कारपोरेट खेती नहीं-परंपरागत खेती-किसानी को विकसित करो
तीनों नये कृषि कानून रदद करने की मांग को लेकर 28 जनवरी 2021 को खूंटी में रैली-सभा की गयी।
ध्यान देने वाली सचाई यह है कि इन तीनों नये कृषि कानून से सिर्फ अनाज यह फसल उपजाने वाले किसानों पर संकट नहीं आएगा, बल्कि किसानों के फसलों के स्थानीय छोटे व्यापारी एवं उपभोगक्ता या खरीदकर खाने वालों की भी परेशानी बढ़ेगी।
झारखंड राज्य के किसानों के आय को दोगुणी करने के लिए ग्रामीण आदिवासी-मूलवासी किसानों के जल, जंगल, जमीन, झील-झरना, पहाड़ -नदी नाला जैसे परंपरागत प्रकृतिक धरोहर की सुरक्षा की गारंटी करने की जरूरत है। राज्य के सवा तीन करोड़ आबादी को प्रर्याप्त भोजन-खाद्यान उपलब्ध कराना राज्य की पहली प्रथमिकता है। राज्य में भूख से किसी की मौत न हो, साथ ही राज्य के 56 लाख बीपीएल परिवारों को पोषक खाद्यान उपलब्ध कराने लिए प्रकृतिक संसाधनों, खेती की जमीन, जगल, वनोपज, जलस्त्रोंतों, और पयार्वरण को संरक्षित एवं विकसित करना हमारा परम दायित्व है।
जन विरोधी आर्थिक विकास के एजेंड़े को आगे बढ़ाने के लिए मोदी सरकार ने कोरोना महामारी काल के बीच देश के लिए तीन कृषि बिल/अध्यादेश 5 जून 2020 को लेकर आया है । 1-आवश्यक वस्तु (संशोधन) अध्यादेश 2020, 2-किसान उपज व्यापार एवं वाणिज्य (संवर्धन एवं सुविधा) अध्यादेश 2020 और 3-किसान (सशक्तिकरण एवं संरक्षण) मूल्य आश्वासन एवं कृषि सेवा पर करार अध्यादेश 2020। 14 सितंबर के पहले इन अध्यादेशों को संसद सत्र के पहले दिन ही इन अध्यादेशों की जगह कानून लाया गया।
इन तीनों कानूनों पर बारीकी नजर डालने पर यह स्पष्ट है कि इनका वास्तविक लक्ष्य है-कृषि क्षेत्र एवं कृषि उपज व्यापार को कमजोर करने के लिए कापोरेट समुदाय को प्रवेश का खुला अवसर देना है। कृषि उत्पादों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीद की व्यवस्थ और राज्यों की मंडियों (एग्रीकल्चर प्रोडूयज मार्केट कमेटियां) को खत्म करना, साथ ही न्यूनतम समर्थन मूल्यों पर कृषि उत्पादों की खरीद की व्यवस्था को खत्म करना एवं भारतीय खाद्य निगम को भंग करना।
जिन तीनों कानूनों की बात हो रही है, उनका सीधा प्रभाव हमारे जीवन पर पड़ने वाला है जो हम बाजार से खरीदते और खाते हैं। आवश्यक वस्तु अधिनियम में जो संशोधन किया गया है, उसके अनुसार अब अनाज, दाल, तिलहन, खाद्याय तेल, आलू, प्याज को आवश्यक वस्तुओं की सूची से हटा दिया गया है। इससे जमाखोरी और कालाबाजारी को छूट मिल जाएगी। ये सामान कंपनियां जैसे चाहेगें, अपने गोदाम में भर लेगें और मांग बढ़ने पर मनमाने दाम पर बेचेगी। इन कानूनों के तहत कारपोरेट खेती को बढाना है।
नये कानून कृषि क्षेत्र में बडे़ कोरपोरेट कंपनियों को खेती करने के लिए आमंत्रित करता है। जब कंपनी वाले खेती करेगें तो वह अपना बीज, खाद, पानी, बिजली इस्तेमाल करेगा। जब अपना बीज और खाद का उपयोग करेगा, तो निश्चित तौर पर खेती का अपना तकनीकी, मशीनों का उपयोग करेगा। कंपनी अपना उत्पादन बडे बाजार के अमीर ग्रहकों को बेचेगा, हम लोग जो दिहाड़ी, मजदूरी करके खरीद खाने वालों के क्षमता के बाहर होगा। कोरपोरेट खेती से हमारी बेरोजगारी बढेगी, खेती-किसानी पर कंपनी का कब्जा होगा।
नये कानून के लागू होने से हमारी परंपरागत खेती किसानाी, देशी खाद, बीज, अनाज सभी खत्म होगा। अगर एक किसान के पास 10 एकड़ जमीन है, तो 10 एकड़ में भूमि के आकार-प्रकार के आधार पर उसमें गोड़ा, मडुआ, बदाम, शकरकंदा, कुरथी, उरद, सुरगुजा, तिल, चंवरा धान, एवं अन्य कई तरह के धान अपनी इच्छानुसार खेती करते हैं। हमारे खेत-टांड के अगल-बगल हर मौसम में परंपरागत साग-सब्जी अपने से उगता है। जैसे चांकोड साग, सिलयारी साग, मुचरी साग, बेंग साग, सुनसुनिया, ठेपा साग, लाल भाजी, हरा भाजी, खुखडी, रूगड़ा, कोयनार, पुटकल जो बिना खेती किये होता है। जो बाजार में अच्छा किमत में बिकता है। यह हमारे लिए पौष्टिक आहार भी है। कोरपोरेट खेती से यह सभी नष्ट हो जाएगा।
तीनों नये कृषि कानून पर विस्तार से चर्चा करने की जरूरत है, ताकि आने वाले समय में इससे होने वाले क्षति से सामाज को बचाया जा
हमारी मांगें हैं-
1-तीनों नये कृषि कानून को रदद किया जाए
2-धान के साथ सब्जियों का एमएसपी (न्यूनतम सर्मथन मूल्य) तय किया जाए
3-गैर मजरूआ आम, गैर मजरूआ खास जमीन, को भूमि बैंक में शामिल किया गया है को रदद किया जाए।
4-क्षेत्र के सभी जलस्त्रोतों, नदी-नाला का पानी लिफट ऐरिगेशन के तहत पाइप लाइन द्वारा किसानों के खेतों तक पहुंचाया जाए।
5-आॅनलाइन जमीन के दस्तावेजों का हो रहा छेड़-छाड़ एवं जमीन का हेरा-फेरी बंद किया जाए।
6-संविधान के पांचवी अनुसूचि को कड़ाई से लागू किया जाए।
7-सीएनटी, एसपीटी एक्ट, मुंण्डारी खूंटकटी अधिकार, कोल्हान मानकी-मुंण्डा व्यवस्था को कड़ाई से पालान करते हुऐ गांव के भूमि हीन परिवार को 5 एकड खेती का जमीन उपलब्ध कराया जाए।
8-किसानों को भूमिहीन बनाने वाली -भारतमाला सड़क परियोजना, जो खूंटी जिला के कर्रा प्रखंड के किसानों के खेतो से होकर गुजरने वाली है, को रदद किया जाए। क्योंकि रांची-उडिसा, संम्बलपुर, बोम्बों जाने के लिए इसी क्षेत्र से रांची-उडिसा रेलवे मार्ग(डबल लाइन हो रहा है), संड़क मार्ग, संडक राजमार्ग सहित कई व्यवस्था पहले ही किया गया है।
निवेदक-आदिवासी मूलवासी अस्तित्व रक्षा मंच, मुंण्डारी खूंटकटी परिषद, आदिवासी एकता मंच।