2012 मेरे जीवन का महत्वपूर्ण वर्ष रहा--भाग 3
इसके बाद भाग -१ से २ भी जरुर देखिएगा
कोयलकारो जनसंगठन ने बहुत कुछ सिखलाया। लड़ाई के मैदान में रहते हुए बहुत कुछ दिया। ईमनदारी से लड़ना, समझौता नहीं करना, अपने लोगों को धोखा नहीं देना, अहिंसा को संघर्ष का हथियार बनाना। अपने संसाधनों से आंदोलन को बढ़ाना, जाति धर्म और राजनीति से उपर उठकर संगठनिक ताकत को मजबूत करना। नेतृत्व को सम्मान देना। सामुहिक नेतृत्व से आंदोलन को मजबूत करना। इसी रास्ते से मित्तल कंपनी के खिलाफ आदिवासी मूलवासी अस्तित्व रक्षा मंच ने विस्थापन के खिलाफ आंदोलन को आगे बढ़ाया। आरर्सेलर मित्तल कंपनी गुमला जिला और खूंटी जिला के 40 गांवों का उजाड़ कर स्टील कारखाना बैठाना चाह रही थी। इससे एक लाख तक किसान विस्थापित होते। आदिवासी मूलवासी अस्तित्व रक्षा मंच ने लोकतंत्रिक रास्ते से हम अपने पूर्वजों का एक इंच जमीन नहीं देगें-के संकल्प के साथ आगे बढ़ता गया। 2006 में आंदोलन का जन्म जमीन बचाव संगठन के नाम से कर्रा प्रखंड में हुआ जो 2008 में आदिवासी-मूलवासी अस्तित्व रक्षा मंच के रूप में जवां हुआ और desh ही नहीं पूरे biswa में अपना पहचान बना लिया। 2010 में अरर्सेलर मित्तल के मालिक लक्ष्मीनिवास मित्तल को अपने हेडक्वाटर लगजंमर्वग से कहना पड़ा-खूंटी और गुमला जिला में जनआंदोलन बहुत मजबूत है-इस कारण वहां जमीन अधिग्रहण करना मु’िकल है। इसलिए अब अपना प्लांट के लिए जमीन दूसरा जगह देखेंगे।
मित्तल कंपनी और राज्य के तत्कालीन मुख्यमंत्री श्री अर्जुन मुंडा के बीच एमओयू हुआ था। एमओयू की काॅपी मैंने आरटीआई के तहत आवेदन देकर निकाल ली थी-ताकि सही तथ्यों की जानकारी मिल सके। एमओयू का काॅपी आदिवासी मूलवासी अस्तित्व रक्षा मंच के साथियों के साथ बैठ कर एक-एक लाईन पढ़े। ताकि हर व्यक्ति जाने कि सरकार ने गांव वालों के जमीन पर मित्तल कंपानी के साथी किस तरह का करार किया है। जमीन ग्रामीणों का और सरकार ग्रामीणों से बिना पूछे, बिना किसी तरह का सहमति लिये-उनके जमीन-जंगल, नदी-झरणों को कंपनी को देने का समझौता किया।
12 दिसंबर 2010 को कर्रा के साथियों ने फोन किया-कि जबड़ा गांव में एक डैम बन रहा है-गांव के लोग नहीं चाहते हैं कि उनका जंगल-जमीन और गांव को उजाड़ा जाए। इसलिए ग्रामीण डैम बनाने का विरोध कर रहे हैं। गांव वालों का विरोध को दबाने के लिए दो लोगों का अपहरण हुआ और इसमें से एक की हत्या कर दी गयी। और के दो लोगों को पुलिस उठा कर ले गयी। 5 दिन हो चुका है पुलिस गांव वालों को छोड़ नहीं रही है-हो सकता है इन निर्दोष लोगों को हत्या के जुल्म में जेल भेज देगी। इसलिए आप इन निर्दोषों को छुड़ाने के लिए आईये। मैं जबाव दी-आप लोग संगठित नहीं रहते हें, अपने गांव-समाज के प्रति जिम्मेवारी नहीं उठाना चाहते हें इस कमजोरी को सभी जानते हैं-यही कारण है कि आप लोगों के गांव में जबरजस्ती डैम बना रहे हैं सरकारी और जमीन माफिया। आप लोगों के कमजोरी के कारण लोगों को पुलिस दबा रही है-यही कारण हे कि निर्दोष लोगों 5 दिनों तक पुलिस बंधक बना कर रखी है। साथियों ने बार बार अग्राह किया-निर्दोषों को थाना से छुड़ाने के लिए।
17 दिसंबर 2010 को मैं पहली बार जबड़ा गांव गयीं। जबड़ा गांव में ही बैठे ग्रामीणों के साथ। मैं पहली बार देखी-बैठक में जितने भी लोग बैठे थे-सबका आंख आंसू से डबडबा गया था। महिलाओं के गोद में छोटे छोटे बच्चे थे। महिलाआएं आंसू रोकने का कोशिश कर रही थी-लेकिन आंसू रूकने का नाम नहीं ले रहा था। ग्रामीणों ने बताया-हमलोग जमीन देना नहीं चाहते हैं-जमीन चला जाएगा तो हम लोग कैसे जिंदा रहेगें?। हम लोगों का जिंदगी नरक हो जाएगा। हमारा सब कुछ उजड़ जाएगा। लेकिन सब धमकी दे रहे हैं-तुम लोग जमीन नहीं भी देना चाहोगे-फिर भी डैम बनाने के लिए जमीन तो देना ही होगा, क्योंकि यह जमीन तुम लोगों को नहीं-सरकार की है। बताते बताते ग्रामीणों का गला भर जा रहा था।
तब मैंने पूछा-आप लोग अपनी जमीन बचाने के लिए खड़ा होना चाहते हो? ग्रामीणों ने जवाब दिया-दीदी आप साथ दीजिएगा तो जरूर खड़ा होगें-हम लोग चाहते हैं कि-कोई अगुवाई करे। मैं उन लोगों की बातें सुनने के बाद -शर्त रखी, अदि अदि आप लोग खड़ा होना चाहते हैं-तो पूरी तरह खड़ा होना होगा, एैसा नहीं हो कि आप लोग फिर आगे-पीछे होने लगियेगा। लोग बोले नहीं-आप जैसा बोलेगें-हम लोग खड़ा रहेगें। मैं ने लड़को को कर्रा थाना में बंद थे को छुड़ाने के लिए थाना पहुंची। थाना प्रभारी से लंबी बात हुई डैम के बारे। इन्होंने बताया कि इन दो लोगों को छोड़ देगें-बस एसपी साहब के आदेश का इंतजार कर रहे हैं-क्योंकि एसपी साहब ने ही इन लोगों को गांव से लेकर आये हैंं ।
मैंने थाना प्रभारी के सामने बात रखी-किसी भी केस का जांच-पड़ताल करने के लिए किसी आदमी को थाना लाया जाता है-एैसी स्थिति में 25 घंटा के भीतर पूछ-ताछ की प्रक्रिया पूरी कर छोड़ दिया जाता है, लेकिन किस आधार पर आप लोगों ने इन दोनों को 5 दिनों तक रखे हुए हैं। मैंने इस संबंध में खूंटी जिला के एसपी साहब से भी बात रखी। एसपी साहब ने भरोसा दिये कि-कल तक छोड़ दे रहा हुं। थाना प्रभारी ने बताया कि-एसपी साहब बहुत गुस्सा में हैं कंपानी वालों से। मैंने पूछी क्यों गुस्सा में हैं? थाना प्रभारी ने बताया-इतना बड़ा प्रोजेक्ट है, डैम बनाना शुरू भी कर दिया, लेकिन एसपी साहब को भी जानकारी नहीं दी गयी। थाना प्रभारी ने यह भी बताये कि-इसके बारे यहां के बीडीओ, सीओ को भी जानकारी नहीं है।
सच क्या है इसको समझने के लिए मैंने 18 दिसंबर को खूंटी जिला मूख्यालय गयी। उपायुक्त श्री राकेश जी से डैम के संबंध में पूछी। उपायुक्त साहब ने कहा-इसके बारे जिला को कोई जानकारी नहीं है, कोई सूचना नहीं है। उपायुक्तजी ने पूछा-कहां पर बनाया जा रहा है? कौन बना रहा है?ं। जब इस संबंध में मैं जिला के अपरसमाहरता श्री रेमंड केरकेटा से पूछे-इन्होंने भी अनभिग्यता जाहिर की। मैं जिला के एस डी ओ श्री परमे’वर भगतजी से इस डैम के बार जानना चाही। एसडीओ साहब ने पूछने लगे-कौन बना रहा है? कितना बड़ा बना रहा हैं? कहां पर बन रहा है? किसके द्वारा बनाया जा रहा है?। मैं हैरान रही यह सून कर। इसके बाद मैंने जल संसाधन विभाग, भूअर्जन विभाग में भी आरटीआई के तहत आवेदन डाली कि आप ने कितना जमीन अधिग्रहण किये हैं? जिन किसानों के जमीन अधिग्रहण किये हैं उनका सूची, कितना एकड़ जमीन डैम के पानी में डूबेगा, कितना पेड़-पौधा डैम के पानी में डूबेगा, डैम की उचाई कितनी होगी, पानी का जमाव एरिया कितना होगा? डैम का डीपीआर क्या है-इसकी जानकारी मांगी।
सभी विभागों से जानकारी मिला, लेकिन चैंकाने वाला। सभी विभाग ने कहा-कर्रा के छाता नदी पर हमारा किसी तरह का काम नहीं चल रहा है। न ही इसकी जानकारी हमारे पास है। मैंने सभी विभागों के आरटीआई का जवाब को एक तरफ तथा जमीन पर किस तरह से काम किये जा रहा है, डैम का काम प्ररंभ कर दिया गया है-का दस हजार पमप्लेट छाप कर बांटवाये। कर्रा प्रखंड के बीडीओ, सीओ, थाना, डीसी कार्यालय, एसडीओ कर्यालय, एसपी कर्यालय, क’िमनर कर्यालय तथा गृह सचिव को भी जानकारी दिये कि-इस परियोजना के बारे में इनके कार्यालय को कोई जानकारी नहीं है।
सभी सच्चाई सामने आने के बाद लोगों ने गलत तरीके से ग्रामीणों का जमीन कब्जा किया जा रहा है-इसके खिलाफ आंदोलन को मजबूती के साथ खड़ा किये। डेढ़ साल तक जोरदार आंदोलन चला। उपरोक्त सभी अधिकारियों को मांग पत्र दिये-जिसमें हमलोगों का मूल मांग था-गलत तरीके से किसानों का जमीन कब्जा किया जा रहा है इससे रोका जाए। हम ग्रामीण किसी भी कीमत में अपने पूर्वजों का एक इंच जमीन डेम पानी में डूबने नहीं देगें। हमलागे ने अभी तक तो जीत हासिल किये हैं-एक इंच भी जमीन लेने नहीं दिये हैं।
12 जनवरी 2012 को कांके नगड़ी के ग्रामीणों ने गांव के बैठक में आमंत्रित किये थे। गांव पहुंचने के पहले पता नहीं था कि लोग किस विषय में बात-चीत करने के लिए बुलाये हैं। रांची से निकल के कांके होते हुए नगड़ी पहंुचना था। कांके बिरसा एग्रीकल्चर यूनिर्वसटिी पार करते हुए जुमार नदी पहंुचे। जुमार नदी पार करते ही रोड़ के किनारे किनारे जहां-तहां तीन-चार पुलिस गाडि़यां खडी थी। खेत के किनारे किनारे चारों ओर पुरूष और महिला पुलिस भरी हुई थी। समझ में नहीं आ रहा था कि-यहां क्या हो रहा है। एैसा लग रहा था-यहां कोई बहुत बड़ी घटना घटी है। भारत-पाकिस्तान का बोडर लग रहा था। नदी से लेकर गांव तक पुलिस थी।
गांव के अखड़ा में बैठक रखा गया था। अखड़ा में पहुचने के बाद याद आया कि इसी अखड़ा में 6 जनवरी 2008 को गांव वालों ने बैठक की थी-उस समय सरकार द्वारा काॅलेज बनाने के नाम पर ग्रामीणों का खेती की जमीन अधिग्रहण करना चाहती है-उसको रोकने के संबंध में था। आज अखड़ा में बहुत सारे आदिवासी नेता, पंचायत प्रतिनिधि और ग्रामीण अखड़ा में मौजुद थे।
बैठक का अध्यक्षता पंचायत समिति के श्री......ने किया। बैठक में चर्चा होने लगी-नगड़ी के 227 एकड़ जमीन को सरकार जबरजस्ती पुलिस के बल पर कब्जा कर रही है। राजकुमार पाहन ने ग्रामीणों द्वारा 2009 में हाईकोर्ट में दायर पिटिशन का हाईकोर्ट का फैसला पढ़कर कर सुनाये। दूसरी तरफ गा्रमीणों ने भूर्अजन विभाग को 2011-12 को जमाबंदी दिये गये रसीद की कापी दिखा रहे है। ग्रामीण बता रहे हैं-कि हम लोगों ने जमीन का पैसा नहीं लिया है और न ही जमीन देना चाहते है। गांव वालों ने बताया-1957-58 में सरकार जमीन अधिग्रहण करने का दावा कर रही है-वह बिलकूल झूठ है-हम लोगों ने जमीन का न पैसा लिये हैं-न ही जमीन दियें हैं। आज भी ग्रामीणों ने संकल्प लिया कि-जमीन किसी भी कीमत में सरकार को लेने नहीं देगे।
आज के बैठक में निर्णय लिया गया कि-18 जनवरी को यहां एक बड़ी रैली निकालेगें। रैली जतरा मैदान से निकलेगी और रोड़ -रोड़ जाकर निर्धारित स्थल पर सभा होगी। लोगों ने जिम्मेवारी भी बांट लिये रैली को सफल बनाने के लिए। सभा में कांके प्रखंड के कई पंचायतों के मुख्यिा, पंयाचत समिति सदस्य उपस्थित थे। धर्मिक संगठन से बंधन तिगा, और राजनीतिक संगठन से प्रभाकर तिर्की, रतन तिर्की भी उपस्थित थे। रैली रोड़ रोड़ नदी तक ले जाने का विचार नहीं था लेकिन गांव की महिलाओं के जिद से नदी तक रैली का ले जाया गया।
इसे रैली के बाद नगड़ी अखड़ा में और कई बैठक हुआ। इस बीच तय किया गया कि-सरकार जबरजस्ती जमीन अधिग्रहण कर रही है इस सवाल को लेकर राज्य के मुख्या मंत्री श्री अर्जुन मुंडी जी से भी मिला जाए। इसके लिए मांग पत्र बनाने के जिमा श्री राजू पाहन लिया। गांव वालों को कचहरी स्थिति धरती भवन के सरना