27 मार्च 2012
आज आदिवासी मूलवासी अस्तित्व रक्षा मंच की ओर से सीएनटी एक्ट को लेकर खूंटी जिला मूख्यालय में रैली और सभा का आयोजन किया गया है। रैली 10 बजे से तोरपा रोड़ दयासागर के समीप से निकलेगी। गरर्मी तेज होते जा रही है। इसलिए साथियों ने कहा-कि गांव से लोग जल्दी निकलें, ताकि हमलोग रैली निकाल सकें। मैंने जलसंसाधन विभाग खूंटी के नाम एक आरटीआई आवेदन -तजना नदी में प्रस्तावित डैम के बारे में जानकारी मांगने के लिए लिखी हूं। मैं 4 मार्च को इस आवेदन के साथ कदमा स्थित जलसंसाधन कार्यालय भी गयी थी। उस दिन एक्जक्यूटिव इंजिनियर श्री बचनेश्वरजी बुंडू गये, मंत्री सुदेश महतो का कार्यक्रम के लिए । उनके कर्मचारियों के साथ डेम के संबंध में बातें र्हुए, आरटीआई आवेदन के बारे भीं। लेकिन एक्जक्यूटिव इंजिनियर जी ने मुझे मना किया आवेदन देने से। बोले-मेडम आप को जो भी सूचना चाहिए, मैं आप को दे दुंगा। मैं रांची में आप के बगल ही रहता हैं-रविवार को काॅपी आप के घर पहुंचा दुंगा। मैंने विश्वास किया और आवेदन छोड़ कर नहीं आयी।
लेकिन आज तक संबंधित डैम संबंधित जानकारी कोई भी कागजात मुझे नहीं मिला। आज खूंटी जाना है। मैंने जाते समय एक्जक्यूटिव इंजिनियर से फोन की-बोली आज मैं आप के पास आ रही हुं-आप को डैम से संबंधित जानकारी की काॅपी मांगी थी-फोटो काॅपी करके रखे रहिएगा-मैं आ रही हूुं। जवाब में एक्जक्यूटिव इंजिनियर ने कहा-मैडम आप को मिल जाएगा लेकिन मैं अभी रांची में एक बैठक में हुं। दूसरी बेला ही खूंटी जा सकता हूं। मैं ने कहा-ठीक है-मैं इंतजार करूंगी। आज खूंटी का रैली के लिए मेरे साथ कांके-नगड़ी में आईआईएम और लाॅ कालेज के लिए सरकार किसानों का 227 तकड़ जमीन पुलिस के बल पर कब्जा करने जा रही हैं। इसके खिलाफ में संघर्षरत ग्रमीण 3 मार्च 2012 से अपने खेत में सत्यग्रह आंदोलन में बैठे हैं। इन लोगों के बीच से सविता और मंजुला मेंरे साथ आज खूंटी जा रहे हैं।
11.3.0 बजे तक आदिवासी मूलवासी अस्तित्व रक्षा मंच के तोरपा के कई गांवों के साथी आ पहूंचे हैं। कर्रा में कांटी जलाशय के खिलाफ संघर्षरत-डैम प्रभावित संघर्ष समिति से भी जबड़ा से आ चुके हैं। कुलड़ा और कनकलोया के साथी रास्ते में है,ं पहुंचे नहीं हैं। इन सभी साथियों का इंतजार कर रहे हैं-क्योंकि सभी रैली के लिए निकले हैं। 5 मिनट के भीतर ही कोरको टोली का ट्रक पहुंच गया। इसमें महिला, पुरूष, नवजवान तथा बच्चे हर उम्र के लोग आये हैं। बंधना और बुधवा ने बताया-दीदी कुलड़ा वालों को ड्राईवर नहीं मिल रहा था-हमलोग अपना गांव का लड़का को कुलड़ा वालों का गाड़ी चलाने के लिए लाये हैं। वो लोग हम लोगों के पीछे थे-पहुंच ही रहे हैं। जैसे ही कुलडा वाले पहुंचे-रैली निकल गयी।
रैली में एक माईक आगे आगे रिक्सा में था। दूसरा माईक बीच में पुरूषों के साथ था। लोग साईकिल में बैटरी को बांधे हुए थे और चोंगा को एक पुरूष साथी कंधा पर ढ़ोया हुआ था। रैली में नारा बहुत बुलंदी के साथ साथी लगा रहे थे। नारा दूर दूर तक गुंज रहा था, विकास के नाम पर आदिवासी-मुलवासियों का जमीन लूटना बंद करो, सीएनटी को कडाई से लागू करो, जल-जंगल-जमीन हमारा है, हम अपने पुर्वजों की एक इंज जमीन नहीं देगें। रैली की अगुवाई कोई आगे आगे चल कर नहीं कर रहे थे-आगे बैनर वाले थे। लेकिन रैली किधर से गुजरेगी-यह स्वत अगुवाई आगे चल रहे साथी कर रहे थे। इतना गंभीर और अनुशासित, मैं इसे देख बहुत गर्भ महसूस कर रही हुं। कि जो मेहनत मैंने लोगों को तैयार करने में की -वह आज दिखाई दे रहा है।
कई गांव के किसान दयासागर अस्पताल के समीप रोड़ में जमा होने लगे। सब गांव के किसानों के पहुंचने के बाद वहां रैली निकली। रैली नीचे चैक होते हुए उपर चैक तक जाकर बाजार के रास्ते वापस नीचे चैक होते हुए चाईबासा रोड़ पहुंचे। खूंटी काॅलेज के सामने से खूंटी बाजार टांड पार किये ही थे-कि ई टी वी के शैलेंन्द्ररजी, हिन्दुस्तान के संवाददाता और एक दो लोग पहुंचे। कचहरी मैंदान में छोटा सा टेंन्ट लगा हुआ था। जहां 10-15 कुर्सी रखा हुआ है। मैदान रैली पहुंचने पर 5-10 मिनट तक सभी नारा लगाते रहे। धूप के कारण कुछ लोग रैली में नही शामिल हो सके वे, पहले ही मैदान में सामने पेड़ की छाया में बैठे रैली पहुंचने का इंतजार कर रहे थे। बाद में तुरतन तोपनो, हादु तोपनो और उनके साथियों ने माईक में सबको बैठने का अग्राह किये। साथ ही गांव के मुल-मुल साथियों को मंच में बुलाया।
जैसे ही रैली मंच के करीब पहुंचने लगी-नारा और बुलंद होने लगा।
नारा-सी एन टी एक्ट की मूल धारा 46 को कड़ाई से लागू करो-लागू करो, सी एन टी एक्ट के मूल धारा 46 में किसी तरह का संषोधन मंजूर नहीं-मंजूर नहीं। हमारे पूर्वजों का जमीन मत लूटो-मत लूटो, विकास के नाम पर आदिवासी मूलवासियों का विस्थापन बंद करो-बंद करो, सी एन टी एक्ट के मूलधारा 46 में किसी तरह का छेड़-छाड़ बरदस्त नहीं -बरदस्त नहीं, झारखंड के दलालों होष में आओ-होश में आओ, जमीन दलाल होश में आओ-होश में आओ, दूध मांगों तो खीर देगें-जमीन मांगों तो चीर देगें के गगन भेदी नारा गूंज रहा था।
सभा का संचलान का अध्यक्षता के लिए आदिवासी मूलवासी अस्तित्व रक्षा मंच के अध्यक्ष श्री रेजन तोपनो ने किया तथा संचालन का भार सेरनुस तोपनो को सौंपा गया। सभा को बोनिफस तोपनो, सुखनाथ सिंह, पुष्पा आइंद, शिवचरण मिश्र, बिरसा तोपनो, ने मंच की ओर से संबोधित किये। खूंटी के वकील श्री धनिक गुड़िया ने-सभा को संबोंधित करते हुए कहा-सी एन टी एक्ट कानून झारखंड के आदिवासी मूलवासियों के जंगल-जमीन के साथ इनके भाषा-संस्कृति का सुरक्षा कवच है, इसको कड़ाई से लागू करना होगा, इसके लिए हम लोगों का सरकार पर दबाव क बनाने की जरूरत हैं। इस कानून के रहते हुए-हमारा जंगल-जमीन खूले आम छीना जा रहा है-अगर यह कानून खत्म हो जाएगा, तो हम हर हालात में खत्म हो जाऐगें।
धनामुंजी से आये जोसेफ ने कहा-हम तो यहां आप लोगों को अपना दुख बांटने आये हैं। एक सप्ताह पहले एक अखबार में खबर छापा था-कि तजना नदी में जिला का सबसे बड़ा डैम बनेगा। कई गांवों का खेती का जमीन पूरी तरह से डूब जाएगा। हम लोगों का जीने का मात्र आधार सिर्फ खेत-टांड ही है। आप लोग तो लड़ाई लड़ रहे हैं-ंअब हम लोगों को भी साथ दिजीएगा। हम लोग अभी नये लोग हैं लड़ाई लड़ने के मामले में । अभी हम लोग बैठ करना शाुरू कर दिये हैं-आप लोगों को भी बुलाएगें। कांके-नगड़ी से आयी मंजूली जी ने भी बात रखी-कांके -नगड़ी के किसानों की जमीन को सरकार पुलिस के बल पर आई आई एक और लाॅ कालेज के लिए कब्जा कर रही है। जमीन को घेराबंदी कर रही है। हम लोग 3 मार्च से अपना जमीन बचाने के लिए सत्यग्रह आंदोलन प्ररंभ कर दिये हैं। आप लोगों से अग्राह है कि आप लोग भी हम लोगों को साथ दिजीएगा ताकि हम सभी मिलकर हमारा जमीन छीना जा रहा है-इसको रोकेगें।
सभा को कोयलकारो जनसंगठन के साथि अमृत गुड़िया ने संबोधित करते हुए कहा-हम किसी भी कीमत में सी एन टी एक्ट के साथ किसी तरह का खिलवाड़ होने नहीं देगें। यह बिरसा मुंडा के खून से हमारो जमीन -जंगल की रक्षा के लिए लिखा गया कानून है। इसकी रक्षा करना हमारा -पहला जिम्मेवारी है। बसंत सुरिन को अपनी बात रखने के लिए कहा गया-इन्होंने माईमक थामते ही -नारा देने लगा-मीडिया की राजनीति बंद करो, मीडिया वाले-सी एन टी एक्ट पर गलत लिखना बंद करो, मीडिया वाले होष में आओ। मैं समझ नहीं पर रही थी कि ये क्या कह रहा है। लेकिन दो मिनट के बाद मैंने खड़ी होकर बसंत को रोकने की कोषिष की, इसके बाद वह गलत नारा देना बंद किया। इसे आदिवासी मूलवासी अस्तित्व रक्षा मंच ने महसूस किया -यह हमारे सिद्वांत के खिलाफ है-हमारी मीडिया से नहीं है, हमारी लड़ाई तो उन से है-जो विकास के नाम पर हमें उजाड़ना चाहते हैं-इसमें सरकार ही क्यों न हों। मंच ने महसूस किया कि-नये लोगों को आदिवाी मूलवासी अस्तित्व रक्षा मंच के मंच में किसी भी नये साथी, जो हमारे अन्य गतिविधियों में ष्षामिल न रहा हो यह सिरियस नहीं है-उसे हमारे मंच में जगह नहीं देना चाहिए। केरको टोली के साथियों ने बिरसा मंुडा के उलगुलान के दो गीत गाये। सभा के अंतिम में खूंटी उपायुक्त को दिये जाने वाले मांग पत्र को सभा में पढ़ा गया-एक स्वर में इसे पास किया गया। इसके बाद एक प्रतिनिधि मंडल उपायूक्त कार्यालय जाकर मांग पत्र सौंपा।
शाम 5 बजे मैने जलसंशाधन विभाग के एक्जक्यूटिव इंजिनियर को फोन किये कि आप कार्यालय में हैं-मैं आ रही हूं। करीब 5.30 बजे हम लोग खूंटी बाजार निकट स्थित स्वस्थ्य पेय जल संसाधन विभाग कार्यालय में पहुंचे। मैंने से एक्जक्यूटिव इंजिनियर तजना नदी में प्रस्तावित डैम के डी पी आर के बारे में जानकारी मांगी थी, इस के संबंध में बातें की। एक्जक्यूटिव इंजिनियर ने एक 5 पेज का रिर्पाट मुझे दिये। इस रिर्पोट को मैं पलटकर देखने लगी। लेकिन इसे बहुत कुछ समझ में नहीं आ रहा था। एक्जक्यूटिव इंजिनियर ने कहा-यह रिर्पोट करीब 40 साल पहले बना हुआ है, इसका आज कुछ महत्व नहीं है। परियोजना के लिए नये सिरे से सर्वे रिर्पोट बनेगा। इसके लिए हैदराबद की कंपनी मेसर्स अवंतिका कंस्ट्रक्श्न को टार्रनकी बेसिस पर ठेका दिया गया है।
एक्जक्यूटिव इंजिनियर ने बताया कि-दिये गये ठेका के आधार पर कंपनी ही सर्वे करेगा, नक्सा बनाएगा और डिजाईन भी करेगा। इन्होंने बताया कि कंपनी न एक सर्वे टीम हैदराबाद से लेकर आया था। सर्वे किया, रिर्पोट भी तैयार कर दिया, लेकिन इसमें कुछ खामियां है। इसलिए फिर से सर्वे करने का निर्देष दिया गया है। हम लोग चाहते हैं कि एक भी घर विस्थापित न हो। अगर एक-दो घर भी डूबेगा तो उसके लिए बेहतर-पुनर्वास किस तरह किया जा सकता है-इसकी कोशिश की जाएगी।
इंजिनियर के अनुसार कंपनी के द्वारा सर्वे करने के बाद ही पता चलेगा कि -किन किसानों का कितना जमीन डैम से प्रभावति होगा या डूबेगा। सर्वे रिर्पोट तैयार करने के बाद, नाक्सा और डिजाइंनिग के बाद -यह भू-अर्जन विभाग को भेजा जाएगा। जमीन का कीमत दक्षिणी छोटानागपुर के आयुक्त तय करेगें। लेकिन काम शुरू करने की घोषणा तो आप लोग कर दिये हैं। जबाव दिये-जी सर्वे तो हो गया। काम का प्रक्रिया भी प्ररंभ कर दिया गया है। इन्होंने बताया कि यह परियोजना 28 साल पूराना है।
एक्जक्यूटिव इंजिनियर के अनुसार योजना के वित्तीय वर्ष 7-8 के पत्रांक संख्या 23, प्रशासनिक स्वीकृति दिनांक 22 फरवरी 08 को मिली है। उस समय स्वीकृत बजट 74.42 करोड़ की थी। इसका टेंडर 2008 में श्री सिंह (जाना-माना ठेकेदार) को दिया गया था। इससे 2010 में राष्ट्रपति शासन के समय इसे रदद किया गया। रदद करने का कारण पूछने पर श्री सिंह ने बताया- सिंह कोनर्टेक्टर का प्रक्कलित बजट 18.2 प्रशित अधिक था। उस समय सरकार का प्रक्कलित बतट 58 करोड़ था, इसमें लगभग 20 प्रतिशात अतिरिक्त था। याने कुल 68 करोड का था। इन्होंने बताया कि- सिंह कोनक्टेटर का टेंडर रदद किये जाने के बाद ठेकेदार ने सरकार पर केस किया हाई कोर्ट में। बहस के लिए इन्होंने सुप्रीम कोर्ट से वकील लाया था। लेकिन वह केस हर गया। इसके बाद सरकार ने दिसंबर 2010 में फिर से नया टेंडर निकाला। इस नये टेंडर में हैदराबाद की कंपनी अवांतिका को टेंडर मिला।
ग्रामीण बताते हैं-हम लोगों को पता भी नहीं था, कि हमारे यहां तजना नदी में डैम बनने वाला है। हम लोग अखबार में पढ़े -जिसमें लिखा हुआ था-जिला का सबसे बड़ा डैम तजना नदी पर बांधने वाला है। कहते हैं-कुछ दिन पहले कहां से कुछ लोग आये थे-क्या सब नाप-जोख रहे थे-कुछ पुछने पर कुछ जवाब भी नहीं देते थे, हिन्दी भी नहीं बोल पाते थे। विदित हो कि उक्त परियोजनो को लेकर ठेकेदार और सरकार के बीच केस भी हुआ-लेकिन जिन किसानों के जमीन पर उत्क परियोना बननी है, उन किसानों को पता भी नहीं है कि उनके खेत-टांड, जमीन-जंगल में डैम बनाने के लिए किसी ठेकेदार को टेंडर भी दिया जा चूका है और उसने-किसानों के जमीन पर डैम बनाने के लिए हाई कोर्ट में केस भी चल रहा है। यह अपने आप में अजीब सी बात है कि जिनके खेत-खलिहान को निलामी की जा रही है। अखिर सरकार अपने ग्रामीण जनता के प्रति किस तरह और कितना इम्मान और जिम्मेवार एवं जवाबदेह बनेगा, यह झारखंड के आदिवासी-मूलवासी किसानो के लिए सबसे बड़ा सवाल हैंै।
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