26 जनवरी 2012-प्रभात खबर
एस सी, बीसी की जमीन भी सीएनटी एक्ट के दायरे में
जिले के उपायुक्त की अनुमति के बिना अब अनुसूचित जाति (एससी) व पिछड़े वर्ग (बीसी) की जमीन की खरीद-बिक्री नहीं हो सकेगी। मामले में झारखंड हाईकोर्ट ने सरकार के आदेsh को निरस्त कर दिया है। बुधवार को झारखंड हाईकोर्ट ने सालखन मूरमू की ओर से दायर जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए सीएनटी एक्ट 1908 की धारा 46 पर रोक लगाने संबंधी राज्य सरकार के aadesh को निरस्त कर दिया। इससे अब सीएनटी एक्ट 1908 की धारा 46 प्रभावी हो जायेगी।
सीएनटी एक्ट की धारा 46-
आदिवासियों की जमीन गैर आदिवासियों (एसटी) के हाथ नहीं जाये, इसके लिए ब्रिटि’ा सरकार ने छोटानागपुन टेनैसी एक्ट (सीएनटी) 1908 लागू किया। बाद में 1947 में इस एक्ट में धारा 46 जोड़ कर अनुसूचित जाति (एससी) व पिछ+ड़े वर्गों (बीसी) को भी shamil कर दिया गया। इनकी जमीन की खरीद-बिकी्र बिना उपायुक्त की अनुमति के नहीं की जायेगी। एससी व बीसी की जमीन की खरीद-बिक्री के पूर्व उपायुक्त की अनुमति लेना जरूरी है।
सरकार का था आदेsh
भूमिं सुधार व राजस्व विभाग के तत्कालीन सचिव संतोष कुमार ने चार दिसंबर 2010 को पत्र जारी कर एक्ट की धारा 46 का सख्ती से पालन करने का निर्देsh दिया था। 11 दिसंबर 2010 को आदेsh जारी कर पत्र के क्रियान्वयन पर रोक लगा दी गयी थी।
ओबीसी के बदले पिछड़ा वर्ग पढ़ा जाये-
झारखंड हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस न्यायमूर्ति प्रकाsh टाटिया व न्यायमूर्ति अपरेsh कुमार सिंह की खंडपीठ ने कहा-कानून को आदेsh या पत्र से नहीं रोका जा सकता है। एक्ट के सख्ती से पालन करने पर रोक लगाना गलत था। खंडपीठ ने कहा-ओबीसी जाति के बदले पिछ+ड़ा वर्ग पढ़ा जाये, क्योंकि कानून में पिछ+डें वर्ग का जिक्र है। अनुसूचित जाति व पिछड़े वर्ग की जमीन की खरीद-बिक्री धारा 46 के अनुसार की जायें ।
सालखन ने दायर की थी याचिका- पूर्व सांसद सालखन मुरमू ने जनहित याचिका दायर कर सीएनटी एक्ट की धारा 46 के क्रियान्वयन पर रोक लगाने संबंधी राज्य सरकार के आदेsh को चुनौती दी थी।
क्या होगा असर-
अधिवत्का राहूल कात्यायन ने कहा- मेरा मनना है कि अरबन एरिया में अच्छा असर पडेंगा। एक्ट में एससी और पिछ+ड़ा वर्ग को अनुसूचित जनजाति की तरह लाभ नहीं है। इनकी जमीन की खरीद-बिक्री उसी वर्ग के लोग संबंधित जिले में कर सकते हैं। यही संविधा अनुसूचित जाति के लोगों के लिए भी है। यहां के बैैकवर्ड काफी संपन्न हैं इस कारण इसके लागू हो जाने पर वह अच्छा डील कर सकते हैं। इसमें घाटा वैसे सामान्य वर्ग के लोगों को होनेवाला है जो shहर में बसना चाहते हैं। उनको जमीन लेने में pareshani होगी। तीन साल से पहले हुई खरीद -बिक्री के मामले में पिछड़ा वर्ग के लोगों को ज्यादा लाभ नहीं मिल पायेगा। औद्यौगिक इकाइयों के लिए ली जानेवाली जमीन में एक्ट की धारा 49 में प्रावधान किया गया है।