इतिहास गवाह है कि-हमारे पूर्वज सांप, बिच्छू, बाघ, भालू से लडकर झारखंड की धरती को आबाद कियां। जंगल-झाड को साफ किया, रहने लायक घर बनाये। खेती लायक जमीन साफ किया। गांव बसाया। जहां तक जंगल -झाडी साफ कर लोग बसते गये, गांव का विस्तार होता गया। अपने गांव को अपने तरह से संचालित -संरक्षित एवं विकसित करने के लिए नियम-कानून बनाये, जो उनका परंपरागत व्यवस्था कहलाया। जंगल-झाड साफ करके जमीन-जंगल को आबाद किये, इस जंगल-जमीन पर आदिवासी समुदाय ने अपना खूंटकटी अधिकार माना।
आदिवासी तब तक आदिवासी रहेंगे ---जब तक जल जंगल जमीन नदी पहाड़ के साथ जुड़े हैं , प्रकृति से अलग होते ही इनका पहचान भाषा संस्कृति इतिहास अपने आप समाप्त हो जायेगा। ... इसी लिए आदिवासी समाज जल जंगल जमीन की बचने की लड़ाई लड़ रहे हैं
आदिवासी तब तक आदिवासी रहेंगे ---जब तक जल जंगल जमीन नदी पहाड़ के साथ जुड़े हैं , प्रकृति से अलग होते ही इनका पहचान भाषा संस्कृति इतिहास अपने आप समाप्त हो जायेगा। ... इसी लिए आदिवासी समाज जल जंगल जमीन की बचने की लड़ाई लड़ रहे हैं
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