desh washiyon ke liye sarmnak ghatna hai... akhir iseke liye hamari kamjori bhi jimmewari hai ...
वैसे तो आए दिन इस देश में ऐसे कर्म-कुकर्म होते रहते हैं कि जिसे देखकर हमारा सिर शर्म से झुक जाता है और इंसानियत भी थर्रा उठती है। लेकिन यहां तो निर्लज्जता और बदमाशी की हद हो गई, जब एक ऐसे पुलिस ऑफिसर को राष्ट्रपति का ''वीरता अवार्ड'' दिया गया जो कि अपने काले कारनामों के लिए कुख्यात है। छतीसगढ़ कैडर का 2004 बैच का IPS अधिकारी- अंकित गर्ग,जो नक्सल ‘विरोधी’ अभियान के नाम पर निर्दोष और भोले-भाले आदिवासियों को पकड़ने,उन्हें झूठे मामलों में फँसाने,मारने-पीटने,उनकी ह्त्या करने और अपने दोषी पुलिस अधिकारियों को बचाने को लेकर खासा ‘शोहरत’ हासिल कर चुका है। हाल ही में इसने आदिवासी स्कूल टीचर सोनी सोरी को क्रूरतापूर्ण ढंग से टॉर्चर करके पूरे पुलिस महकमे के मुंह पर कालिख पोत दिया। सोनी सोरी को नंगा करने,इलेक्ट्रोनिक शॉक देने और उसके गुप्तांगों में पत्थर भरते वक्त अंकित गर्ग यह भूल गया था कि उसकी पैदाईश भी किसी महिला ने इसी रास्ते से की होगी। अंकित गर्ग को राष्ट्रपति द्वारा ''वीरता अवार्ड'' मिलने का सबसे शर्मनाक पहलू यह है कि राष्ट्रपति खुद एक महिला हैं और यह देश इस वक्त एक महिला (सोनिया गांधी) के ‘सौजन्य’ से ही चल रहा है। फिर भी एक यौन-उत्पीड़क और क्रूर पुलिस अधिकारी को ‘वीरता’ का तमगा दे दिया गया। अगर यही सब ‘वीरता’ है तो आइए ऐसी वीरता को हम लानत व शर्म भेजें और आज के इस जनरल डायर(अंकित गर्ग) का मुंह कालिख में डूबो दें....
वैसे तो आए दिन इस देश में ऐसे कर्म-कुकर्म होते रहते हैं कि जिसे देखकर हमारा सिर शर्म से झुक जाता है और इंसानियत भी थर्रा उठती है। लेकिन यहां तो निर्लज्जता और बदमाशी की हद हो गई, जब एक ऐसे पुलिस ऑफिसर को राष्ट्रपति का ''वीरता अवार्ड'' दिया गया जो कि अपने काले कारनामों के लिए कुख्यात है। छतीसगढ़ कैडर का 2004 बैच का IPS अधिकारी- अंकित गर्ग,जो नक्सल ‘विरोधी’ अभियान के नाम पर निर्दोष और भोले-भाले आदिवासियों को पकड़ने,उन्हें झूठे मामलों में फँसाने,मारने-पीटने,उनकी ह्त्या करने और अपने दोषी पुलिस अधिकारियों को बचाने को लेकर खासा ‘शोहरत’ हासिल कर चुका है। हाल ही में इसने आदिवासी स्कूल टीचर सोनी सोरी को क्रूरतापूर्ण ढंग से टॉर्चर करके पूरे पुलिस महकमे के मुंह पर कालिख पोत दिया। सोनी सोरी को नंगा करने,इलेक्ट्रोनिक शॉक देने और उसके गुप्तांगों में पत्थर भरते वक्त अंकित गर्ग यह भूल गया था कि उसकी पैदाईश भी किसी महिला ने इसी रास्ते से की होगी। अंकित गर्ग को राष्ट्रपति द्वारा ''वीरता अवार्ड'' मिलने का सबसे शर्मनाक पहलू यह है कि राष्ट्रपति खुद एक महिला हैं और यह देश इस वक्त एक महिला (सोनिया गांधी) के ‘सौजन्य’ से ही चल रहा है। फिर भी एक यौन-उत्पीड़क और क्रूर पुलिस अधिकारी को ‘वीरता’ का तमगा दे दिया गया। अगर यही सब ‘वीरता’ है तो आइए ऐसी वीरता को हम लानत व शर्म भेजें और आज के इस जनरल डायर(अंकित गर्ग) का मुंह कालिख में डूबो दें....
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सही कहा आपने|
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