प्रकृति -
आज जब भी विकास कि बात आती है -सभी एक ही बात करते है -कि देश में उद्योग -कल-कारखाना -खदान चलेगा -तभी देश विकाश कर सकता है। . अगर यही बिकाश का पैमान है तब तो हमारे राज्य और देश में गरीब-बेघर-लचर-बेवस - अन्याय -भ्रस्टाचार कि आग में हम और हमारा राज्य और देश नहीं जलता। …हम जिसको विकाश का पैमाना मन ले रहे हैं -वाली विनाश का रास्ता है -जिस पर हम जा रहे हैं। ।हमरा मन्ना है - पर्यावरण का विकास- हमारा विकास , प्रकृति का विकाश -देश का विकाश। मैं जल -जंगल -जमीन -नदी -नाला सहित प्रकृति में जितने भी हैं - सबको जीवित रहने कि बात करती हूँ -सुरक्षि रखने कि बात करती हूँ -तो लोग मुझे विकाश बिरोधी मानते हैं -
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