय भवनों में स्कूलों को स्थानांतरित करने का निर्देश दिया है। हालांकि इनमें से 36 झारखंड बालिका आवासीय विद्यालय भवनों के तैयार होने में अभी बिलम है। जेपीसी की राज्य परियोजना निदेशक किरण कुमारी पासी ने शिक्षा अधिकारियों को निर्देश दिया है कि जिन बालिका आवासीय विद्यालय के भवन अब बन चुके हैं उन्हें शीघ्र से पेश किया जाए। सभी स्कूलों में शिक्षकों की उपस्थिति सुनिश्चित करने का भी दिशा निर्देश दिया।
किसी जिले के कस्तूरबा विद्यालय में नहीं हुआ शत-प्रतिशत नामांकन
राज्य के किसी भी जिले के कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालय में इस बार शतप्रतिशत एडमिशन नहीं हो पाया है। करीब 21% सीटें खाली रह गई हैं। 203 कस्तूरबा बालिका विद्यालय में 106 576 एडमिशन सीटें हैं इस बार मात्रा 84 31 5 सीटों पर ही नामांकन हो पाया है। बोकारो गढ़वा, गुमला, सिमडेगा, रांची, गोड्डा और चतरा जिले जहां 75% से कम नामांकन हुआ है, वहां के प्रभारी को शो को जारी करने का निर्देश है। 15 अक्टूबर तक सभी जिलों को अपने वहां की रिक्त सीटों पर विज्ञापन के द्वारा प्रकाशित कर एडमिशन लेने का निर्देश दिया गया है इन स्कूलों में 10-15 शिक्षकों के स्वीकृत पद हैं इनमें से 727 पदों पर चयन हुआ है 288 पद रिक्त है।
नेताजी सुभाष आवासीय विद्यालय
13 जिलों में नहीं भरी सीटें राज्य के 13 जिलों में नेताजी सुभाष चंद्र बोस आवासीय विद्यालय की सीटें इस बार भी नहीं भरी है। नामांकन की समीक्षा के क्रम में शिक्षा अधिकारियों ने जेपीसी को बताया है कि चतरा, दुमका, गढ़वा, गिरिडीह, गोड्डा, गुमला, हजारीबाग, कोडरमा, पाकुड़ पलामू, पश्चिमी सिंहभूम और सिमडेगा जिले के इन स्कूलों में शत-प्रतिशत नामांकन नहीं हुआ है। पाकुड़ जिला शिक्षा पदाधिकारी की रिपोर्ट के अनुसार कक्षा 9 के बच्चों के रहने और पढ़ने के लिए कमरे की आवश्यकता है सभी जिलों को कहा गया कि वे स्वीकृत सभी सीटों पर शीघ्र एडमिशन
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