Thursday, October 8, 2015

(अगर वो महिलाएं डायन थी तो हम ग्रामीणों को बताते जब वे जिंदा थे, तब हमलोग पुछते कि क्या सही में आप लोग गलत हो? हम गांव वाले पूछते, लेकिन अब उनलोगों को हत्या कर दिया, अब किससे पूछेगें?) जांच का विषय




जान देना है कि जान लेना है कहा थैं -कइह के बोलाए लेई गेलाएं, और मोरल मुरदा के मारेक कहथै  -तो मरबे  उके? हमर माइंया कर बाप नी मराथे लाश  के तो उकहेे मरलैं और चोट लाइगहे।(जान देना है कि जान लेना है-बोल कर लोगों को भी बुला कर लेगये, और लाश  को हम लोगों को पिटवा रहे थे, मरल मुरदा को कौसे मारियेगा?  हमलोगों को मांइया का बाप लाश  को पिटने से इंकार किया तो, उसको भी मारे, चोट भी लगा।   पीडिता के परिवार वालों ने बताया-जब उन लोगों( महिलाओं को) को मार दिया, इसके बाद कुछ लोग घर आये और सबको धडका-धुडका के अखड़ा ले गये। वहां सबको बोला गया कि गांव में रहना है तो इसमें साइन करो। हम लोग डर के मारे वहां से खिसक गये। एक नाबालिक बताती है-वहां पांच लाश  था लेकिन किनका किनका है, यह समझ में नहीं आ रहा था। वहां सबको चेहरा देख देख कर रजिस्टर में साइन करवा रहे थे। एक साइन करने के बाद रजिस्टर को आगे बढ़ाते समय हाथ में रजिस्टर थमा कर, चेहरा देखकर बोल रहे थे-गांव में रहना है तो साइन करो। कहती है-मेरा भाई और हम को भी साइन करवाये।
 निर्दोष परिवार के लोगों को भी हत्यारों ने लाठी-डंडटा, तथा अन्या हथियार थमा कर पांचों महिलाओं के शवों को पीटवाया। महिलाओं के लाश  को जो पीटने से इंकार किया-उसको हत्यारों ने पीटा। यही नहीं अखरा में जबरन लाये गये निर्दोष लोगों को रजिस्टर में हत्साक्षर  करवाकर यह साबित करने का प्रयास किया-कि हम पूरा गांव के लोग मिलकर इन डायन-विसाहियों का हत्या किये हैं। असली साजिशकर्ता इस शजिस में सफल भी हुए।  जिन लोगों को हत्या के बाद पुरना अखड़ा में बुला कर ले जाया गया था-कहते हैं, जो हत्या करने में शा मिल नहीं थेे, उन लोगों को भी मुरदा को मरवा रहा था। सात अगस्त की रात कंजिया मराई टोली के लिए काली रात थी। रात को जब सो रहे थे-तब कुछ लोग शराब में डूबे गांव की पांच निदोश मां‘-बहनों को एक एक कर मौत के घाट उतारा। पांच महिलाओं की हत्या के बाद साजिशकर्ता तथा हत्यारों ने अपने को कानूनी कार्रवाई से बचाने के लिए अपने घरों में सो रहे लोगों को जगा कर हिदायत दिया-कि अगर तुमको समिति में रहना है तो -पुरना अखरा चलने का फरमान  दिया। किसी से कहा कि यदि तुमको गांव में रहना है तो पुरना अखरा चलो और जो हमलोग कहेगें करो, और गांव में नहीं रहना है-तो तुम्हारे साथ भी वहीं किया जाएगा, जो उन महिलाओं के साथ हुआ।
निर्दोष परिवार के लोग जिनको डरा धमका कर उस हत्याकांड में शामिल किया गया है-पूरी तरह भयभीत हैं, जिनकी पीड़ा अब दबी जुबान में बाहर प्रकट हो रहा है। हमरे गोठिया थी-निदोष मन के मुंह खोलेक होवी। ये हे तो हडबडी में हमरे मन सोचेक नी परली। और नहीं कई के बोलक नही परली और फइंस जाएही। कुछ लोग यह भी कह रहे हैं-अगर डायन रहैं तो हमरे गांवाइया-का ले अही? जिंदा रहैं सेखने गांवइया के बैठातैं-हमीन पूछती-कि तोहरे सही में गलत अहा कि, का हेका,? हमरे गांवाईया पूछती, अब मोराय देलैं केके पूछब?(अगर वो महिलाएं डायन थी तो हम ग्रामीणों को बताते जब वे जिंदा थे, तब हमलोग पुछते कि क्या सही में आप लोग गलत हो? हम गांव वाले पूछते, लेकिन अब उनलोगों को हत्या कर दिया, अब किससे पूछेगें?) 
जांच का विषय
 1-हत्या करने के पहले कुछ लोग बैठक किये-यहीं पर सभी नशापान किये। यहां यह जांच का विषय है कि-जो युवक नशा  किये-वे दारू पीये, या हंडिया पीये या फिर अंग्रेजी शराब पीये। कौन था जो शराब पिलाया? इसका शजिसकर्ता कौन है, क्या गांव है या फिर गांव से बाहर का है।
2-जिस ओझा के पास गये थे विपिन के मौत का कारण जनने, वो ओझा कौन है? सवाल यह भी है कि-किसने उस ओझा के पास जाने के लिए सलहा दिया था?
3-साधारणता अंधविष्वास सामाज के बुजूर्ग वर्ग में मिलता है, इसलिए कि ये कम पढ़ेलिखे होते है, अधिकांश  अनपढ़ होते हैं और सामाज की पुरानी परंपराओं या मान्यतों पर अस्था रखते हैं। लेकिन इस कांड को अंजाम देने में षिक्षित युवाक थे। तब इन षिक्षित युवको का अंधविष्वास में डूबा होना भी बड़ा सवाल खड़ा करता हैं।
4-अगर पूरा गांव हत्या करने में शामिल था-जिस तरह कि घटना के बाद लोग सिना तान कर बोल रहे थे-हम लोगों ने मिल कर डायन को मारा है तब-घटना के दिन बढ़ कर भूमिंका निभाने वाले युवक कार्रवाई के नाम पर डर से क्यों भागते-फिर रहे हैं?
5-अगर पूरा गांव हत्या में शामिल था-तब यहां बडा सवाल है कि-कंजिया मराई टोली में 80 परिवार है-क्या 80 परिवार अंधबिश्वाश में डूबा है, सभी डायन-विसाही पर विश्वश  है? इसका जवाब तो कंजिया मराई टोली को ही आज नही ंतो कल देना ही पड़ेगा।
6-इस गांव में अंिधकांश  घरों में लोग दारू बना कर बेचते थे-इस कांड के बाद दारू बनाना, बेचना अपने आप बंद हो गया-जबकि पहले कई बार इस गांव में भी शराब बंदी का अभियान चलाया गया महिलाओं द्वारा तब बंदी करने में विफल रहे थे।
 अगर इन बिंदुओ पर गहराई से जांच किया जाएगा-तब याह साफ हो जाएगा कि असली साजिशकर्ता कौन है?

                                                दयामनी बरला

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