Monday, November 1, 2010

सांस्कृतिक बचने की सामूहिक लड़ाई ही झारखण्ड को बिकास का नया दिश दे सकता hai


यह सैलाब कोई राजनितिक रैली नहीं है। दिन भर अखडा में एक दुसरे को सुखमय जीवन की सुभकामना, जीवन के हार मोड़ में एक साथ खड़ा रहने एक दुसरे में उंयी उमीदें भरने के बाद, करमा राजा को करो नदी तक नाचते गाते विदाई देने जा रहे हैं। आज पहला अवसर है, जब इलाके के १६ गावं के लोग एक साथ करमा राजा को बिदाई देने जा रहे हैं। आदिवासी मूलवासी अस्तित्व रक्षा मंच ने यह आदर्श राज को दिया है. कुलद अखडा से चार किलोमीटर की दुरी- कुल्डा जंगल पार करते हुए करो नदी जा रहे हैं.

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