झारखंड के औद्योगिक जिला बोकारो में इलेक्ट्रो स्टील लिमिटेड ने तीन एमटी क्षमता के स्टील प्लांट स्थापित करने के लिए चंदनक्यारी प्रखंड के 10 गांवों का 2400 एकड़ जमीन रैयतों को अंधकार में रख कर ले लिया है। कंपनी ने सीधे रैयतों से जमीन खरीदने का एग्रीमेंट नहीं किया। कंपनी के दलालों ने अपने नाम से रैयतों से जमीन सस्तें दाम पर लिया और उत्क जमीन को कंपनी को बेच दिया। रैयतों के अनुसार कंपनी के दलालों के नाम से कुछ जमीन खरीदा गया और कुछ रैयतों को जमीन जबरजस्त कंपनी ने कब्जा कर लिया। रैयतों ने बताया-जो जमीन देना नहीं चाहता है-उसको हर तरह की धमकियां दी जाती है। यदि धमकी से भी रैयत नहीं डर रहा है और जमीन देना नहीं चाह रहा है-तब कंपनी और पुलिस वाले मिल कर जमीन मालिक पर फरजी मुकदमा दायर कर रहे हैं। रैयतों ने बताया-जितने भी लोग कंपनी को जमीन देना नहीं चाहे और कंपनी द्वारा जबरन जमीन कब्जा का विरोध किये-सभी पर फरजी मुकदमा किया गया है। पीडित बताते हैं-कई लोगों पर 10-10 फरजी मुकदमा किया गया है। कपनी 2007 से लगातार रैयतों पर केस थोपते आ रही है, ताकि रैयत भय से कुछ भी आवाज न उठायें।
जमीन लेते समय स्थानीय लोगों को बताया नहीं गया कि उत्क जमीन पर स्टील प्लांट बैठाया जाएगा। जब कंपनी यहां स्टील प्लांट बैठाना शुरु किया तब रैयतों ने कंपनी से नौकरी की मांग करने लगे। साथ ही जमीन का उचित कीमत की भी मांग करने लगे। जमीन देने के बाद रैयत ठका सा महसूस कर रहे हैं। भगाबांध गांव के किसानों का 450 एकड़ जमीन कंपनी लेना चाहती थी। लेकिन कंपनी 407 एकड़ जमीन ही ले पायी। यह जमीन भी धोखे में रख कर कंपनी के सीएमडी (मालिक ) उमंग केजरीवाल के भाई बांके बिहारी केजरीवाल के बेटे श्रीश कुमार केजरीवाल के नाम से जमीन लिया गया। रैयतों ने बताये जमीन का रजिस्ट्री, रजिस्टी्र कार्यालय में नहीं हुआ था। रजिस्टारर खुद ही रजिस्टर लेकर गांव आकर जमीन का रजिस्ट्री किया था। रैयतों ने बताये-कुछ जमीन का एग्रीमेंट रैयतों के साथ सादे कागज में किया गया। कुछ एग्रीमेंट पेपर पर केंन्द्र सरकार का मोनोग्राम बना हुआ था। दिलीप कुमार महतो, नाईम अंसारी, निताई महतो ने बताये-कुछ लोगों के साथ इलेक्ट्रो स्टील कास्टिंग लिमिडेट, कुछ के साथ इलेक्ट्रो स्टील लिमिडेट इंटिग्रेटेड, कुछ के साथ इलेक्ट्रो स्टील लिमिटेड के नाम पर एग्रीमेंट किया।
रैयतों ने बताये-जब रैयतों ने नौकरी की मांग को लेकर कंपनी को घेरने लगे-तो इलेक्ट्रो स्टील इंनटिग्रेटेड लिमिटेड के पैड पर श्री श्रीश कुमार पिता श्री बांके बिहारी केजरीवाल, बोकारो स्टील सिटी ने रैयतों के साथ एग्रीमेंट किया है। इस एग्रीमेंट में कहा गया है-1-इलेक्ट्रो स्टील कल कारखाने लगाने की स्थिति में जो लाभ अन्य रैयतों को देगी वे लाभ आपलोगों को भी दिया जायेगा।
2-कल कारखाना लगाने के दौरान कंपनी तकनीकी एवं शारिरिक रूप से दक्ष एवं सक्षम लोगों जो कि जमीन देने वाले परिवार से संबंधित होगें उन्हें नौकरी एवं अन्य कार्यों में प्रथमिकता दी जायेगी।
3-कल कारखाना निर्माण के दौरान गैर तकनीकी निर्माण कार्यों में जमीन देने वाले रैयतों को कंपनी के नियमानुसार प्राथमिकता दी जायेगी। रैयत बताते हैं इस की प्रति को कंपनी के कार्यालय में जाते हैं तो कंपनी के कर्मचारी कागाज सही नहीं है कहते हुए भगा देते हैं । दूसरी ओर कंपनी अखबारों में प्रचार कर दावा कर रही है कि-20,000 लोगों को नौकरी देगी।
रैयतों के अनुसार जमीन दलालों के माध्यम से लिया गया।
अपनी माँगों को ल्रकर सभा करते रैयत-जमीन मालिक
जमीन का कीमत किसी को 500 रू0 डिसमिल, किसी को 800 रू0, किसी को 1200रू डिसमिल के हिसाब से भुगतान किया गया। रैयतों ने बताये-दलालों ने दो तरह के कागजात बनाये हैं-एक कागजात में जिस जमीन का कीमत 500 रू भुगतान किया है-उसक राशि के स्थान में 8000 रू लिखा गया है और इसी कागजात को दिखाया जाता है और पुष्टी किया जाता है कि किसानों को उचित कीमत भुगतान किया गया है। नौकरी देने के नाम पर रैयतों को गुमराह किया जा रहा है। रैयतों के साथ अलग अलग कंपनी का नाम अंकित लेटर पैड पर रैयतों को नौकरी देने का एग्रीमेंट किया जा रहा है। कुछ तो सादा कागाज पर एग्रीमेंट किया जा रहा है। तीस सितंबर को सीएम श्री हेमंत सोरेन, सरकार के प्रधान सचिव, ग्रह सचिव, लेबर कमिशनर, उद्योग सचिव, कंपनी के एसडीएम, श्री मोदी सहित कंपनी के अन्य अधिकारी एवं रैयतों की ओर से
रैयतों की सभा को संबोधित करते बिधायक श्री अरूप जी
विस्थापित नेता निताई महतो, मासास के विधायक श्री अरूप चटर्जी, मैं तथा रैयतों के वकील वर्ता में शामिल थे। हम लोगों ने रैयतों के साथ सादे कागाज पर नौकरी देने के लिए किये गये एग्रीमेंट पेपर को सीएम के हाथ थमा दिये। सीएम एक एक करके करब 15-20 पेपर को देख कर भड़क गये, बोले-ये क्या माजाक बना कर रखे हैं? ये क्या है? ये एग्रीमेंट है? बोले आप लोग रैयतों के साथ धोखा कर रहे हैं। जमीन मालिकोंको अंधकार में रख कर काम कर रहे हैं। आप लोगों इसी तरह करते रहियेगा-तो हमेशा आप को विरोध का सामना करना ही पडेगा। सीएम ने आदेश दिया-आप लोगों को रैयतों के सामने अपना स्वेत पत्र जारी कीजिए-आप का क्या निती है। विस्थापितों को जमीन के बदले क्या मिलेगा, नौकरी मिलेगा और क्या-क्या। क्या व्यवस्था है।
सीएम ने पूछा-कितना जमीन लिये हैं-एसडीएम ने जवाब दिया-2400 एकड़। उद्योग सचिव ने बतायी-इसमें से 417 एकड़ वन भूमिं है। इसमें से 139 एकड़ जंगल-झाड़ी भूंमि है-सरकारी जमीन है । दूसरे अधिकारियों ने कहा-जंगल-झाड़ी सरकारी भूंमि पर इंडस्ट्री नहीं लग सकता है। उद्योग सचिव ने कहा-139 एकड़ वन भूंमि पर वन विभाग एनओसी नहीं दे रहा है-इसको लेकर कंपनी कोर्ट में पीआईएल कर दिया है। सीएम कंपनी वालों से-अच्छा एनओसी नहीं मिला है? जी नहीं सर। सीएम अधिकारियों से बोले-देख लीजिएगा-कहां तक पहुंचा है।
वर्ता के दौरान मुख्यमंत्री श्री हेमंत सोरेन ने पूछा-आप के आर एण्ड आर पोलेसी है कि नहीं? इसके उत्तर में सीएमडी श्री उमंग केजरीवाल ने जवाब दिया-जी नहीं है सर। सीएम पुनः सवाल किये-कितनों नौकरी दिये? जवाब में सीएमडी- ने कहा-517 लोगों को। सीएम ने यह भी पूछा-कोयला ब्लोक आप को मिल गया है? जवाब में सीएमडी ने कहा-जी हां मिला है। इसी बीच उद्योग सचिव और प्रधान सचिव ने कहा-आप का कोयला ब्लाॅक का लीज क्लोयर हुआ? जवाब में कंपनी के प्रतिनिधि-ने कहा-जी क्लीयर नहीं हुआ है। यह सुन कर श्री हेमंत सोरेन ने पूछा -आप कोयला निकाल रहे हैं? जवाब में कंपनी के लोग-जी निकाल रहे हैं। इस पर मुख्यमंत्री मुस्कुराते हुए-सरकारी अधिकारीयों से-आप लोग पता कीजिए-इनका कोयला कहां बिकता है!
मसस विधायक श्री अरूप चटर्जी के नेतृत्व में 25 सितंबर से शुरू विस्थापितों के धरना कार्यक्रम में शामिल होने पहुंची टीक के सदस्यों ने फोन से सीएमडी से नौकरी देने के लिए किये गये एग्रीमेंट के बारे पूछा तो-जवाब में कहा, कंपनी बार-बार एग्रीमेंट बदल नहीं सकती है-एक बार एग्रीमेंट हुआ तो हुआ।
विकास के नाम पर जमीन देने वाले रैयत प्लांट में दिहाड़ी मजदूर बन गये। प्लांट में काम करने वाले मजदूरों को प्रति दिन 140 रू मजदूरी दिया जाता है। जबकि सरकारी मजदूरी दर 180 रू है।
स्टील प्लांट के सियालजोरी, योगिडीह, चन्दाहा, बुढी बिनोर, बिनोर, भागाबांध, मोदीडीह, आसन सोल, तेतुलिया और बाबुग्राम गांवों के रैयतों का जमीन लिया है। भागाबांध के तीन टोला है-अंसारी टोला, रजवार टोला और महता टोला। इन टोलों में करीब 500 लोग हैं। यहां के 20 प्रतिशत लोगों ने अब तक जमीन कंपनी को नहीं बेचे हैं। प्लांट के गेट ना0 1 और गेट ना0 2 के बीच 8-10 आदिवासी परिवारों की जमीन है-जिन्होंने अपनी जमीन अभी तब कंपनी को नहीं बेची है। जिनकी जमीन गेट ना0 1 और 2 के बीच है-कंपनी ने जबरजस्त जमीन कब्जा कर लिया है। ये तीनों टोला कारखाना के भीतर है। ग्रामीण बताते हैं-इन तीनों टोली के लोगों से मिलने कोई भी रिस्तेदार नहीं जा सकता है। गांव वाले भी बाहर निकलते हैं तब-कंपनी के सिक्यूरीटी उनकी तलाशी लेते हैं-जांच करते हैं। बिना जांच किये गांव वाला भी गांव के भीतर घुस नहीं सकता है। गांव के भीतर एक स्कूल भी है। यहां 54 बच्चें हैं। शिक्षक श्री बनर्जी रजवार कहते हैं-स्कूल का मरम्मती होना है। इसके लिए सामान बाहर से लाना है लेकिन कंपनी के सिक्यूरीटी लाने नहीं देते हैं। स्कूल आने-जाने वाले बच्चों की भी तलीशी सिक्यूरीटी वाले लेते हैं।
कारखाना के भीतर -भागाबंद गाँव के रजवार टोली का स्कूल -साथ में मास्टरजी
भगाबांध गांव के किसान बाजार से एक साथ 50 किलो चावल खरीद कर घर नहीं ला सकते हैं। इलेक्ट्रो स्टील कंपनी ने इस पर रोक लगा दी है। सिक्यूरिटी सिनियर श्री बंजारा कहते हैं-क्या पता चावल के भीतर कोई हथियार तो छिपा कर नहीं लाए। श्री बंजारा कहते हैं सुरक्षा का सवाल है। करखाना के भीतर कैद महाता टोली के श्री संतोषजी कागजात दिखाते हुए कहते हैं-इनके परिवार ने कंपनी को 15 एकड़ जमीन दिया। अपने पास 80 डिसमिल जमीन रखे । इस 80 डिसमिल जमीन को छोड़ने के लिए कंपनी से बार बार धमकी मिल रही है। जमीन नहीं छोड़ने पर संतोष जी के बेटे पर गांजा बेचने का अरोप लगाकर उसे गिरत्फार किया सियालजोरी पुलिस ने। जब संतोष जी बेटा को छुड़ाने गये तो संतोष जी पर भी केस ठोंक कर जेल भेज दिया गया।
कारखाना के भीतर कैद भागाबंद गाँव का महता टोला
इलेक्टो स्टील ने भगाबांध गांव के जमीन को भी कब्जा कर लिया है। रजवार टोला, महाता टोला, अंसारी टाली पूरी तरह से करखाना के भीतर कैद है। अंसारी टोला के लोग जहां से बाहर-अंदर आते -जाते थे, उनका रास्ता को पूरी तरह से बंद कर दिया गया है। रास्ता को मोटा लोहा का गेट से बंद कर बाहर से बिजलीचलित कांटानुमा तार लगा दिया गया है। जब कोई भी व्यत्कि उस गेट के पास पहुंचता है-आंदर कैद ग्रामीण दौड़ कर गेंट के पास आते हैं और अपनी पीड़ा का बयान करने लगते हैं। उनके आंखों में न्याय की गुहार करते नजरें और उनके दर्द भर दस्तान दिल को झकझोरने लगता है। 25 सितंबर को जब हमारी टीम गांव देखने पहुची-ग्रामीणों ने अपने खेत से होते हुए उस गेट में ले गये-जहां ग्रामीणों ने कंपनी को भागाबांध के ग्रामीणों के अंदर-बहर आने जाने के लिए खुला रखने के लिए अग्राह कर रास्ता छोड़वाया है। मुझ से आगे उसी बस्ती के लड़के करखाना के उस गेट तक पहुंचे। 5-6 की संख्या में लड़के थे। सिक्यूरिटी वालों ने उन लड़कों को अंदर जाने से रोकने लगे। तब सिक्यूरिटी और युवकों में तू-तू मैं-मैं होने लगी। मैं गेट पर पहुंची। मुझे देखते ही एक अधिकारी ने कहा-मैडम आइये। यह कहते उत्क अधिकारी मेंरे साथ साथ चलने लगे। मुझ से आगे आगे दा हिंन्दु के रिपोटर तथा फोटोग्राफर दो-तीन लड़को के साथ जा रहे थे। अंसारी टोला के बंद गेट के पास पहुंचते ही रिपोटर और फोटोग्राफर अंदर बस्ती से भागे भागे गेट में पहुंचे ग्रामीणों से बातें करने लगे। फोटोग्राफर फोटो खिंचने लगा। इसको देखते ही साथ चल रहे अधिकारी मुझ को छोड़ कर उस गेट के पास दौड़ते पहुंच गये और सामने तार से सट कर खड़ा हो कर फोटो नहीं खिंचने के लिए। अधिकारी के मना करने पर फोटो खिंचना छोड़ कर सभी लोग आगे बढ़ गये। लेकिन उत्क अधिकारी अभी भी उस गेट में लगा बिजलीचलित कांटानुमा तार के सामने खड़ा है। जब सभी वहां से आगे बढ़ गये, अब यहां कोई नहीं है। मैं उत्क अधिकारी के सामने खड़ी उनको अग्राह करने लगी-चलिए सभी आगे जा रहे हैं। मैं हैरान थी-उसने अपना दोनों हाथ पीछे बढ़ते जा रहा है। दोनों हाथ -भुजा को कांटानुमा तार तक पहुंचाने की कोशीश में है। उसका हाथ उस तार तक पहुंच कर उसमें सट रहा है। उनका पैर भी अहिस्ते अहिस्ते पीछे एंड़ी घिसक रहा है-मुझे समझ में आने लगा-कि ये अपना हाथ को तार के कांटो से सटा कर घायल करना चाह रहा है, एंड़ी पिछे घिसकाते जा रहा है-याने कांटा में अपना पैर का चोट करने की कोशिश में है। मेरी निगाह उनके दोनों हाथ के भुजाओं और पैर था। इसी बीच कोई एक व्यत्कि आया उनके हाथ को चलिए कहते हुए पकड़ा और ले गया। जब तक मैं वहां से अपना पैर उठा कर आगे उस ओर बढ़ायी जिधर बाकी लोग जा रहे हैं-मैं आंख उठा कर आगे देखी-श्री तब तक मैं इस अधिकारी का नाम से अनजान थी-बाद में वहां मौजूद स्थानीय लोगों से इनका नाम पूछी-लोगों ने बताया-सिक्यूरिटी इंचार्ज बंजारा है। मेरा मन उस साजिश को समझ चुका था-मन मेरा भयभीत हो रहा था इस साजिश से। अभी भी यह दृ’य आंख के सामने झलकने लगता है, और मन सिहर उठता है।
यह है कारखाना के भीतर कैद -अंसारी टोला
अंसारी टोला से आगे बढ़+े-थोड़ा आगे कुछ गार्ड लोग थे। थोड़ा आगे दहिनी ओर चैडा सा लोहा का गेट के भीतर गिटी आदि का ढ़ेर दिख रहा था। उसे आगे बढ़े बांयी ओर करखाना का दिवार और दहिनी ओर चहरदीवारी था। जो रोड़ रजवार टोली और तक जाती है-10-12 फीट तक का होगा। ग्रामीणों ने बताया यह रोड़ गांव का ही है। रजवार टोली पहुंचते हल्का अंधेरा होने लगा था। पानी भी बरसने लगा था। छाता लगा कर ही हम लोग रजवार टोली और महाता टोली में घुम। लोगों से बात किये। संतोषजी के घर बैठे कागजातों को देखे। कई रैयतों से बातें हुई । अब तक अंधकार छा गया है। रैयतों के घरों के चारों ओर विशाल करखाना है। घर के अंदर ललटेन के प्रकाश में रैयतों ने हमलोगों ने कागजा दिखाये। घर से निकलते समय पैर संभाल कर निकल रहे थे। जैसे ही बाहर निकले महज 100 गज में विशाल ल करखाना जगमगा रहा है। टोली के पीछे उत्तर दिशा , पूरब दिशा में भी करखाना में बिजली जगमगा रहा है। महाता टोली से पचीचम रजवार टोली है। तभी तो घर सब दिख रहा था लेकिन अब अंधकार में डुब गया। हमलोग मुबाईल के ट्रोचलाईट से रास्ता खोजते हुए बाहर निकलें। इधर तो करखाना का लाईट जगमागा रहा था। हम लोगों के साथ सियालजोरी थाना की पुलिस और श्री बंजारा साथ साथ थे और हमलोग उनके सामने ही बाहर निकले।
यह है कारखाना के भीतर - महता टोला
8 अक्टोबर 13 के प्रभात खबर के अनुसार कंपनी द्वारा चंदनकियारी में तीन एमटी क्षमता के स्टील प्लांट का निर्माण हो गया है। कंपनी को पर्वतपुर कोल ब्लाक आवंटित किया गया है। पर आयरन ओर के लिए आवंटित कोदलीबांद माइंस के लिए दी गयी क्षतिपूर्ति वन भूमिं पिछले एक वर्ष से लंबित है। उत्पादन आरंभ करने के लिए 9-9-2011 करे ही कसेट टू आॅपरेट का आवेदन झारंखड राज्य प्रदूषण नियंत्रण पर्षद के पास लंबित है। कंपनी द्वारा 10 हजार करोड़ रूपये का निवेश किया जा चुका है।
कंपनी को अभी तक-1-कोयला माइंस का क्लीयरेंस नहीं मिला है
2-प्लांट लगाने के लिए 2400 एकड़ जमीन कंपनी ने गैर कानूनी तरीके से कब्जा किया है, इसमें 139 एकड़ वन भूमिं है-वन विभाग ने इसका एनओसी अभी तक नहीं दिया है
3-आयरन ओर के लिए आवंटित कोदलीबाद माइंस के लिए दी गयी क्षतिपूर्ति वन भूंमि पिछले एक साल से लंबित है।
4-उत्पादन आरंभ करने के लिए 9.9.2011 को ही कंसेट टू आॅपरेट का आवेदन झारखंड राज्य प्रदूषण नियंत्रण पर्षद के पास लंबित है।
दूसरी ओर इलेक्ट्रो स्टील कंपनी 2006 से ही कोयला माइंस भी चला रही है और 6 एमटी वाला स्टील करखाना भी 2007 से निर्माण कार्य शुरु किया जो 2012 से उत्पादन भी प्ररंभ कर दिया ।
झारखंड राज्य का मालिक अब राज्य सरकार नहीं है-राज्य का मालिक देशी -विदेशी कंपनियां हैं, जो राज्य सरकार को चला रही है। कंपनियों के आगे सरकार का नियम-कानूनी कुछ भी नहीं चलता है -कंपनियां सरकार के नियम कानून का धलियां उड़ा रही हैं-लेकिन सरकार लाचार है, बेचारी है-कंपनी पर कोई कार्रवाई नहीं कर सकती है।
यह सर्वविदित है कि-जो लोग सरकार को यह बताने की कोशिश करते हैं-कि कंपनी वाले, पूजिपति संवैधानिक कानूनों को तोड़ कर जबरन आदिवासीयों-मूलवासियों, किसानों का जल-जंगल-जमीन कब्जा कर रहे हैं-इसंसे रोका जाए, इस तरह के सवाल उठाने वालों को सरकार, कंपनी और जमीन दलाल-माफिया मिल कर उग्रवादी, उपद्रावी, राजद्रोही, विकास विरोधी कराक दे कर फर्जी मुकदामा लगा कर जेल में बंद कर देते हैं।
आप लोगों को बता दें-25 सितंबर 2013 को रैयतों ने अपनी मांगों को लेकर काम रोड जाम आंदोलन किये थे। इस आंदोलन को समर्थन देने रांची से तीन साथी गये थे, साथ में मीडिया के साथी भी थे। 2 बजे पहुंचे। सभा स्थल में भाषण दिये। इसके बाद खिचड़ी खाने के बाद भागाबांध गांव गये। कंपनी ने मासस विधायक श्री अरूप चटर्जी के साथ मेरे उपर और साथ में 26 साथियों पर करखाना में तोड़-फोड़ करने, गाली-गलौज करने, मार-पीट करने का अरोप लगा कर सियालजोरी थाना में केस कर दिया