21 सितंबर 2020
प्रभात खबर रांची
हाइकोर्ट ने सुनाया फैसला-हाइस्कूल शिक्षक नियुक्ति विज्ञापन व सरकार की नियोजन नीति को हाइकोर्ट में दी गयी थी चुनौती को झारखंड हाइकोर्ट ने अवैध व असंवैधानिक करार देते हुए निरस्त कर दिया है। साथ ही 13 अनुसूचित जिलों के हाइस्कूलों में हुई शिक्षकों की सभी नियुक्तियों की भी निरस्त करने का आदेश दिया है। हाइकोर्ट न इन जिलों में नये सिरे से विज्ञापन निकाल कर बहाली करने का आदेश दिया है। यह भी कहा है कि जो अभ्यर्थी इस चयन प्रक्रिया के हिस्सा थे, उनकी उम्र अथवा अन्य बांछित आहर्ताओं को बरकरार रखते हुए नये सिरे से बहाली की जाये। हाइकोर्ट ने गैर अनुसूचित 11 जिलों में हुई शिक्षकों की नियुक्तियों को सुरक्षित रखा है। हाइकोर्ट की लाॅजर बैंच ने एकमत से सोबवार को उत्क फैसला सुनाया। र्लाजॅर बेंच में जस्टिस एचसी मि़श्र, जास्टिस एस चंन्द्रशेखर और जस्टिस दीपक रोशन शामिल थे। र्लाजॅर बेंच ने कहा कि किसी भी नियोजन में केवल “स्थानीयता या जन्मस्थान“ के आधार पर 100 प्रतिशत सीटें आरक्षित नहीं की जा सकती है। यह सुप्रीम कोर्ट के “ इंदिरा साहनी एवं चेबरूलु लीली प्रसाद राव (सुप्रा)“ पारित आदेश के खिलाफ है। सुप्रीम कोर्ट ने आदेश पारित किया था कि किसी भी परिस्थिति में आरक्षण 50 प्रतिशत से अधिक नहीं होना चाहिए।
पीठ ने कहा कि शिडयूल -5 के तहत शत प्रतिशत सीट आरक्षित करने अधिकार न तो राज्यपाल के पास है और न ही राज्य सरकार के पास। यह अधिकार सिर्फ संसद को है। इसलिए सरकार की अधिसूचना संख्या 5938/14.7.2016 तथा आदेश संख्या -5939/14.7.2016 को पूर्णतः असंवैधानिक पाते हुए रिस्त किया जाता है।
13 जिलों में 3684 शिक्षकों की नियुक्तियां होंगी प्रभावित-
हाइकोर्ट के आदेश के बाद राज्य के 13 अनुसूचित जिलों में नियुक्त 3684 हाइस्कूल शिक्षकों की नियुक्ति प्रभावित होगी। हाइस्कूलों में पिछले चार वर्ष से 17, 572 शिक्षकों की नियुक्ति प्रक्रिया चल रही है। नियुक्ति के लिए वर्ष 2016 में झारखंड कर्मचारी चयन आयोग द्वारा विज्ञापन निकाला गया था। इस विज्ञापन में 24 जिलों को दो कोटि (13 जिले अनुसूचित जिला व 11 जिले गैर अनुसूचित जिला) में बांटा गया था। अनुसूचित जिलों के पद उसी जिले के स्थानीय निवासी के लिए आरक्षित कर दिये गये थे, वहीं, गैर अनुसूचित जिले में बाहरी अभ्यर्थियों को भी आवेदन करने की अनुमति दी गयी थी। अनुसूचित जिलों में कुल 8423 पदों पर शिक्षकों की नियुक्ति के लिए आवेदन लिये गये थे। इनमें से लगभग 3684 शिक्षकों की नियुक्ति की गयी थी। ये शिक्षक वर्तमान में विद्यालयों से पदस्थापित हैं।
वहीं गैर अनुसूचित जिलों में 9149 पदों पर नियुक्ति के लिए आवेदन लिया गया था। परीक्षा वर्ष 2017 के अंत में हुई थी जबकि रिजल्ट 2019 में जारी किया गया था, शिक्षकों को नियुक्ति पत्र भी 2019 में दिया गया था। रिजल्ट प्रकाशन के बाद 8371 अभ्यर्थियों की नियुक्ति की अनुशंसा आयोग द्वारा की गयी थी। जिसमें वर्तमान में इसमें से 8082 शिक्षक विभिन्न जिलों में कार्यरत हैं, कुछ जिलों को छोड़कर अधिकार जिलों में सभी विषयों में नियुक्ति प्रक्रिया पूरी नहीं हो पायी थी। इतिहास व संस्कृत विषय में अधिकतर जिलों में शिक्षकों की नियुक्ति नहीं हुइ है।
रांची में 475 शिक्षकों की हुई है नियुक्ति-रांची नियोजन नीति के तहत अनुसूचित जिला में शामिल है। रांची के हाइस्कूलों में 475 शिक्षकों की नियुक्ति की गयी थी। हाइकोर्ट के आदेश से रांची शिक्षकों को नियुक्ति भी प्रभावित होगी-
2012 में रद हुआ था 8000 के सफल अभ्यर्थियों का रिजल्ट-वर्ष 2011-12 में प्राथमिक व मध्य विद्यालयों में शिक्षक नियुक्ति के लिए शिक्षक पात्रता परीक्षा ली गयी थी। राज्य में प्राथमिक शिक्षकों के 12 हजार पद रिक्त थे, जबकि शिक्षक पात्रता परीक्षा में 8000 अभ्यर्थी ही सफल हुए। शिक्षक पात्रता परीक्षा में रिक्त पद से कम अभ्यर्थियों के चयनित होने पर सरकार ने इनकी सीधी नियुक्ति का निर्णय लिया। सिके खिलाफ असफल अभ्यर्थियों ने हाइकोर्ट में याचिका दायर की, परीक्षा की प्रक्रिया शुरू होने के बाद इसमें बदलाव के कारण कोर्ट ने विज्ञापन रद कर दिया।
छोड़कर आये थे प्राथमिक शिक्षक की नौकरी-हाइस्कूल शिक्षक नियुक्ति में 25 फीसदी पद प्राथमिक विद्यालयों में कार्यरत शिक्षकों के लिए आरक्षित किये गये थे। झारखंड का कर्मचारी चयन आयेाग द्वारा प्राथमिक विद्यालयों में कार्यरत 215 सफल शिक्षकों की हाइस्कूल में नियुक्ति के अनुसंसा की गयी थी। इनके से लगभग आधे शिक्षक 13 अनुसूचित जिलों में कार्यरत हैं।
प्रार्थी का पक्ष
सुनवाई के दौरान प्रार्थी की ओर से अधिवक्ता ललित कुमार सिंह व राजस्थान हाईकोट्र के अधिवक्ता विज्ञान शाह ने लार्जर बेंच को बताया कि झारखंड में राज्यपाल ने पांचवी अनुसूचि के तहत अनुसूचित जिलों में 10 वर्षों के लिए तृतीय व चतुर्थ वर्गीय पदों पर नियुक्ति में स्थानीय के लिए शत-प्रतिशत सीट रिजर्व कर दी है। जाति, क्षेत्र या स्थान आदि के नाम पर नियुक्ति में शत-प्रतिशत सीट आरक्षित नहीं की जा सकती है। यह अधिकार राज्यपाल को भी नहीं है। यह संविधान के अनुच्छेद-13, 14, 16, 19 (1जी), 21 व 35एक का उल्लंघन है। नियुक्ति का मामला पार्ट-थी्र का है, जिस पर संसद, कानून बनाती है।
सरकार का पक्ष
महाविक्ता राजीव रंजन ने प्रार्थियों की दलील का विरोध करते हुए बेंच कोबताया था कि आंध्र प्रदेश का मामला अलग था। झारखंड का अलग है। राज्यपाल को पांचवी अनुसूची के तहत अधिसूचना जारी करने को अधिकार है। राज्य सरकार को पाॅलिसी बनाने का अधिकार है। स्थान व शिडयूल -5 के तहत पाॅलिसी बनायी गयी है। जो विधिसम्मत है। किसी को शत-प्रतिशत आरक्षण नहीं दिया गया है। उन्होनें बताया िकइस नीति के अनुसार हाइस्कूल शिक्षक नियुक्ति के अलावा भी अन्य विभागों में नियुक्तियां की गयी है।
लार्जर बेंच ने कहा-गलत होने पर हम मुकदर्शक बने नहीं रह सकते हैं-हाइकोर्ट
झारखंड हाइकोर्ट ने कहा है कि गलत होने पर कोर्ट मुकदर्शक बनकर नहींरह सकती है। इसलिए गलती सुणरना जरूरी है। राज्य सरका की नियोजन नीति समानता के अधिकार अनुच्छेद -14, सरकारी नौकरियों में समान अवसर के अधिकार अनुच्छेद -16 का उल्लंघन है। नीति से मौलिक अधिकार का हनन होता है। राज्य सरकार द्वारा वर्ष 2016 में लागू नियोजन नीति अल्ट्रा वायरस है। निवास के आधार पर किसी को उसके मौलिक अधिकार से बंचित नहीं किया जा सकता है।
कुल पद-17572 था
11 गैर अनूसूचित जिला में 4591 पदों की अनुशंसा
13 अनूसूचित जिलों में 4398 की नियुक्ति
इन जिलों में आरक्षित था
जिला-----पद----
रांची-----1013
खूंटी-----387
गुमला----696
सिमडेगा--427
लोहरदगा--333
पू0सिंहभूम--972
प0 सिंहभूम--1187
सरायकेला---709
लातेहार----573
दुमका---959
जामताड़ा---539
पाकुड----486
साहिबगंज--589