Thursday, September 8, 2011

jindagi me maine karma ko dil se manaya...




गाँव में सभी करमा त्योहार की तैयारी में जुट गये हैं
खेत का काम के साथ
समय निकाल कर घर का लिपाई
छबाई महिलाएं कर रही हैं
मेरे मन में भी घर छाबने की
इच्छा तो हो रही है
लेकिन समय नहीं मिल पा रहा है
करमा में माँ और शुशील दादा
के रांची से आने का इंतजार है
शुशील दादा रांची में कुली का काम कर रहा है
माँ पीपी कम्पौंड में सरदार प्रीतम सिंह के
घर आया का काम करती है
माँ एक साल से घर नहीं आये है
उनकी बीबीजी छूती ही नहीं देती है
उदिम है इस बार माँ करमा में आ जाएगी
बीबीजी को छुटी मांग कर .
बिजय दादा गांव के मोगो दादा
का गोड़ा काटने 3-4 दिनों से
जा रहे हैं
मजदूरी में गोड़ा धान ही मिला
करमा में रोटी के लिए भी
हो जाएगा
माँ रांची के पीपी कमपउंड
में सरदार प्रीतम सिंह के
घर आया का काम कर ही है
माँ को पिछले करमा में भी छुटी नहीं मिला था
इस बार नहीं मिला , शुशील दादा केवल करमा में आया
हाँ -माँ - दादा के हाथ में 2-3
पुराना फ्राक और सलवार लेकर आया है
एक पुराना रुल छाप सदी भी , पुराना है लेकिन बहुत सुंदर लग रहा है
पहली बार इतना महिन कपड़ा
देखी, बहुत सुंदर है
जब माँ घर में थी तो
गेंहू बोरा वाला मोटा कपड़ा
का कमीज और घुटना तक
पैजमा सिला देती थी
एक जोड़ी एक साल का हो जाता था
फ्र्रक हमेश सुन्दर सुद्नर खरीद देती थी
माँ करमा के दिन खूब रोटी छनती थी
आज तो माँ भी नहीं है , घर में सिर्फ दो पैला अरवा चावल
है, इसे को कुट कर रोटी बनाये हनी
रात भर लोग करमा खुब नाचे
करमा नाचने के लिए सोनमेर
कोनसा, करंज टोली, रमतोल्या
आदि गांवों से लड़के
लड़कियां आये हैं
अखड़ा में एक भी जगह नहीं है
तीन-चार लाईन में महिलाएं जोड़ाई हैं
10-12 मंदरीकार हैं
मंदर की आवाज दूर दूर तक गुंज रहा है
गांव के हर घर में मेहमान
आये हुए हैं
मेरे घर में तो माँ -बाबा भी आज नहीं हैं
पिताजी सुरवा में खंगार है
पितीजी को मैं कभी देखी थी
करमा के दिन खूब मांदर बजा रहे थे
उनका एक गीत याद है-जो
हमेशा करमा के दिन गाते थे
गीत-बोने के बोन में
झालिमिन्जुरा रे बोने के बोने में झालिमिन्जुरा रे
बोने में झालिमिन्जुर शोभाय रे
बोने में झालियामिन्जुर शोभाय-2
रात भर जमकुट नाचते रहे
सुबह की नाई किरण में
अखड़ा करमा के रस में
पूरी तरह तर हो गया है
पूरा अखड़ा झूम रहा है
अपने उम्र के साथियों के
साथ हम लोग सबसे पीछे-दीदी लोगों
के कतार में जोड़ाए नाच रहे थे.
मन में बार बार आ रहा था
अब सुबह हो रहा है
मुझको घर जाना चाहिए
रात का वर्तन साफ करना है
कांसा का लोटा-थाली भी धोना है
गांव की महिलाएं अपने अपने
घरों से लोटा में पानी और
थाली में सखुवा का ताजा दतवन
और रोटी लेकर करमा
के लिए आऐगें
माँ के बदले मेरे घर से
करमा के लिए मुझे ही
लाना होगा
बड़ी माँ के साथ मैं भी
करमा के लिए दतवन और राटी लायी
एक साथ कई महिलाएं करम राजा
के पहले दतवन दे रही हैं
उसके बाद उसको लोटो का
पानी से चारों ओर घुम कर
नहला रही हैं
सिंदुर लगा कर गले लगा रही हैं
उसके बाद उसके पत्ते में
घर से लाया रोटी का टुकड़ा को
मोड़ कर लटका दे रही हैं
मैं भी उनक लोगों को देख कर
पीछे पीछ वैसा ही करते जो
रही हुॅं
नाचते नाचते आधा सूरज
सिर के उपर तक पहुंचा
अब बूर्जगों ने कह रहे थे
इतना ही नाचो हो गया चलो
अब ले जाने की तैयारी करो
पाहन करमा का उखाड़े
युवातियों के हाथ में दिये
क्रम राजा को हर घर घुमाने
के लिए युवक-युवातियां निकल गाये
हर आंगन गीत और मांदर से
मैं भी तीन -चार घर साथ
में गयी
गुज रहा था-गीत-चालू सैं करम राजा
चालू सैं भाई को अंगना में
चालू सैं-भाई का अंगना में चालू
जिस घर -आंगन में भाभी दिख जाती हैं
वहां-गीत-का बिलाम कराले रे भावजी-2
करमा के तेल दे, सिंदुर दे से
बिलम करा ले-2
भाले भाले भाले
युवक-युवातियां पूरे गांव में घर घर
क्रम राजा को घुमाये
तब तक मैं भी घर का सुबह का
काम निपटा ली
करमा को कोटबो नदी में
ले जाकर बोहाने ले जा रहे हैं
मैं भी साथ हो ली
नदी तक नाचते-गाते गये
नदी-में करम राजा को बिदा देते समय
काईल तो करम राजा अखेड़ा में
बैसाले आईत तो करम राजा
संख नदी तीरे-तीरे
करम को नदी में विदा कर लौटते
समय साथियों के साथ
फेतोड़ चाचा के उरद खेत
में घुस कर बोदी तोड़ कर खूब खाये

1 comment:

  1. पिताजी सुरवा में खंगार है.....
    iska kua matlab hai ????

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