Monday, March 25, 2013

2012 मेरे जीवन का महत्वपूर्ण वर्ष रहा-भाग -4 (पोस्ट करने की सुविधा को लेकर इस इससे मैं 5 भाग में बांट कर आप के सामने रख रही हुं-1 से 3 भाग भी अव’व देखें)


2012 मेरे जीवन का महत्वपूर्ण वर्ष रहा-भाग -4
(पोस्ट करने की सुविधा को लेकर इस इससे मैं 5 भाग में बांट कर आप के सामने रख रही हुं-1 से 3 भाग भी अव’व देखें)

वहां ग्रामीण इकत्र थे। मेधाजी लोगों का बात सुनी। इसके बाद इनके आंदोलन को साथ देने की बात भी की। इन कार्यक्रमों के बाद नगड़ी के मामले को लेकर आंदोलन की गतिविधियां धीरे धीरे स्थिल होने लगी। इस बीच मैं समझने की कोशिशि  की कि-अखिर सच क्या है, जमीन का अधिग्रहण होने की बात सरकार क्यों कर रही है। जबकि जमीन पर आज भी ग्रामीण खेती कर रहे हैं, जमीन का पटा-खाता खतियान पर आज भी ग्रामीणों का ही नाम है। जमीन का मलगुजारी आज भी ग्रामीण ही चुकाते आ रहे हैं। आज भी ग्रामीण जमीन नहीं देने की बात करे रहे हैं। सच क्या है-को समझने के लिए मैंने भूर्अजन विभाग को आर टी आई के तहत आवेदन डाला जिसमें निम्नलिखित सवाल थे-
1-नगड़ी में कितना एकड़ जमीन अधिग्रहण किया गया है?
2-जिन किसानों का जमीन आपने अधिग्रहण किये हैं-उन किसानों की सूच
3-जिन किसानों की जमीन अधिग्रहण किये हैं-उस जमीन का विवरण, खाता ना0, प्लोट ना0 रकबा सहित
4-जिन किसानों की जमीन अधिग्रहण किये हैं-उस जमीन के एवज में कितना रूप्या किस दर से आप ने भूगतान किये हैं-मनी रिसिप्ट की कोपी  के साथ जानकारी दें
इसका जवाब-भूर्अजन विभाग ने 29 फरवरी 2012 को दिया-जिसमें निम्नलिखित मूल जवाब है-
1-1957-58 में 158 रैयत थे, इसमें से 128 लोगों ने पैसा नहीं लिया, जिनका पैसा रांची कोषागार में जमा है।
2- नगड़ी थाना सं0 53 में भू-अर्जन वाद संख्या 21-57-58 द्वारा कृर्षिवि’वविद्यालय, कांके के विस्तार हेतु कुल 202.27 एकड़ भूमिं का अर्जन किया गया था
3-.भू-अर्जन वाद संख्या-31-58-59 से मौजा-नगड़ी में सीड फार्म कृर्षि विभाग हेतु 25.44 एकड़ भूमिं अर्जित की गई है।
भूर्अजन विभाग द्वारा इस जानकारी को प्रप्त करने के बाद हम लोगों ने विधायक श्री बुधु तिर्की एवं नगड़ी के ग्रामीण 2 मार्च 2012 को राज्यपाल ‘’ायद अहमदजी से नगड़ी मुदे पर मिलने गये थे। माननीय राज्यपाल महोदय को मांग पत्र दिये- सरकार ग्राम सभा के अनुमति के बिना ही जबरस्त पुलिस बल से जमीन पर कब्जा कर रही है-इसे रोका जाए। क्योंकि हमारे पूर्वजों ने जमीन सरकार को नहीं दिया है-नहीं हमारे पूर्वजों ने जमीन का पैसा लिया है। हम ग्रामीणों के लिए यही खेती की जमीन जीविका का एक मात्र साधन है इसलिए इस कृर्षि भूमिं को किसी भी कीमत में हम नहीं देगें। ग्रामीणों अपने मांग पत्र  में कहा-हम लोग बिकाश sansthano  के विरोध में नहीं है-बने लेकिन हमारे कृर्षि भूमिं नहीं। सभी विकाश  संस्थान बने-लेकिन बंजर भूमिं पर, जो सरकार भूमिं भी है और किसी तरह के कृर्षि कार्य में उपयोग भी नहीं किया जा रहा है। 

विधान सभा सच चल रहा था-विधान सभा में नगड़ी का सवाल उठे ताकि सरकार पर जमीन पर जबरन कब्जा न करे -इसके लिए दबाव बनना था। श्री बंधु तिर्की, तथा बिनोद सिंह ने विधान सभी में सवाल उठाये भी। इसके बाद लोग 4 मार्च 2012 से नगड़ी चैंरा पर अनिशिचित कालीन धरना पर बैठे। भूर्अजन विभाग से मिले आरटीआई के जवाब में लिखा हुआ है-कि 202 एकड़ जमीन बिरसा कृर्षि वि’वविद्यालय के लिए तथा 25 एकड़ जमीन बिरसा कृर्षि विश्वा  विद्यालय के सीड फार्म  के लिए अधिग्रहण किया गया है-इसकी सचाई जनने के लिए मैं मार्च के पहली सप्ताह में बिरसा कृर्षि वि’वविद्यालय को आरटीआई डाली और निम्नलिखित जानकारी मांगे-
1-बिरसा बिरसा कृर्षि वि’वविद्यालय के लिए आप ने कितना एकड़ जमीन अधिग्रहण किये हैं
2-किन किन किसानों का, खाता ना0, प्लोट ना0 एवं रकबा सहित
3-जिन किसानों का जमीन अधिग्रहण किये हैं-उन किसानों को जमीन के एवज में किस दर से कितना पैसा भुगतान किये हे।
4-यदि आप जमीन का पैसा भुगतान किये हैं-उनका मनी रिशिपेट  का कापी के साथ
5-जिस जमीन को आप अधिग्रहण उस जमीन का 1957-58 से लेकर अब तक उत्क जमीन का उपयोग किस रूप में करते आ रहे हैं-
इसका जवाब बिरसा कृर्षि वि’वविद्यालय ने आरटीआई को टाप प्रायोरिटि में लेते हुए दो जगह से जवाब दिया, एक मेनेजमेंट कार्यालय से दूसरा सीड फार्म  कार्यालय से। जिसमें 1 से 4 तक का जवाब दिया-इस संबंद में हमारे कार्यालय में किसी तरह का कोई जानकारी उपलब्ध नहीं है, दोनों कार्यालय से यही जवाब मिला। 5 सवाल के जवाब में उत्तर मिला-जबकि जमीन पैसा दिये ही नहीं है, न ही अधिग्रहण हुआ है-तब इसका कैसे उपयोग किया जाएगा।

विदित हो इसका भूर्अजन विभाग तथा बिरसा कृर्षि वि’वविद्यालय से मिला जवाब सारा साबूत दे रहा है कि जमीन का अधिग्रहण नहीं किया गया है। दूसरी ओर भूर्अजन विभाग जमीन का अधिग्रहण होने का कागजात भी पेस करता है। मैंने दोनो कागजातों का अध्ययन की-दोनों आरटीआई के जवाब का, और अधिग्रहण करने के कागजात का भी। अधिग्रहण संबंधित कागजात में कहा गया है कि-1957-58 में नगड़ी के थाना संख्या 53 में 227 एकड़ जमीन का अधिग्रहण लैंड एक्यूजिशन एक्ट 1894 के धारा 4, 5, 6, 7, 8 और 9, 11 के तहत किया गया है। 
जब इस संबंध में ग्रामीणों से जनने कोशिश की-तब सच्चाई कुछ ओर ही सामने आया। मैंने गांव के उन बुर्जूग लोगों से बात की-जो आज 85-90 साल के हैं। जिन्होंने 1957-58 में जब सरकार जमीन अधिग्रहण करना चाहती थी, इसके लिए अधिग्रहण का प्रोसेस शुरू  की थी-तब ग्रामीणों ने बिलकुल शुरुआत  से ही हर तरह से जमीन अधिग्रहण का विरोध करते आ रहे हैं। जब लैंड एक्यूजिशन एक्ट के धारा 4 के तहत अधिग्रहण की सूचना प्रसारित की गयी और इसके बाद धारा 5 के तहत गांव वालों से ग्राम सभा करके जमीन अधिग्रहण करने की सहमति लेने के लिए सरकारी अधिकारियों ने नगड़ी गांव में ही बैठक ग्रामीणों की बुलायी-तब ग्रामीणों इस बैठक का विरोध किया। बैठक नहीं होने दिया। गांव में आये अधिकारियों को ग्रामीणों ने विरोध में गांव से खादेड़ दिया। यही नहीं, ग्रामीणों ने लगातार विरोध में आंदोलन कई वर्षा तक मैदान पर भी करते रहे। 

ग्रामीण बताते हैं-उस समय निरल ऐनेम होरो (झारखंड पार्टी के भिषमपितामाह) भी आंदोलन को समर्थन दिये थे। उस समय स्व0 शुशील  कुमार बागेजी विधायक थे-इनको भी जमीन किसी भी कीमत में नहीं देने -का मांग पत्र सौंपे थे। ग्रामीणों ने बताये-जब बिहार के तत्कालीन मुख्य....थे, जब वे रांची आये थे-तब उनका भी ग्रामीणों ने घेराव किये थे-और जमीन नहीं देने का लिखित मांग भी इन्हे सौंपा गया था। बुर्जूग बताते हैं-उसी समय मंत्री महोदय ने ग्रामीणों से कहा था-कि आप लोगों का जमीन नहीं लिया जाएगा। इसके बाद से फिर कभी ने तो सरकारी अधिकारी जमीन अधिग्रहण करने को लेकर गांव आये, ना ही किसी तरह का कारईवाई सरकार ने जमीनी स्तर पर किया। यही कारण है-कि नगड़ी के रैयत अपने पूर्वजों से लेकर अभी तक अपनी जमीन में खेती करते आ रहे हैं। यही नहीं सरकार और जमीन मालिक-याने रैयत के बीच जो कानूनी प्रावधान है, रैयत हर साल सरकार के भूमिंसुधार एवं रेवेन्यू विभाग को जमीन का मलगुजारी भूगतान करते हैं, रैयत लगातार 2008-9, 2010, किसी किसी ने 2011-12 तक का भी भूगतान किये हैं। अंचल कार्यालय द्वारा रैयतों को दिया गया -लैंड रेंटल भुगतान रसीद इसका प्रमाण है। 

इसके पहले का रिपोट को भी देखने की जरूरत है। 2008 में इसी जमीन होते हुए रिंग रोड़ बनाने की योजना आयी, अधीक्षण अभियंता पथ निर्माण विभाग ने भू-अर्जन विभाग से नो ओबजेक्शन  सर्टिफिकेट मांगा, तब भू-अर्जन विभाग ने पथ निर्माण विभाग को जवाब दिया, उक्त जमीन बिरसा कृर्षि वि’वविद्यालय कांके के मलिकाना के अधिन है, इसलिए नो ओबजेक्’शन सर्टिफिकेट बिरसा  कृर्षि वि’वविद्यालय कांके से मांगा जाए। इसी निदेशनुसार पथ निर्माण विभाग ने बिरसा  कृर्षि वि’वविद्यालय कांके को पत्र लिखा। 
पथ निर्माण विभाग के पत्र के जवाब में बिरसा कृर्षि वि’वविद्यालय कांके अपने पत्रांक एफ 39-36/08, दिनांक 17/08 को लिखा-जिन प्लोटों एवं रकबों का वर्णन आप के पत्र में है-के आलोक में यह सूचित करना है कि अभी तक भूमिं को वि’वविद्यालय अधिग्रहित ही नहीं की है, इसलिए उक्त भूमिं का अनापति प्रमाण पत्र निर्गत करने का प्र’न ही नहीं उठता है। 
उपरोक्त तमाम सक्षों का फाईल बनाकर मैंने नगड़ी के ग्रामीणों के साथ मिल कर मीडिया के सभी दत्फरों में पहुंचाई-कि सच क्या है। यही नहीं इन तमाम कागजातों का फाईल राज्य तत्कालीन मुख्यमंत्री श्री अर्जुन मुंडाजी, उपमुख्यमंत्री श्री सुदेश  कुमार महतोजी, उपमुख्यमंत्री श्री हेमंत सोरेनजी तथा समन्वय समिति के अध्यक्ष श्री शिबू  सोरेन जी को भी सौंपे। नगड़ी के सवाल का हल निकालने के लिए हाईकोर्ट के आदेशनुसार सरकार ने 5 आई एस अधिकारी तथा राज्य के भूमिंसुधार एवं रेवेन्यू मिनि’नटर श्री मथुरा महतो जी के नेतृत्व में हाई पावर कामेटी बनायी गयी थी। इस हाई पावर कामेटी ने 16 जुलाई 22 जुलाई और 28 जुलाई को नगड़ी के रैयतों के साथ बैठक की। सभी बैठको में ग्रामीणों ने अपनी बात रखी-कि हमारे पूर्वजों ने जमीन सरकार को 1957-58 में नहीं दिया है, हमारे पूर्वजों ने सरकार से जमीन का पैसा भी नहीं लिया है। आज भी हमलोग जमीन किसी भी कीमत में देना नहीं चाहते हैं-इसलिए कि यही कृर्षि भूंमि हम लोगों का जीविका का एम मात्र साधन है।  आइ आइ एम और लाॅ यूनिर्वसिटी बने लेकिन हमारी कृर्षि भूंमि पर नहीं, बंजर भूमिं पर बने। 
हमलोगों ने तय किया -कि जबतक हमारी मांगें सुनी नहीं जाएगी-लोकतंत्रिक तरीके से हमलोग आंदोलन जारी रखेगें। इसी निर्णय के साथ उपमुख्यमंत्री श्री हेमंत सोरने का आवास, समन्वय समिति के अध्यक्ष श्री शिबु सोरेन जी का आवास, उपमुख्यमंत्री श्री सुदेश  महतो जी का आवास, भूमिं सुधार एवं राज्सस्व मंत्री श्री मथुरा महतो जी का आवास, मुख्यमंत्री श्री अर्जुन मुंडी जी का आवास काला झंडा लेकर बारी  बारे से घेराव किये।

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