तीन कृषि बिल
1-आवश्यक वस्तु संशोधन अध्यादेश 2020
2-किसान (सशत्किकरण एवं संरक्षण) मूल्य आश्वासन एवं कृषि सेवा पर करार अध्यादेश 2020
3-किसान उपज (संर्वधन एवं सुविधा) व्योपार एवं वाणिज्य अध्यादेश 2020
1-आवश्यक वस्तु संशोधन अध्यादेश 2020-इस कानून में अनाज, खाद्यान्न तेल, प्याज, आलू, दलहन को आवश्यक वस्तु की सूची से अलग कर दिया गया है।
केंन्द्र सरकार का दावा है कि-आपादा की स्थिति में इसे आवश्यक वस्तु की सूचि में शामिल किया जाएगा।
नोट-आवश्क वस्तु काननू को 1955 में ऐसे समय में बनाया गया था, जब देश में खाद्यान्न की भारी कमी से जूझ रहा था। इस काननू को बनाने का खास उद्वेश्य था-वस्तुओं की जमाखोरी और कालाबाजारी को रोकना। ताकि उचित मूल्य पर सभी को खाने का सामान मिले।
क्या है आवश्यक वस्तु अधिनियम? 2020
आवश्यक वस्तु अधिनियम 1955 के तहत केंन्द्र सरकार के माध्यम से कुल आठ(8) श्रेणी के वस्तुओं पर नियंत्रण रखती थी-इसमें संशोधन कर निम्नलिखित को इसमें रखा गया-
इसमें-1-ड्रग्स
2-उर्वरक
3-खाद्य तिलहन, तेल समेत खाने की चीजें
4-कपास से बना धागा
5-पेट्रोलियम तथा पेट्रोलियम उत्पाद
6-कच्चा जूट और जूट वस्त्र
7-खाद्य, फसलों के बीज और फल, सब्जियां, पशुओं के चारे के बीज, कपास के बीज तथा जुट के बीज
8-फेस मास्क तथा हैंड सैनिटाइजर शामिल है।
केंन्द्र सरकार इस कानून में दी गयी शक्तियों का इस्तेमाल करते हुए राज्य सरकारों को नियंत्रण आदेश जारी करने के लिए कहता है, जिसके तहत वस्तुओं को स्टाॅक याने जमा करने की सीमा तय की जाती है और समान के अवागमन पर नजर रखती है।
नोट-अब सरकार इस कानून में संशोधन करने अनाज, दलहन, तिलहन, खाद्य तेलों, प्याज और आलू को धारा 3(1) के दायरे से अलग कर दिया है-जिसके तहत केंन्द्र सरकार को आवश्यक वस्तुओं के उत्पादन, आपूर्ति, वितरण पर नियंत्रण करने अधिकार प्राप्त है।
मोदी सरकार का मानना है कि-अब इन वस्तुओं का उत्पादन प्रर्याप्त हो रहा है, इसलिए इस पर नियंत्रण की जरूरत नहीं है।
मोदो सरकार का मानना है कि-उत्पादन, भंण्डारण, ढुलाई, वितरण और आपूर्ति करने की आजादी से व्यापक स्तर पर उत्पादन बढ़ेगा साथ ही कृषि क्षेत्र में निजी प्रत्यक्ष/अप्रत्यक्ष विदेशी निवेश आकर्षित किया जा सकेगा। इसे कोल्ड स्टोरेज में निवेश बढ़ाने और खाद्य आर्पित श्रंखला (सप्लाई चेन) के अधुनिकीकरण में मदद मिलेगी।
नोट-निजीकरण, कृषि पर काॅरपोरेट पूंजि निवेश और एवं काॅरपोरेट बाजार को आमंत्रित करना है।
2- किसान (सशत्किकरण एवं संरक्षण) मूल्य आश्वासन एवं कृषि सेवा पर करार अध्यादेश 2020
इसका उद्वेश्य-कृषि उजप विपणन समितियों (एपीएमसी) मंडियों के बाहर भी कृषि उत्पाद बेचने और ,खरीदने की व्यवस्था तैयार करना है।
किसान और विशेषज्ञों की चिंता-यह कानून लागू होने से एपीएमसी व्यवस्था खत्म हो जाएगा।
एैसे में एगमार्कनेट द्वारा कृषि उत्पादों के मूल्यों को बड़ा झटका लगेगा और देश के विभिन्न क्षेत्रों में वस्तुओं का असली मूल्य का पता लगाना असंभव हो जाएगा।
ऐसे में सरकार को कृषि उत्पादों के मूल्य आकलन करने में भी मुश्किल होगा।
सरकार का उद्वेश्य-इस कानून का उद्वेश्य कृषि में इफ्रास्ट्रचर जैसे, कोल्ड स्टोरेज और सप्लाई चेन के अधुनिकीकरण आदि को बढ़वा देना है।
केंन्द्र का मानना है-वैसे तो भारत में ज्यादातर कृषि उत्पादों के उत्पादन में अधिशेष (सरप्लस ) की स्थिति होती हे। इसके बामजूद कोल्ड स्टोरेज, प्रोसेसिंग और निर्यात में निवेश के अभाव में किसान अपनी उपज उचित मूल्य पाने में असमर्थ रहे हैं-कारण आवश्यक वस्तु अधिनियम की तलवार लटक रही है।
केंन्द्र का तर्क है-ऐसे में जब भी शीघ्र नष्ट हो जाने वाले कृषि उपज की बंपर पैदवार होती है तो किसानों को भारी नुकसान उठाना पड़ता है।
यदि प्र्याप्त प्रसंस्करण सुविधाएं उपलब्ध हो तो बड़े पैमाने पर इस तरह की बर्बादी रोकी जा सकती है।
पूर्व कृषि सचिव-सिराज हुसैन
इन्होनें कहा-इस नये कानून में कई खमियां हैं। 200-2004 में बेइमान गेंहू निर्यातकों ने आॅपन मार्केट सेल स्कीम (निर्यात) के तहत निर्यात जारी रखने के लिए कई खामियों का उपयोग कर उत्पादित निर्यात किया। इस कारण देश में खाद्यान्न की भारी कमी हो गयी, इस कमी को पूरा करने के लिए 5.5 मिलियन टन गेंहू आयात करना पड़ा।
सिराज जी ने कहा-केंन्द्रीय पूल के स्टाॅक के मामले में न केवल लोगों को स्टाॅक की मात्रा के बारे जानकारी होती हैं-परंतु सरकार को भी एफसीआई के कम्पूटरीकरण स्टाॅक प्रबंधन प्रणाली के माध्यम से किस जगह कितना स्टाॅक पड़ा है-जानकारी होती है।
लेकिन प्राईवेट स्केटर में रखे स्टाॅक के बारे कोई जानकारी नहीं होती है।
3-किसान(सशक्तिकरण एवं संवर्धन) मूल्य आश्वासन एवं कृषि सेवा पर करार अध्यादेश-2020
यह कानून फसल की बुआई के पहले किसान को अपनी फसल को तय मानकों और तय कीमत के अनुसार बेचने का अनुबंध करने की सुविधा देता है।
इस कानून में काॅन्ट्रेक्ट फर्मिंग की बात है।
केंन्द्र सरकार का मानना है-
ऽ इसे किसान का जोखिम कम होगा
ऽ खरीददार ठुंढने के लिए कहीं जाना नहीं पडे़गा
ऽ यह कानून किसानों को शोषण के भय के बिना समानता के आधार पर खुदरा कारोबारियों, नियात्तकों आदि के साथ जोड़ेगा।
सवाल-इस अध्यादेश में -तीन, चार एकड़ जोत वाले किसानों का क्या होगा?
धारा -4 में कहा गया है-किसानों पैसा/कीमत तीन कार्य दिवस में दिया जाएगा
छोटे किसान जिनका पैसा जहां फंसा है-वहां बार-बार जाकर क्या पैसा वासुल सकते हैं?
छोटे किसान-आॅनलाईन खरीद-बिक्री नहीं कर सकता है।
स्रकार वन नेशन वन मार्केट की बात कर रही है-इसे मंडियां खत्म हो जाएगें।
इस कानून से कृषि उपज विपणन समितियां खत्म हो जाएगी-इसे बिचैलियों और काॅरपोरेट का मनमानी चलेगा।
केंन्द्र सरकार का मानना है-यह कानून किसानों के लिए लाभदायक है-
सवाल-1-यदि ये तीनों कानून किसानों के लिए लाभ दायक हैं तो राज्यसभा में इस कानून के पक्ष-विपक्ष में होने वाले बहस एवं वोटिंग को क्यों नहीं होने दिया गया?
2-तीनों कानून किसानों के लिए लाभदायक है तो-इस कानून में किसानों को, जब वे छले जाऐगें, इस पर न्याय के लिए कोर्ट जाने के अधिकार का प्रावधान क्यों नहीं किया गया?
इस काननू में किसानों को न्याय की मांग को लेकर कोर्ट जाने की जगह उन्हें जिला के एसडीएम एवं उपायुक्त के पास ही जाने का प्रावधान किया गया है।
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