VOICE OF HULGULANLAND AGAINST GLOBLISATION AND COMMUNAL FACISM. OUR LAND SLOGAN BIRBURU OTE HASAA GARA BEAA ABUA ABUA. LAND'FORESTAND WATER IS OURS.
Saturday, July 27, 2024
झारखंड का बदलता डेमोग्राफी
झारखंड का बदलता डेमोग्राफी
अवैध मकान वैध किया गया...
1-राज्य के शहरी क्षंेत्रों में अवैध रूप संे निर्मित मकानों को नियमित करने के लिए रघुवर सरकार के समय नगर विकास व आवास विभाग ने नई नीति तैयार किया। जिसके तहत शहरी क्षेत्र में जो मकान नियामित नही थे, याने अवैध थे को बैध किया जायेगा। नीति तैयार करने के पूर्व ऐसे सभी मकानों का डाटा इकठा किया गया, जिसका नक्सा किसी सक्षम प्राधिकार से पास नहीं है, विभाग ने आम सूचना जारी कर लोगों से ऐसे मकानों का व्योरा मांगा, और उन सभी अवैध कमानों को बैध किया। रांची शहर में केवल 2.50 लाख ऐसे कमानों को बैध करने का काम किया। सूत्रों के अनुसार इसी क्रम में अवैध रूप से बसी काॅलोनियों को भी नियमित करने की नीति भी बनाये जाने की चर्चा थी। ं
Bhul Sudhar
sabhi sathiyon ko johar
mai iske pahle Kitab Bimochan per jo post dali hun Hindi me usko mai likh kar pura nahi kar payi thi, tabhi ye Galti se post ho gaya hai. iske jagal mai dusra post dalungi.
Galat post ke liye sorry.
mai sudhar kar dalungi.
Friday, July 26, 2024
मेरी 8वीं किताब " संविधान प्रदत आदिवासी अधिकार खतरे में" अभी कुछ दिनों पहले आई है।
सभी साथियों को जोहर
मेरी 8वीं किताब " संविधान प्रदत आदिवासी अधिकार खतरे में" अभी कुछ दिनों पहले आई है।
यह किताब 2014 के राज्य की तत्कालिन रघुवर दास सरकार द्धारा लागू की गई कई कानूनों का अध्ययन करने के बाद, आदिवासी समुदाय के परंपरागत अधिकारी पर किए जा रहे हमलों का जमीनी स्तर पर jo pratikul Asar dal raha hai. Iska Jameeni hakikat ka Adheyayn Report hai.
Monday, July 22, 2024
Jacinta Kerketta पुरखों द्वारा बनाई गई ज़मीन में से ही आदिवासियों ने सहृदयता के साथ गांव के आस पास बाद में बसे अन्य समुदाय के लोगों को भी जीने खाने के लिए ज़मीनें दी. आपसी सहयोग से जीने वाली एक व्यवस्था और
आदिवासी इलाकों की भूमि व्यवस्था देश के शेष इलाकों से बिल्कुल भिन्न है. पुरखों द्वारा जंगल झाड़ साफ़ कर सबसे पहले तैयार की गई ज़मीन ने आदिवासियों का अस्तित्व बचाकर रखा है. इसलिए आदिवासियों के पास अपने पुरखों द्वारा बसाए गांव हैं. जंगल और खेत हैं. पुरखों द्वारा बनाई गई ज़मीन में से ही आदिवासियों ने सहृदयता के साथ गांव के आस पास बाद में बसे अन्य समुदाय के लोगों को भी जीने खाने के लिए ज़मीनें दी. आपसी सहयोग से जीने वाली एक व्यवस्था और समाज बनाई.
आज़ादी के बाद भूमि सुधार अधिनियम में भी आदिवासी इलाकों में विशेष भूमि व्यवस्था को अलग रखा गया. देश में ये विशिष्ट मामले हैं. पर अब तकनीक और आधुनिकीकरण के इस दौर में स्थितियां तेजी से बदल रहीं हैं. केंद्र इन सारी विभिन्नता और विशिष्टता को ख़त्म करना चाहती है. राज्य और देश में भी बहुत सारे लोगों को इन व्यवस्थाओं की सही जानकारी नहीं होती. शिक्षा की कमी के कारण आदिवासी भी देश के शेष लोगों को ठीक से समझा नहीं पाते कि क्यों आदिवासी इलाकों में प्रतिरोध अधिक रहता है? इसके कारण क्या हैं? इन क्षेत्रों में वर्चस्ववादी ताकतों से संघर्ष क्यों बढ़े हैं?
सामाजिक कार्यकर्ता दयामनी बारला ने महत्त्वपूर्ण काम किया है. अत्यंत गरीब परिवार से निकली और जीवन भर समाज के लिए समर्पित रहने वाली इस कार्यकर्ता ने ज़मीन को लेकर वर्चस्ववादी ताकतों द्वारा आदिवासी इलाकों में होने वाले कई जनसंहार को रोका है. लोगों में व्यापक जन जागरूकता लाने के लिए वे लगातार जुटी रहीं हैं. आज आदिवासी इलाकों की इस भूमि व्यवस्था पर डिजिटल इंडिया भूअभिलेख आधुनिकीकरण का असर किस तरह पड़ रहा है? संघर्ष किस तरह बढ़ रहे हैं? उन्होंने इन विषयों पर एक शोध परख अच्छी किताब लिखी है.
कल 20/07/2024 को आदिवासी मूलवासी अस्तित्व रक्षा मंच के बैनर तले डॉ. रामदयाल मुंडा जनजातीय शोध संस्थान, रांची झारखंड में पूर्व निदेशक रनेंद्र जी के सहयोग से इस किताब का लोकार्पण हुआ. इसमें राज्य के सांसद, विधायक, अर्थशास्त्री, समाजिक कार्यकर्ता, बुद्धिजीवी, लेखक, कवि, विद्यार्थी सहित गांव के लोग सब मौजूद रहे. उन्होंने बहुत अच्छी बातचीत की. सबको एक दूसरे से कुछ न कुछ सीखने को मिला. यह एक महत्त्वपूर्ण कार्यक्रम रहा.
Wednesday, July 17, 2024
Khub anand purn raha jindagi ka yatra......Sayad esiko Biodata kahte hain
आत्म परिचय/ Biodata
नाम दयामनी बरला
जन्म-- xxxxxxxxxxxx
पिता-स्व0 जुरा बरला
माता-स्व0 हिसिया बरला
गांव -अरहारा बड़का टोली
थाना-कमडारा
जिला-गुमला
पति- पति नेलसन बरला
गांव-भूंण्डूपानी
थाना-जलडेगा
जिला-सिमडेगा
वर्तमान पता- दयामनी बरला
स्वतंत्रकार, न्यू गार्डेन सिरोम टोली, क्लब रोड
रॉंची -834001
झारखंड
शिक्षा 1ः प्राईमेरी -कोटबो मिशन स्कूल
प्रखंड-कमडारा-जिला गुमला
2ः मिडिल स्कूल-रातोल्या
प्रखंड-कमडारा-जिला गुमला
3ः गलोशोप मेमोरियल हाई स्कूल कमडारा-जिला-गुमला(8वीं तक)
4ः हाई स्कूल- संतमग्रेट गार्लस हाई रांची
5ः एम‐ कॉम.( राँची विश्वविद्यालय, राँची )
कार्यनुभव 1ः लिपिक सह टंकक-योगदा सतसंग सोशाईटी रांची-1994-95
2ः पार्ट टाईम काम- एकाउंटेन्ट -मेथोडिस्ट चर्च के पादरी के पास
1995 में
प्रशिक्षण- लाईब्रेरी साइ्रंस-स्टेट लाईब्रेरी-रांची-बिहार
लेखन/संपादन/शोध कार्य
1- 1995 में सहायक संपादक, शोध पत्रिका ”विकासमान“
के साथ ।
2-1996 से 1999 तक सहायक संपादक एवं लेखन सहयोग
”जनहक“ पत्रिका के साथ ।
3-1998 मे ”उलगुलान की औरतें“ पुस्तिका का
संपादन ।
अन्य गतिविधदियँा
1-जल, जंगल- जमीन रक्षा के लिए जनआंदोलनों में भागीदारी-
1- 1995 से आज तक कोयलकारो जल विद्युत
परियोजना के खिलाफ आंदोलन में भागीदारी
कर महिला नेतत्व खडा करना ।
-महिला हक-अधिकार- वर्तमान खूंटी जिला, गुमला जिला तथा सिमडेगा जिला के कई प्रखंडों के
गाँव गाँव में बैठक, सेमिनार, सभांए करना/ स्त्री अधिकारों पर बहस करना, स्त्री स्वास्थ्य
पर चर्चा एवं क्तव्य रखना
(क) -गांव सभा में महिलाओं की भागीदारी के लिए महिलाओं को संगठित करना
(ख)-ग्राम सभा में महिलाओं की भागीदारी के लिए
(ग)- जनआंदोलनों में महिलाओं की भागीदारी के लिए
(घ)- विकास योजनाओं में महिलाओं की भागीदारी के लिए
(ड.)-राजनीति में महिलाओं के भागीदारी के सवाल का पर
1998 से 2000 तक स्त्री स्वास्थ्य एवं परंपरागत चिकित्सा पद्वति को लेकर तोरपा
प्रखंड के गाँंवों में कार्य ।
5- 1996 के 73वें संसोधन के पंचायत विस्तार कानूने पर राष्ट्रपति के हस्ताक्षर के बाद-चले स्वसाषन आंदोलन में सक्रिया भागीदारी-आज तक
6-मित्तल कंपनी द्वारा खूंटी जिला, रांची जिला एवं गुमला जिला के तीस गांवों को विस्थापित कर स्टील प्लांट खडा करने के विरोध जनआंदोलन खडा किये-2008 में-अब तब
7- खूंटी जिला के कर्रा प्रखंड के कांटी जलाषल परियोजना द्वारा जबरण ग्रामीणों की खेती की जमीन अधिग्रहण के विरोध जन आंदोलन-2010ृृृृृृृृृृृृृृृृृृृ से-अब तक
8- तजना डैम के विरोध जनआंदोलन -2011ृृृृृृृृृृृृृृ से अब तब
9-नगडी आंदोलन-227 एकड जमीन जबरण सरकार द्वारा अधिग्रहण के विरोध movement
2-विस्थापितों के सामाजिक, सांस्कृतिक, आर्थिक स्थिति का अघ्ययन-
(क)-एच ई सी विस्थापितों का-जिला रांची- 1999-2000 ई में
(ख)- चांडिल डैम विस्थापितों का-जिला सराईकेला खरसंवा-2000 ई में
(ग)- तुरामडीह विस्थापितों का यूसीईएल कंपनी-से विस्थापित-पूर्वी सिंहभूम-2003 ई में
(घ)- तेनुघाट डैम विस्थापितों का-जिला बोकारो- 2006 ई में
(ड.)-बोकारो स्टील प्लांट विस्थापितों का- 2006 ई में
(च)-राउरकेला स्टील प्लांट विस्थापितों का-2008 ई में-उडिसा
लेखन- 1995 से स्वतंत्र पत्रकार के रूप में प्रभात खबर के लिए गांवों के समस्याओं पर रिपोटिग -शुरू की
1ः विषय महिला हिंसा, अत्याचार और शोषण के विरूद महिलाअेा ं
को आवाज देना
2ः महिलाओं को हक, अधिकार और न्याय की पहचान
कराना ।
3ः विस्थापितों की स्थिति पर
4ः आदिवासियों के इतिहास, झारखंड का इतिहास, झारखंड की वर्तमान स्थिति, नयी बाजार व्यवस्था में झारखंडी आदिवासी समाजिक, आर्थिक, सांस्कृतिक, इतिहासिक पहचान पर मंडराता खतरा पर
5ः ग्रामीण आदिवासी महिलाओं, युवातिायों के पलायन पर अध्ययन परक लेख
6ः ग्रामीण इलाकों में विकास योजनाओं स्थिति पर अध्ययन परक लेख
7ः पी डी एस -ग्रामीणों इलाकों में इसकी स्थिति पर अध्ययन परक लेख
8ः नरेगा की स्थिति पर अध्ययन परक लेख
5ः पत्र-पत्रिकाएं, जिनमें लेख
रिपोर्ट आदि प्राकाशित हुए
1996 में हिन्दी दैनिक अखबार ”प्रभात खबर“ -हिन्दी एवं मुणडारी में
1996 से 1999 तक हिन्दी मासिक पत्रिका ”जनहक“ ।
1999 से 2001 तक हिन्दी दैनिक अखबार ”झारखंड जागरण“ ।
1997 से अब तक हिन्दी त्रैमासिक पत्रिका ”अभियान“ ।
1997 से अब तक महिलाओं के लिए हिन्दी त्रैमासिक पत्रिका
”आधी दुनिया“ ।
1998 से अब तक हिन्दी पत्रिका ”नारी संवाद“ ।
2000 से 2001 तक हिन्दी मासिक पत्रिका ”जनहूल“ ।
2001 से अब तक हिन्दी में प्रकाशित पत्रिका ”युद्वरत आम आदमी “ ।
2003 से अब तक हिन्दी ”घर बंधु“ पत्रिका में ।
समय समय पर हिन्दुस्तान, दैनिक जगरण आदि को भी लेख
6ः एन एफ आई दिसंब्मर 2003 से जून 2004 तक
(नेशनल फाउंडेशन फॉर विषय-परंपरागत व्यवस्था में महिलाओं की स्थिति,
इंण्डिया) फेलोशिप पंचायकती राज तथा संसादीय राजनीति में
महिलाओं की स्थिति पर अध्यायन ।
7ः नरंेगा योजना में मजदूरों पर हो रहे शोषण के खिलाफ गुमला जिला के बसिया प्रखंड में आंदोलन-2006-7 में
8 -जनसूचना अधिकार के तहत गुमला जिला तथा खूंटी जिला के प्रखंडों से विकास जोयनाओं की जानकारी निकालकर ग्रामीणों का देना-
1ः बसिया प्रखंड- 2006-7 में -नरेगा योजनाओं की जानकारी और काम ।
2ः सिसई प्रखंड-2007 में- नरेगा योजनाओं की जानकारी और काम ।
3ः कमडारा प्रखंड-2006 - अंत्योदय, अन्नपूर्ण, बीपीएल सूची की जानकारी तथा पुरे प्रखंड के लाभुकों का मिलने वाले कुल राषन की जानकारी और काम ।
4.ः कमडारा प्रखंड -नरेगा योजना 2006-7, 2008 की जानकारी और काम ।
खूंटी जिला-1ः कर्रा प्रखंड -नरेगा योजना -2006-7 की जानकारी और काम ।
2ः तोरपा प्रखंड- नरेगा योजना-2006-7 की जानकारी और काम ।
3ः रनिया प्रखंड- रनेगा योजना-2006-7 की जानकारी और काम ।
9- गुमला जिला और खूंटी जिला में कृर्षि का विकास के क्षेत्र में सरकार द्वारा किये गये -सिंचाई संबंधित कार्यो की जानकारी -जनसूचना कानून के तहत निकला कर ग्रामीणों को इसकी जानकारी देना-जारी है
और काम ।
10- संगठनों से जुड़ाव- 1ः सभी विस्थापितों के आंदोलनों के साथ-बोकारो बेरमो अनुमंडल विस्थापित समिति-बोकारो, एचईसी विस्थापित संयुक्त मोर्चा, तेनुघाट विस्थापित समिति ं।
2ः आदिवासी मूलवासी अस्तित्व रक्षा मंच-
3ः भूमि सुरक्षा समिति
4ः विस्थापन विरोधी नव निर्माण मोर्चा-झारखंड
5ः इप्टा-झारखंड
6ः नेशनल एलांष ऑफ वीमेन-नावो
7ः इंडियन सोषल एक्षन फॉरम-इंसाफ
8ः जनआंदोलनों का राष्ट्रीय समन्वय-एनएपीएम
9-भूमिं अधिकार आंदोलन-राष्ट्रीय फोरम
10ः संस्थापक- आदिवासी-मूलवासी अस्तित्व रक्षा मंच
11- पुरस्कार- 1ः बेहतर ग्रामीण पत्रकारिता के लिए 8 जून,2000
को काउंटर मीडिया पुरस्कार ।
2ः बेहतर पत्रकारिता के लिए 2003 में मांझी सम्मान
3ः नेशनल मीडिया एवॉड- 2003-4
4ः चिनगारी एवॉड-2008
5ः नारी सशक्तिकरण सम्मान- 2010
5ः वेस्ट एक्टीवीस्ट पुरस्कार-2011
6ः अपराजिता सम्मान-2016
7ः महिला गौरव सम्मान-2016
8ः एलिन लूज इडिजिनश राईट एवार्ड-2013
12- विदेश यात्राएं- 1ः 2000 में- ढाका-बंगला देष- विस्थापन, आदिवासी सवालों पर सम्मेलन में
स्वराज फाउनडेषन गोवा के साथ
2ः 2000 में -दक्षिण अफ्रीका- एक्सपोजर वीजिट-आदिवासियों के बीच
बिरसा चाईबासा-झारखंड के साथ
3ः 2003 में- थईलैंड- बडे डैम के सवाल पर सम्मेलन में भाग
4ः 2004 में- फीलिपिंस- आदिवासी महिलाओं के सवालों पर सम्मेलन
5ः 2007 में -हेलसिंकी-फिनलैंड- विस्थापन एवं आदिवासी सवाल पर सम्मेलन
आदिवासी कोडिनेषन फिनलैंड के आमंत्रण पर
6ः 2007 में-अमेरिका-एआईडी के साथियों के आमंत्रण पर
7‘ 2008 में-फिनलै।ड- आदिवासी एवं विस्थापन के सवाल पर-
आदिवासी कोडिनेषन के आमंत्रण पर
8ः 2009 में -फिलिपिंस- खनिजों का दोहन एवं विस्थापन पर सम्मेलन
9ः 2009 में- जर्मनी- आदिवासी एवं विस्थापन के सवाल पर
आदिवासी कोडिनेषन जर्मनी के आमंत्रण पर
10ः फिनलैंण्ड-जनआंदोलनों की ओर से। आदिवासी किसानों के मुद्वों पर चर्चा।
13ः अमेरीका- कलचरल सरवाईवल के पुरस्कार सम्मान समारोह में आमंत्रण पर ।
14ः रोम के पोप के अधिनस्थ संगठनों द्वारा जनआंदोलनों के बुलाये गये अमांत्रण पर
17ः अमेरीका-एआईडी संगठन के अमांत्रण परं
सिंतबर 2019-नीदरलेड-गलेडसन, बिनांेद ओर रिचाड
े
14ः मेरी लिखि गयी किताब- 1-1998 मे ”उलगुलान की औरतें“ पुस्तिका का संपादन ।
2-2007 में विस्थापन का दर्द
3-एक इंच जमीन नहीं देगें
4-2009 में स्वीट पोयजन
5-2009- दो दुनिया-अमेरिका यात्रा संस्मरण
6- किसानों की जमीन की लूट किसके लिए-तीन संस्करण में।
मोदी सरकार द्वारा लाये गये जमीन अधीग्रहण अध्यादेष एवं जमीन अधिग्रहण कानून 1894 पर अधारित (प्रथम संस्करण)-2015ं ।
7-किसानों की जमीन की लूट किसके लिए-भाजपा सरकार द्वारा सीएनटी एक्ट, एसपीटी एक्ट पर प्रस्तावित संषोधन पर एवं भूमिं बैंक पर अधारित-द्वीतिये संस्करण,-2015।
8-किसाानों की जमीन की लूट किसके लिए-तृीतीय संस्करण-2016, 2017ं
9-झारखंड में धर्मातरण का सच ।
9-कॉरपोरेट खेती नहीं-परंपरागत खेती-किसानी को सशत्क करना है।
संर्धषगाथा-भाजपा सरकार द्वारा देष और राज्य के नागरिकों को भारतीय संविधान में मिले अधिकारों को समाप्त करते हुए झारखंड के आदिवासी समाज को सरना और ईसाई में बांटने की साजिष पर फोकस
10-संविधान प्रदत आदिवासी अधिकार खतरे में-2024 में प्रकाशित।
झारखंड सरकार और केंन्द्र सरकार द्वारा संचालित संस्थाओं में कार्य
1-झारखंड केडेमिक कौंसिल में सदस्यता-2007-2010 तक
2-केंन्द्र में यूपीए सरकार के समय - मानव संसाधन विकास विभाग में एसटी-एससी मोनेट्रिंग कामेटी के सदस्य रहे-2012 से 2014 तक।
जेल जीवन- जल-जंगल-जमीन और आदिवासी, मूलवासी, दलित किसानों के आधिकार की रक्षा के संघर्ष के दौरान -
आदिवासी -मूलवासी किसानों के जल-जंगल-जमीन की रक्षा को लेकर कई केस मेरे उपर थोपा गया-
1-2006 में-नरेगा के तहत जोब कार्ड ग्रामीणों को देने की मांग को लेकर रांची जिला के अनगड़ा पंख्रड में रैली को लेकर-अनगड़ा थाना में केस किया गया-2017 तक कोट में केस चला।
2-2006 में नरेगा के तहत जोब कार्ड की मांग को लेकर रैली-गुमला जिला के बसिया प्रखंड में महिलाओं की रैली को लेकर केस हुआ-2016 तक गुमला कोट में केस चला।
3-2012 में कांके नगड़ी के आदिवासी समुदाय का 270 एकड़ जमीन बचाने की लड़ाई में 7 केस मेरे उपर किया गया- तीन माह तक जेल में रही।
4-कुल 8 केस नगड़ी में आदिवासी समुदाय को 270 एकड़ जमीन बचाने के क्रम में किया गया था। 2012 से 2018-19 तक तक मुझे कई केस में मुक्त किया गया।
5- वर्तमान में नगड़ी आंदोलन का दो केस कोट में चल रहा है।
राजनीतिक गतिविधि में सक्रियता-
1995 से आज तक के सामाजिक, आर्थिक, संस्कृतिक, राजनीतिक हस्तक्षेप को समझने के बाद, मै इस निकार्ष तक पहुंची कि आज सभी स्तर पर शोषण, दमन, अन्याय, हर स्तर पर गैरबराकरी है। इसका जन्म दाता राजनीतिक परिस्थितियों को प्रभावित करने वाली पूंजिबाजर के साथ भ्रष्ट व्यवस्था है। इसे कम करने के लिए जहां आम जनता के लिए कानून बनता है और जहां से संचालित होता है, वहां जना चाहिए। ताकि अपने लोगों के लिए पूर्णता तो नहीं, लेकिन थोड़ी बहुत बेहतर काम किया जा सके।
इसी सोच के साथ हम लोगों ने 2014 से लगातार चुनावी राजनीतिक गतिविधि में भाग लेते आ रहे हैं
1-2014 के लोक सभा चुनाव में आम आदमी पार्टी की ओर से खूंटी लोक सभा से उम्मीदवारी निभायी-कुल 12,000 मत मिला था।
2-2019 के विधान सभा चुनाव में महागबंठन का उम्मीदवार के तौर पर खूंटी विधान सभा क्षेत्र के सामाजिक चितंकों ने मुझे चुनाव मैदान में उतारना चाहे। लेकिन टिकट नहीं मिलने पर हम लोगों ने तत्कालीन झारखंड विकास मोर्चा से टिकट लेकर चुनाव लड़ा। रहा-21700 मत मिला, तीसरे स्थान पर रहे।
3-कोलेबिरा उपचुनाव- 2017 के यूपीए गठबंधन के उम्मीदवार श्री नमन विकसल कोनगाड़ी के पक्ष में जनसंगठनों की टीम के साथ काम किये।
4-डुमरी विधानसभा उपचुनाव-2023-भारत जोड़ो अभियान की टीम के साथ इंण्डिया गठबंधन के उम्मीदवार श्रीमति बेबी देवी के लिए काम किये।
5-2023- अमेरिका के मसटूटय यूनिर्वसीटी में ग्रैली स्कोलर के रूप में चयनित हुई-इसके तहत पूरा अप्रैल माल मचसटीटस यूनिर्वसीटी के कई संकायों में पढ़ाने का मौका मिला।
6-2023-ग्रैली स्कोलर के लिए चयन
2023 में ग्रॅली स्कोलर के लिए मेरा चयन हुआ। इस दौरान न्यूयार्क के दा न्यू स्कूल कॉलेज में 3 दिनों तक पढाने का मौका मिला।
7-2022 में भारत जोड़ो अभियान में शामिल हुए।
8-2022 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस पार्टी के नेता श्री राहुल गांधी जी के भारत जोड़ो या़त्रा में कान्यकुमारी में शामिल हुए । तीन दिनों तक यात्रा में रहे।
9-1 मार्च 2023 को साथियों के सहमति पर, बहुत सारे साथियों के साथ सामुहिक रूप से भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस पार्टी में शामिल हुए।
10 -2024 के लोक सभा चूनाव मेे सक्रियाता रही-
1-खूंटी लोक के भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के उम्मीदवार श्री कालीचारण मुंण्डा की जीत सुनिश्चित करने के लिए काम किये।
2-लोहरदगा लोक सभा ़के भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के उम्मीदवार श्री सुखदेव भगत की जीत सुनिश्चित करने के लिए सिसई विधान सभा क्षेत्र के कमडारा और बसिया प्रखंड काम किये।
3-13-14 मई को इंण्डिया गंठबंधन के सीपीआई माले उम्मीदवार श्री बिनोद सिंह के समर्थन में कोडरमा लोक सभा एरिया में रहे।
4-आडिसा के भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस पार्टी पं्रभारी श्री डा0 अजय कुमार के अग्राह और बुलाव पर सुंदरगढ लोक सभा के संुदरगढ विधान सभा और राजगंपुर विधान सभा ़़एरिया में 15 मई से 19 मई 2024 तक काम किये।
5-झारखंड के रांची लोक सभा के भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के उम्मीदवार सुक्ष्ी यशास्वीनी के सर्मथन में 20 मई से 24 मई तक काम की।
6-दुमका लोक सभा एरिया में इंण्डिाया गठबंधन के झारखंड मुक्ति मोर्चा के श्री नलिन सोरेन के समर्थन में दो दिन काम किर्ये।
जीविका का आधार- 1996 में मैंने रांची शहर के क्लब रोड़ में रोजगार के लिए चाय की दुकान, होटल-शुरू की। हमने प्रत्यक्ष 12 लोगोे का और अप्रत्यक्ष तौर पर दर्जनों लोगों को रोजगारी देते आ रहे हैं। जो आज भी मेरे सामाजिक -राजनीतिक काम का आर्थिक रीड़ के तौर पर चल रहा है।
पताः दयामनी बरला
न्यू गार्डेन सिरोम टोली
मुंण्डू नर्सिंग होम के निकट
कल्ब रोड़-रांची
मोबाईल-9431104386
Mail. dayamanib@gmail.com
घूस नहीं दिया, तो ऑनलाइन हटाया रैयत का नाम
24-10-2021
प्रभात खबर धनबाद
दो लाख रूप्ये लेते बलियापुर के हल्का कर्मचारी का वीडियो मिला
घूस नहीं दिया, तो ऑनलाइन हटाया रैयत का नाम
विक्की प्रसाद-धनबाद
जमीन के म्यूटेशन के लिए तीन लाख रूप्ये घूस नहीं मिलने पर बलियापुर सीओ राम प्रवेश व हल्का कर्मचारी रमेश कुमार सिंह ने रैयत का ऑनलाइन से नाम हटा दिया। इसकी लिखित शिकायत उपायुक्त संदीप कुमार से रैयत विजय गोप ने की है। प्रभात खबर के पास एक वीडियो है, जिसमें हल्का कर्मयारी रमेश कुमार रूपये लेते दिख रहे हैं। शिकायत के अनुसार बलियापुर मौजा नंबर 40, खाता नंबर 506, खेसरा नंबर-1367 अतर्गत 1372, 1375,1376, -78 व 79 रैयती जमीन की रसीद 2007 तक कटी है। जमीन उनके पिता विभूति गोप के नाम पर है। नये सर्वे में जमीन को अनाबाद, बिहार सरकार में चढ़ा दिया गया। गड़बड़ी में सुधार के लिए उन्होंने उपायुक्त कार्यालय के माध्यम से बलियापुर सीओ को जांचोउरांत सुधार के लिए आवेदन दिया। कुल दिनों बाद वह बलियापुर सीओ से मिलने उनके कार्यालय पहुंचे। तो उनकी मुलाकात हल्का कर्मचारी रमेश कुमार सिंह से हुई उन्होंने सारी बात हल्का कर्मचारी को बतायी। उन्होनें सीओ से बात कर सूचना देने की बात कही। बाद में उनसे म्यूटेशन के लिए 21 लाख रूपये घूस मांगे।
ऑनलाइन म्यूटेशन के लिए 15 लाख में हुई डील-विजय गोप ने शिकायत में कहा है कि कुछ दिनों बाद हल्का कर्मचारी रमेश कुमार सिंह ने उन्हें फोन किया और पेपर ऑनलाइन हो जाने की बात कही। दो दिन बाद कर्मचारी ने फोन कर उन्हें करमाटांड स्थित नवनिर्मित हल्का कार्यालय बुलाया और जमीन से जुड़ी जानकारी लेने के बाद 21 लाख रूपये घूस मांगे। विजय ने इतने पैसे देने में असमर्थता जतायी। बाद में 15 लाख रूपये में डील फाइनल हुई।
12 लाख रूप्ये कर चुके हैं भुगतान-डील फाइनल होने के दूसरे दिन ही हल्का कर्मचारी रमेश कुमार सिंह ने एडवांस के तौर पर 10 लाख रूपये मांगे, जो शिकायत के अनुसार विजय गोप ने बलियापुर सीओ को दे दिया। करीब एक सप्ताह के बाद उन्होंने हल्का कर्मचारी को दो लाख रूपये दिये, जिसका वीडियो प्रभात खबर के पास है। 23 सितंबर को हल्का कर्मचारी रमेश कुमरी सिंह सूचना दी कि जमीन ऑनलाइन में चढ़ गयी है। तत्काल तीन लाख रूप्ये लेकर सीओ कार्यालय आयें। इसके बाद उन्हें ऑनलाइन जमीन का एक प्रिंटआउट दिया, जिसकी रसीद संख्या 0717562228 है। यह जमीन उनके पिता विभूति गोप के नाम में पेज नंबर 506, वॉल्यूम नंबर पांच में दर्ज है।
teen लाख नहीं दिया तो डिलीट किया नाम-शिकायत के मुताबिक म्यूटेशन के लिए अचो तीन लाख रूप्ये उसी दिने देने की बात बलियाुपर सीओ ने कही। इसके लिए उन्हें शाम सात बजे तक का वक्त दिया गया। सीओ ने पैसे का बंदोबस्त करने के लिए उन्हें मोहल्लत तक नहीं दी। शाम सात बजे तक पैसों का बंदोबस्त नहीं होने से नाराज सीओ ने कटी हुई रसीद ऑनलाइन से डिलीट कर दिया।
5 सितंबर 2019 का तत्कालीन मुख्यमंत्री रघुवर दास ने टवीट किया था-झारखंड देश का पहला राज्य है जहां महिलाओं के लिए 50 लाख रूपया तक की जमीन , मकान की रजिस्ट्री सिर्फ एक रूपये में होती है। अब तक डेढ़ लाख से ज्यादा महिलाएं बन चुकी हैं मकान मालकिन।
19 जून 2017
50 लाख कीमत तक के जमीन रजिस्ट्री 1 रूप्या मे किया गया-इसका लाभ किसको मिला?
झारखंड के तत्कालीन मुख्यमंत्री श्री रघुवर दास ने राज्य के सामृद्व महिलाओं को लाभ पहुुचाने के लिए भू-राजस्व एवं निबंधन विभाग के माध्यम से 50 लाख कीमत की जमीन खरीदने पर 1 रूप्या में जमीन की रजिस्ट्री करने की व्यवस्था लायी।
इस व्यवस्था के बाद हर साल 70 महिलाएं इसका लाभ उठाते रहीं। इस व्यवस्था के तहत महिलाएं एक रूप्या में जमीन, मकान, प्लैट का रजिस्ट्रेशन करायी। 2 लाख से अधिक रजिस्ट्री की गयी। इससे राज्य को 1296 करोड़ राजस्व का नुकासान भी उठाना पड़ा।
कोरोना काल में वर्तमान हेमंत सरकार ने इस व्यवस्था फिर से वापस लिया। तर्क दिया गया कि इस व्यवस्था के तहत गरीब महिलाएं लाभ नहीं ले पा रही हैं साथ ही राज्य का राजस्व का भी नुकसान हो रहा है। इसी को देखते हुए राज्य की गठबंधन सरकार ने इस व्यवस्था को वापस लिया।
5 सितंबर 2019 का तत्कालीन मुख्यमंत्री रघुवर दास ने टवीट किया था-झारखंड देश का पहला राज्य है जहां महिलाओं के लिए 50 लाख रूपया तक की जमीन , मकान की रजिस्ट्री सिर्फ एक रूपये में होती है। अब तक डेढ़ लाख से ज्यादा महिलाएं बन चुकी हैं मकान मालकिन।
जानकारी के लिए-देश के बाकी राज्यों में भी महिलाओं को रजिस्ट्री में कुछ प्रतिशत की छूट मिलती है-उदाहरण के तौर में-दिल्ली में 4 प्रतिशत स्टाम्प डयूटी देनी पड़ती है। यूपी में महिलाओं द्वारा जमीन खरीदने पर सिर्फ एक (1) प्रतिशत ही स्टाम्प डयूटी में छूट दी गयी है।
23 मार्च 2021 को राज्य सरकार ने महिलाओं को 1 रूप्या में जमीन रजिस्ट्री में छूट देने से राज्य सरकार को 400 करोड़ का नुकसान बताया। राज्य के पर्यटन, कला संस्कृति, खेलकूद एवं युवा कार्य विभाग के मंत्री हफीजुल हसन ने कहा कि पिछली सरकार ने महिला के नाम से जमीन रजिस्ट्री कराने कर छूट दी थी, इससे राज्य को करीब 400 करोड़़ रूप्ये राजस्व का नुकसान हुआ था। वह रजिस्ट्री शुल्क भी देने में सक्षम होता है। यह सिर्फ जमीन लूटने की षडयंत्र के तहत किया गया था।
जो भी नये-नये व्यवस्था जमीन संबंधित लाये गाये पिछली रघुवर दास की सरकार के द्वारा उसका समीक्षा होनी चाहिए कि आदिवासी, मूलवासी, दलित और मेहनत मजदूरी करने वाला परिवार को कितना लाभ मिला?। इसकी सूची सरकार को जारी करना चाहिए, तभी सामाजिक न्याय की बात हो सकती है।