Wednesday, March 3, 2021

ग्रामीण अर्थव्यवस्था के लिए अबांटित 18,653 करोड़ राशि को राज्य के विकास के लिए बुनियादी ढांचों की स्थापना को प्रमुखता देने की जरूरत है।

 झारखंड सरकार- बजट 2021-22 

झारखंड की गंठबंधन सरकार ने 2021-22 के लिए 91,277 करोड़ का बजट पेस किया है। इसमे 18,653 करोड़ रूपये ग्रामीण अर्थव्यवस्था के लिए रखा है।  इसके लिए राज्य की हेमंत सरकार को निमीलिखित नीतिगत फैसला लेने की जरूरत है। इसके लिए निम्नलिखित कदम उठाते हुए, ग्रामीण अर्थव्यवस्था के लिए अबांटित 18,653 करोड़ राशि को राज्य के विकास के लिए बुनियादी ढांचों की स्थापना को प्रमुखता देने की जरूरत है। 

1--पांचवी अनुसूचि में प्रावधान अधिकारों को स्थापित करना-स्थानीय ग्रामीणों के लिए प्रावधान अधिकारों को लागू करते हुए सरकार राज्य के लघुवनोउपज और लघु उद्वोगों को स्थापित एवं संचालित करने की जिम्मेदारी स्थानीय ग्राम सभा को दे, इसके लिए ग्राम सभा इकाइयों का पंजीकरण को प्रथमिकता दी जाए। इसके लिए राज्य सरकार ग्राम सभा समितियों को काॅपरेटिव लाइसेंस दे, ताकि राज्य के खनिज संपदा के उपयोग पर स्थानीय लोगों की भागीदारी सुनिश्चित हो सके।

2--गांव-पंचायत के अंदर गिटटी, बालू, पत्थर खदान का लीज स्थानीय गांव समितियों को दंे। क्योंकि यह ग्रामीणों का कानूनी अधिकार है, जो आज तक किसी भी सरकार ने ग्रामीणों को नहीं दिया। इसके लिए ग्रामीणों को प्रशिक्षित करने का अभिायान चलाये। 

3--राज्य के खनिज से हर साल करोड़ो रूपया का रोयल्टी राज्य को मिलता है। इसका उपयोग, कृषि विकास, शिक्षा, स्वस्थ्य, रोजगार सृजन को विकसित करने में उपयोग हो, इसके लिए नीति बने। 

4--स्थानीय बेरोजगारों को कौशल विकास का प्रशिक्षण देकर स्थानीय स्तर पर ही रोजगार का अवसर दिये जाने का प्रावधान किया जाए। 

5--राज्य में कृषि विकास को प्रथमिकता देते हुए कृषि विश्वविद्यालय को सशत्क किया जाए, और यह जिम्मेवारी दी जाए की राज्य में कृषि के परंपरागत तकनीकी को सुद्धीढ किया जाए। कृषि विभाग स्वेतपत्र जारी करे कि, राज्य में कितना कृषि भूमि पिछले 50 वर्षों में घट गया है। यह भी जारी करे कि राज्य में आबादी के अनुपात खाद्यान की क्या स्थिति है? ताकि राज्य में खाद्य सुरक्षा को सुनिश्चित करने के लिए कृषि क्षेत्र को विकसित किया जा सके। 

6--पुनासी जलाशय, औरंगा जलाशय, उतरी कोयल जलाशय, बटेश्वर नहर योजना, भैखा जलाशय, सुरू जलाशाय, नकटी जलाशय, रामरेखा जलाशय, झरझरा जलाशय, घगरी जलाशाय, केशो जलाशाय, बटाने जलाशाय, सलैया जलाशाय,, कांस जलाशाय, सतपोटका जलाशाय,, तोराई जलाशाय, कतरी जलाशाय, धनसिंह जलाशाय, आदि बनाये गये हैं। राज्य में औद्योगिक विकास के लिए तिलैया डैम, कोनार, मैथन, पंचेत, तेनुघाट डैम, चांडिल डैम, इन सभी डैमों का पानी को पाईप लाईन द्वारा उन क्षेत्रों के किसानों के खेतों तक पहुंचाना सुनिश्चित किया जाए। इसे राज्य में कृषि भूमि का विस्तार के साथ कृषि उत्पादन  भी बढ़ेगा। ताकि झारखंड खाद्यन्न उत्पदान के साथ पर्यावरण संरक्षण को लेकर विश्व में मोडल पेश कर सके। 

7--राज्य में औद्योगिकीकरण के कारण जितने जलस्त्रोत प्रदूषित हो चुके हैं, उनको प्रदूषण मुत्कि किया जाए। ताकि राज्य में पानी का अभाव दूर किया जा सके। 

8--राज्य को भौगोलिक क्षेत्र सिर्फ  79,741 वर्गकिलो मीटर है। इस सीमित जंल-जमीन एवं प्रकृतिक धरोहर के साथ सस्टेनेबल विकास(टिकाउ विकास) के मोडल को लागू करने की जरूरत है। इसके लिए विकास का रोड़ मैप तैयार किया जाए, जैसे आवागमन के लिए रेलमार्ग, संडक मार्ग, हवाई मार्ग के लिए कुल कितना जमीन उपयोग करना है, कितना क्षेत्रफल कृषि के लिए, जंगल-प्र्यावरण के लिए, कितना उद्योगों के लिए उपयोग करना है। शिक्षण संस्थानो-स्कूल, काॅलेजं, इंजिनीयरिंग, टेनिकल, विश्वविद्यालयों,  अस्पताल, मेडिकल आदि की स्थापना के लिए भी जमीन उपयोग का रोड मैप तय हो । 

9--राज्य के गैर मजरूआ आम, खास, परती, जंगल-भूमि, जमीन को सरकार लेंड बेंक के दायरे में आयी हे, इन सभी नेचर के भूमि को  भूमि बैंक से मुक्त किया जाए, तभी राज्य का पर्यावरण ओैर कृषि उद्योग को विकसित हो। 

10--बड़े उद्योगों के लिए कितना पानी की जरूत है, यह तय होना चाहिए। एैसा न हो कि सारा पानी सिर्फ बड़े औद्योगिकों को ही प्रथमिकता में रखा जाता है। दूसरी ओर कृषि-पर्यावरण और सामुदाय के उपयोग के लिए पानी का हाहाकार मच जाता है। 

11--मनरेगा योजना के तहत -गांव सभा तय करे के गांव में क्या चाहिए, कृषि, जलसंसाधन और पर्यावरण को विकसित करना है, ना कि संड़क केवल बनाया जाए। 

12--राज्य में सिर्फ 13 राजकीय टेकनिकल सेंटर हैं, उससे बढाया जाये, ताकि राज्य के अधिक छात्राओं को प्रशिक्षित किया जा सके

13--राज्य में खेती किसानीं के काॅरपोरेटीकरण करने वाली किसी व्यवस्था को लागू नहीं किया जाए। ताकि ग्रामीण किसान अपने परंपरागत खेती-किसानी को विकसित कर सकेगें। 

14--किसानों के उत्पादों को बिक्री करने के लिए बाजार का उचित व्यवस्था हो, जहां किसान अपना उत्पाद उचित मूल्यों में बेच सके। 

15--राज्य में उपलब्ध वनोपज तथा कृषि उत्पाद की उपलब्धता के अनुसार राज्य के सभी जिला मुख्यालायों में एक फूड प्रशेषिंग यूनिट बनाया जाए।

16--कृषि उत्पादन एवं वनोपज की उपलब्धता के अनुसार हर प्रखंड एव जिला मुख्यालय में सरकारी कोल्ड स्टोरेज की व्यवस्था की जाने चाहिए। 

17--राज्य के अधिकांश जिलों में कुसुम, पलाश, बैर के पेड अधिकाई से मिलेगें, जिसमें किसान पहले से हि लाह खेती करते आया है, इसको और बेहतर कैसे किया जाए, इसकी नीति बनाने की जरूरत है

18--राज्य के अधिकांश जिलों में बांस होती है, आदिवासी गांवों में बहुत अधिक पैमाने पर बांस मिलेगा, इसको कुटीर -बांस उद्योग से जोड़ने की जरूरत है।

19--राज्य के भाषा-संस्कृति, लिपि, कला-संस्कृति, को विकसित -संरक्षित करने के लिए स्थानीय कलाकारों को प्रोत्साहित करने के लिए नीति बननी चाहिए। 

राज्य के सभी प्रखंड मुख्यलयों  के रेफरल अस्पतालों में दवा एवं डाक्टर, नर्स की उपस्थिति सुनिश्चित करने  के साथ जिला स्थित सदर अस्पतालों में एक-दो आईसीयू की व्यवस्था हो, ऐसी स्वास्थ्य नीति राज्य में बननी चाहिए।

-20---आॅउट सोरशिंग बद करके-स्थानीय बेरोजगारों को रोजगार प्रदान करने के लिए सभी प्रखंड मुख्यालय, स्कूल-काॅलेज, अस्पताल, पंचायत भवनों एवं जिला मुख्यालायों में चपरासी से लेकर कमप्यूटर आॅपरेटर तक स्थानीय युवाओं को नियुक्त करना होगा। 



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