आदिवासी समाज का जल जंगल जमीन के जीवंत संबंध है. जल जंगल जमीन इनका धरोहर है, यही इनका भाषा , संस्कृति , इतिहास , सामाजिक मूल्य, आर्थिक मूल्य के साथ राजनितिक शक्ति भी है, आदिवासी समाज दुःख में भी नाचता गता है, और सुख में भी नाचता गता है, इसलिए हमें अपनी बिरासत को हर हल में बचा कर रखना है, हम बिकास का बिरोध नहीं करते , हम बिकास चाहते है, लेकिन आदिवासी, किसान, मजदूरों और जंगल , पहाड़ और पर्यावरण को उजाड़ कर नहीं, तथाकथित बिकास के पैरोकारों से अपील है की , प्रकृति का दोहन बंद किया जय, पर्यावरण के साथ जीना सीखें , तभी हम अगले पीढ़ी को भी हम उनके अधिकारों को दे हैं , आदिवासी समाज से दुनिया सीखना होगा की , हम प्रकृति से हैं , उसे दूना प्रकृति को देते है , यही करना है की आज भी जंगल वंही सुरक्छित है जंहा आदिवासी समुदाय है , इस सचाई को कोई छुटला नहीं सकता हैं ,
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