Friday, May 19, 2017

आज आदिवासियों को अपने ही राज्य में अपने जल-जंगल-जमीन से उखाड फेंका जा रहा है।

आदिवासी राज्य में आदिवासी-मूलवासी किसानों की आवाज सुनने वाला कोई नहीं-यदि हम भारतीय संविधान की बात करें, तो भारतीय संविधान ने देश के हर व्यत्कि, समाज, संगठन को अपनी बात कहने की स्वतंत्रता दी है। अपनी बात कहने के तरीके भी अलग अलग हो सकते हैं-या तो सभा आयोजित कर, या रैली कर, या तो धरना-प्रर्दण के माध्यम से। हम भारत देश के नागरिक हैं-और भारतीय संविधान ने हमें किसी भी विषय पर, सरकार निर्णय पर अपनी सहमति या असहमति प्रकट करने की अभिव्यत्कि का अधिकार दिया है।
लेकिन-दुभग्य की बात है-कि झारखंड अलग हम किये हैं-का दावा करने वाली बीजेपी की सरकार आज राज्य के आदिवासी-मूलवासी किसानों की किसी भी बात को सुनने को तैयार नहीं है। यदि आदिवासी -मूलवासी अपनी आवाज बुलंद करने की कोशिश कर रहे हैं-तब उन पर अंग्रजों के समय से भी ज्यादा कठोर करवाई की जा रही है। सरकार की गलत नीतियों पर सवाल उठाने वालों को छुठे मुकदमों में फंसाया जा रहा है, जेल भेजा जा रहा है।
आज आदिवासी समुदाय सवाल उठा रहें हैं-कि जिस बीजेपी ने अलग राज्य का पुनगर्ठन आदिवासी समाज के नायक वीर बिरसा मुंडा के जन्म दिन 15 नवंम्बर को किया था, बीजेपी भी स्वीकार किया था-कि यह आदिवासी राज्य है, और यह आदिवासियों के लिए बना है, इसीलिए बिरसा मुंडा के जन्मदिन पर पूर्नगठित किया गया था। लेकिन आज आदिवासियों को अपने ही राज्य में अपने जल-जंगल-जमीन से उखाड फेंका जा रहा है। आदिवासियों को अपने ही राज्य में अभिव्यत्कि का अधिकार नहीं है।
भारतीय लोकतंत्र में झारखंड के आदिवासी-मूलवासियों के लोकतंत्र की हत्या- सीएनटी एक्ट, एसपीटी एक्ट में संशोधन के विरोध उठ खड़ा हुए जनआंदोलनों का सरकार ने दमन कियां।
सर्वविदित है-22 अक्टोबर 2016 को सीएनटी, एसपीटी संशोधन के विरोध आयोजित रैली मोराहबादी में भाग लेने से लोगों को रोका गया। रांची शहर को चारों से बैरेकेटिंग लगा कर घेरा गया, ताकि लोग मोराहबदी मैदान न पहुंच सकें।  गांव गांव पुलिस द्वारा बैरेकेटिंग लगवाया गया ताकि गांव से कोई रैली में ना जा सके।  23 नोवेम्बर 2016 को विधानसभा में 2 मिनट 57 सेकेंड में संशोधन बिल पास किया गया।
विरोध में 25 नोंबेमर 2016 को विपक्षी पार्टियों एवं जनआंदोलनों ने झारखंड बंद बुलाया। बंद सफल रहा। 2 दिसंबर 2016 को भी झारखंड बंद बुलाया गया था-इस दिन आंदोलन के अगुवों के दरवाजा में पुलिस बैठा दिया गया-ताकि लोग बंद कराने न निकलें।
सीएनटी, एसपीटी एक्ट संशोधन के विरोध चले आंदोलन में 22 अक्टोबर को सोयको में पुलिस की गोली से अब्रहम मुंडू शहीद हो गया। इसके साथ चार लोग गंभीर रूप से घायल हो गये। पुलिस ने शहीद अब्रहम के साथ 10 लोगों पर नेमड एफआइआर तथा करीब 2 हजार पर अज्ञात एफआइआर किया। इसी घटना को लेकर 23 अक्टोबर को खूंटी नीचे चैक जाम किया था, इसमें 20 लोगों पर नेमड तथा 7 हाजार लोगों पर अज्ञात एफआइआर किया गया है।

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