Thursday, November 2, 2017

184 अंक लाने के बावजूद सफल घोषित किया गया। जबकि एससी-एसटी वर्ग के अभ्यर्थी 188 अंक और 190 अंक लाकर भी असफल रहे।

छठी जेपीएससी पीटी का मामला, 326 पदों के लिए हुई थी परीक्षा
छठी जेपीएससी पीटी परीक्षा में हुइ गडबडियों की भेंट झारखंड की प्रतिभाएं चढ़ रही है। 326 पदों के लिए जेपीएससी पीटी की परीक्षा दिसंबर 2016 को ली गयी थी। इसका रिजल्ट फरवरी में प्रकाशित किया गया था। चुकिं रिजल्ट का कोई कअ आॅफ नहीं बताया गया था इसलिए परीक्षा विवादित हो गयी। और परीक्षार्थियों ने रिजल्ट का विरोध किया। परीक्षा के रिजल्ट में पांच हजार से अधिक अभ्याथी सफल घोषित किए गए थे।
अधिक माक्र्स लाकर भी फेल और कम माक्र्स लाने वाले पास
जेपीएससी पीटी परीक्षा का जब रिजल्ट प्रकाषित किया गया कि देव कुमार सफलद अथ्यार्थियों ने अािक अंक लाकर भी परीक्षा में असफल रहे। जब उन्होंने इस मामले में झारखंड हाईकोर्ट में रिट पिटिशन किया तो जेपीएससी के परीक्षा निदेशक ने अपना पक्ष रखते हुए बताया कि रिजल्ट राजस्थान और आंध्रप्रदेश हाई कोर्ट के आदेश के अनुसार निकाला गया है।
आदेश के अनुसार ही पीटी परीक्षा में आरक्षण का कोई प्रावधान नहीं किया गया। परीक्षी में एक दूसरी गडबड़ी तब सामने आयी जब खुशी लाल महतो जिनका रोल नंबर 6801703 था को प्रथम सूची में ही 184 अंक लाने के बावजूद सफल घोषित किया गया। जबकि एससी-एसटी वर्ग के अभ्यर्थी 188 अंक और 190 अंक लाकर भी असफल रहे। जेपीएससी ने खुशी लाल महतों का रिजल्ट स्पोर्टस कैटेगरी में बताकर इससे पल्ला झाड़ लिया। पर चूंकि स्पोर्टस कोटा भी रिजर्वेशन की श्रेणी में आता है इसलिए जेपीएससी का यह तर्क भी गले नहीं उतरता। इसके अलावा जेपीएससी की पहली संे पांचवी पीटी परीक्षा में आरक्षण के नियमों का पालन किया गया। इसलिए छठी जेपीएससी में इसका पालन नहीं किया जाना उचित नहीं लगता। मामले में परीक्षार्थियों की परेशानी बढ़ गई है ं।
आदिवासी छात्र संघ ने सवाल उठाया-आंध्र और राजस्थान का जजमेंट क्यों लागू किया??
परीक्षा के रिजल्ट में आरक्षण के नियमों का पालन नहीं किया जाना झारखंड के उम्मीदवारों के भविष्य के साथ खिलवाड है। झारखं डमें अ्रध और राजस्थान का जजमेंट लागू किया जाना उचित नहीं है।

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