A JOURNEY FOR PROTECT EXISTENC.
VOICE OF HULGULANLAND AGAINST GLOBLISATION AND COMMUNAL FACISM. OUR LAND SLOGAN BIRBURU OTE HASAA GARA BEAA ABUA ABUA. LAND'FORESTAND WATER IS OURS.
Tuesday, May 20, 2025
2012 me kanke Nagdi ke kisan apne Jameen ki rakcha ke liye sangharsh kiye. us samay kendar me cong. Led Shree Manmohan Singh ki sarkar thi, Unhone kisano ki Awaj suni aour IIm ka nirman Sukurhutu ke Banjar Bhumi me kiya. Aaj is jameen ko phir se sarkar kisanon se Chinna chah rahi hai...jo kisano ke sath unneyay-Nainsaf hai.
Saturday, March 1, 2025
एैसी स्थिति में ट्राइबल एडवाईजरी काउंसिल के साथ हमारी अबुआ सरकार की जिम्मेवारी बनती है आदिवासी समुदाय को न्याय देने का।
भारतीय संविधान की पांचवी अनुसूची के तहत देश में झारखंड सहित 10 राज्यों को पांचवी अनुसूचित क्षेत्र घोषित किया गया है। इन राज्यों में ट्राइबल एडवाइजरी काउंसिल का गठन किया जाता है। जो राज्य के अनुसूचित जनजातियों के कल्याण, विकास योजनाओं एवं समस्याओं पर सरकार को सलाह देने का काम करती है। झारखंड सरकार में इण्डिया गठबंधन की हेमंत सरकार है। आदिवासी सलहाकर परिषद में 19 सदस्यों की सूचि अनुसूचित जनजाति, अनुसूचित जाति, अल्पसंख्यक एवं पिछड़ावर्ग कल्याण विभाग ने 21 /2/2025 को जारी कर दिया है। इन मुख्यमंत्री श्री सोरेन पदेन अध्यक्ष होगें। चमरा लिंण्डा विभागीय मंत्री अनुसूचित जनजाति, अनुसूचित जाति, अल्पसंख्यक एंव पिछड़ा वर्ग कल्याण विभाग- पदेन उपाध्यक्ष होगें।
सदस्यों में राज्य के दो पुर्व मुख्यमंत्री सहित वर्तमान मुख्यमंत्री के साथ तीन मुख्यमंत्री हैं। प्रथम एवं पूर्व मुख्यमंत्री श्री बाबूलाल मरांडी वर्तमान में भाजपा में हैं साथ ही पूर्व मुख्यमंत्री चंपाई सोरने ये भी वर्तमान भाजपा में हैंें। परिषद में तीन विधायक जो पहली बार चुनकर विधानसभा पहुंचे हैं मनोहरपुर से जगत मांझी, खूंटी से राम सूरर्य मुंण्डा एवं तोरपा से सुदीप गुंडिया को भी शामिल किया गया है। साथ ही जेएमएम के वरिष्ठ नेता प्रो0 स्टीफन मरांडी, भाजपा के शासनकाल में महिला एवं बाल विकास मंत्री रही लुईस मरांडी वर्तमान मे ंजेएमएम, संजीव सरदार, सोनाराम सिंकु, श्री राजेश कच्छप, दशरथ गगराई, जिगा सुसारन होरो, नमन विकसल कोनगाडी, रामचंद्र सिहं है। दो मनोनित सदस्य रांची के नाराण उरांव और पांटका के गोसाई मार्डी हैं। परिषद के सभी नवनिर्वाचित सदस्यों को शुभकामना और बधाई देते हैं कि राज्य के अनुसूचित जनजातियों समुदाय के हित रक्षक बन कर उनकी आकांक्षाओं में खरा उतरेगें जिस उम्मीद से अबुआ सरकार बनाने का काम किये हैं।
अदिवासी सलहाकर परिषद एक मिनी एसेंबेली है। संविधान में जनजातीय सलाहकार परिषद का काम बहुत ही व्यापक एवं महत्वपूर्ण है। जिसमें विकास योजनाओं के पर्यवेक्षण, नीति निधारण करना भी है। इसके साथ ही अनुसूचित क्षेत्रों में प्रभावी शासन के लिए भी जिम्मेदार है। जनजातीय मामलों में कोई भी मुददा परिषद में विचार के लिए आता है-तब उस पर परिषद सुझाव देगा । जनजतीय सलाहकार परिषद का दायित्व बनता है कि ऐसे सभी मामलों में जो राज्य अनुसूचित जनजातियों के कल्याण और उन्नति से संबंधित जानकारी राज्यपाल को भेजेंगे तथा जब तक राज्यपाल जनजातीय परिषद से विचार-विमार्ष न कर लें, वह किसी भी प्रकार का विनियम बनाने को सक्षम नहीं होगें।
जनजातिय सलहाकार परिषद का गठन भारतीय सवंधिान की पांचवी अनुसूचि के तहत किया जाता है और इसके अध्यक्ष और सदस्यों की नियुक्ति की शक्तियां राज्यपाल के पास था। राज्य में 2019 में महागठबंधन की सरकार बनी। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने जनजातिय सहलाकर परिषद के गठन की प्रक्रिया के लिए नये कानून बनाये। इस नये कानून के तहत अब परिषद के सदस्यों का चुनाव का अधिकार राज्यपाल के अधिकार क्षेत्र से बाहर कर दिया गया है । इसी नये नियमावली के तहत वर्तमान में भी परिषद सदस्यों का चयन किया गया है।
2000 में झारखंड अलग राज्य का पूर्नगठन हुआ है। अब राज्य ने 24 साल का सफर पूरा कर लिया है। राज्य में अभी तक 14 मुख्यमंत्रियों ने राज्य को संभालने का काम कर चुके हैं। नियमता हर विधानसभा के कार्यकाल में जनतातिय सलहाकर परिषद का गठन होता है। इसके तहत बहुत सारे विधायकों के साथ मनोनित सदस्यों को भी अनुसूचित जनजातियों के कल्याण एवं विकास, उनकी उन्नति के लिए अपना कार्यकाल पूरा कर चुके हैं। झारखंड का दुरभग्या है कि आज भी हम कहते हैं कि जिन उम्मीदों को लेकर अलग राज्य के गठन के लिए संधर्ष किया गया था-वह सपना या उद्वेश्य पूरा नहीं हो सका है।
आज अबुआ सरकार की जिम्मेवारी है कि अलग राज्य के सपनों में जान डालने की। 2024 में देश में लोक सभा चुनाव हुआ। झारखंड के अनुसूचित क्षेत्र /आदिवासी आरक्षित सीटों में 5 लोकसभा सीट को भारी बतों से जिताकर इंण्डिया गठबंधन को आदिवासी समुदाय ने दिया है। इसी तरह झारखंड विधानसभी चुनाव 2024 में भी 28 आदिवासी आरक्षित सीटों में 26 सीट जनजातियों ने जीत दर्ज कर इंण्डिया गठबंधन को दिया है। खूंटी विधान सभा 25 सालों से भाजपा ने कब्जा जमा रखा था,। इंण्डिया गठबंधन समर्थकों ने भाजपा का 25 साल का खूंटा उखाड़ फेंका है। तोरपा विधानसभा भी भाजपा के हाथ में था। इसे भी निकालकर इंण्डिया गठबंधन को सौंपा गया।
झारखंड आदिवासी किसाना समुदाय चारों ओर कई समस्याओं से घिरा हुआ है। जमीन-जंगल लूट का मामला चरम पर है। ऑनलाइन जमीन को लूट का समस्या 2016 के बाद आदिवासी समुदाय को त्रास्त कर दिया है। प्रत्येक गांव में 80 प्रतिशत किसानों का जमीन ऑनलाइन गायब हो रहा है। लगान रसीद नहीं कटा रहा है। विस्थापन और पलायन तेजी से हो रहा है। आदिवासी समुदाय के जल-जंगल-जमीन की रक्षा के लिए सीएनटी, एसपीटी एक्ट, पांचवी अनुसूचि के तमाम अधिकार हैं। 5वीं अनुसूचि में पेसा कानून 1996 में पास हुआ है लेकिन इसे भी कड़ाई से लागू नहीं किया जा रहा है लेकिन इसे कडाई से लागू नहीं किया जा रहा है। विकास योजनाओं में भारी भ्रष्टाचारी है। किसी भी विकास योजना का सही लाभ समुदाय को नहीं मिल पा रहा है। एैसी स्थिति में ट्राइबल एडवाईजरी काउंसिल के साथ हमारी अबुआ सरकार की जिम्मेवारी बनती है आदिवासी समुदाय को न्याय देने का।
Thursday, February 27, 2025
अडानी छति पूर्ति वन रोपण के नाम पर झारखंड के 6 जिलों में पांव रख कर झारखंड में अपना साम्रज्य स्थापित करना चाहता है। जिस तरह स छतिसगढ के हंसदेव से आदिवासी मूलवासी किसानों को पूरा तरह उजाड रहा है।
हजारीबाग के बड़कागांव ब्लॉक के पांच गांवों गोन्दलपारा, गाली, बलादार, हाहे और फूलंगा के ग्रामीणों की बहुफसली कृषि भूमि सहित जंगल और सामुदायिक भूमि को गलत तरीके से मार्च 2021 में केंन्द्र की मोदी सरकार ने अड़ाणी कंपनी इंटरप्राईजेज लि0 को हस्तांत्रित कियां। इस क्षेत्र के ग्रामीण किसान लंबे समय से अपने जल-जंगल-जमीन की रक्षा के लिए संघर्ष करते आ रहे हैं। किसान किसी भी कीमत में अपने बहुफसली जमीन अड़ानी को कोयला खनन के लिए देना नहीं चाहते हैं। मोदी सरकार ने नीलामी प्रक्रिया द्वारा जमीन हस्तांत्रित किया है। इस नीलामी को खारिज करने और अपनी जमीन अड़ानी को नही ंदेने का संधर्ष जमीन मालिक और स्थानीय किसान 12 अप्रैल 2023 से गांेन्दलपोरा कोयला खदान के पास धरना शुरू किये जो 21 जनवरी 2025 को 641 दिन पूरे हो गये। अडानी समर्थकांे ने आंदोलनरत किसानों पर अब तक 21 अपराधिक केस दर्ज किया गया है।
जिसमें 331 महिला-पुरूषों को आरोपी बनाया गया है। किसान ठान लिये है कि किसी भी कीमत मे ंहम अपना जंगल-जमीन अड़ानी को नहीं देगें। ये पांचों गांव उन 214 कोयला खदानों के बीच है जिससे माननीय उच्चतम न्यायालय ने अपने एतिहासिक फैसला में इन खदानों को खारिज कर दिया था। ये कोयला खदानें पहले दमोदर वैली निगम के अतंर्गत था। अप्रैल 2021 में कोयला खदानों की नीलामी के तहत मोदी सरकार ने अड़ाणी इनटरप्राईजेज को सौंप दिया।
अडाणी की योजना है 1,268.08 एकड़ जमीन अधिग्रहण करने की। इसमें 551.59 एकड बहुफसली कृषि भूमि है। 542.75 एकड़ जमीन वन भूमि है। 173.74 एकड़ जमीन गैर मजरूआ आम और सामुदायिक भूमि है। अड़ानी हजारीबाग के बडकागांव के गोंदलपारा में पांव रख कर पूरे झारखंड में अपना अधिपत्य स्थापित करने की कोशिश कर रहा है। सर्वविदित है कि धान की फसल के लिए हजारीबाग का यह क्षत्र पहला स्थान रखता है। यही नहीं यह क्षेत्र उपजाउ एवं बहुफसली के साथ पर्यावरण का धनी इलाका है। यहां वनजीवियों का सुरक्षित कॉरिडोर भी है। पधान मुख्य वन संरक्षक वन्यप्राणी एवं मुख्य वन्यप्राणी प्रतिपालक झारखंड ने इस क्षेत्र के बारे लिखते है -प्रस्तावित वनभूमि एवं उसके आस-पास के क्षेत्र में विभिन्न वन्यप्राणियों का प्राकृतिक पर्यावास है। साथ ही इस क्षेत्र में जंगली हाथियों का भी आना-जाना होता है।
कोयला खनन परियोजना हेतु 219.80 हे0 वन भूमि अपयोजन याने क्षतिपूति के लिए अडानी इनटरप्राजेज ने झारखंड सरकार के वन र्प्यावरण एवं जनवायु परिवर्तन विभाग एवं वन प्रमंडल के पदाधिकारियों से 220.00 हे0 भूमि की मांग की थी। इन विभागों ने राज्य के 6 जिलों से जमीन देने की सहमति देते हुए जमीन का राजिस्ट्री भी अड़ानी के नाम पर कर दिया है।
सवाल है सीएनटी एक्ट, पांवची अनुसूचि और पेसा इलाके के गांवों की जमीन अड़ानी इनटरप्राईजेज जमीन कैसेे हस्तांत्रित किया गया। गांव का ग्राम सभाा ने अड़ानी इनटरप्राईजेज को जमीन देने की सहमति कैसे दे दी। यह जांच का विषय है। जिन गांवों की जमीन देने की बात वन विभाग कर रही है इसके बारे गांव का ग्राम सभा के साथ बैठक कर सहमति लिया गया है या नहीं। क्या गांव के ग्राम सभा और जमीन मालिकों को अंधेरे में रखकर वन विभाग ने जमीन अडानी को दे दिया। यह सभी जानते हैं कि जमीन अधग्रहण के मामले मे ंहमेशा जमीन मालिक और स्थानीय ग्राम सभा को धोखा दिया जाता हैैै।
गोंदुलपारा कोल खनन परियोजना हेतु क्षतिपूर्ती वन भूमि के लिए 219.80 हे0 जमीन झारखंड के छह जिलों के विभिनन गांवों का जमीन अड़ानी को अबुआ सरकार ने 220.04 हे0 जमीन बंदोबस्त कर दी है जो इस प्रकार है।
खूंटी जिला के तंबा गांव में 20.18 हे0। सुंदारी गांव में 10.08 हे0। खूंटी जिला के ही पुरनागाडी/रंगामाटी में 17.42 हे0 और तंबा में 18.02 हे0 दिया गया है।
पूर्वी सिंहभूम के 4 गांव का जमीन दिया गया है। जिसमें कुलवादिया गांव में -2.95 हे0। खारबंदा में 2.86 हे0। रघुनाथपुर में 14.39 हे0। राजाबासा में 3.08 हे0। रूपुसकुनरी में 3.47 हे0। बागडिहा में 17.55 हे।
गुमला जिला के टांगरजरिया में 2.29 हे दिया गया है।
सिमडेगा जिला के लिटीमारा में 20.67 हे0 दिया गया है।
पलामू के गिरि में 23.86 हे0 अड़ानी को दिया गया है।
लातेहार जिला के 5 गांवों अड़ानी इटरप्राजेज को जमीन दिया गया। इसमें मेधारी में 2 हे0। लुरगुमी खुरद में 2.45 हे0। बरदौनी कलान में 4.30 हे0 एंव दुरूप में 3.88 हे0 दिया गया है।
अडानी छति पूर्ति वन रोपण के नाम पर झारखंड के 6 जिलों में पांव रख कर झारखंड में अपना साम्रज्य स्थापित करना चाहता है। जिस तरह स छतिसगढ के हंसदेव से आदिवासी मूलवासी किसानों को पूरा तरह उजाड रहा है।
Wednesday, February 26, 2025
Saturday, July 27, 2024
झारखंड का बदलता डेमोग्राफी
झारखंड का बदलता डेमोग्राफी
अवैध मकान वैध किया गया...
1-राज्य के शहरी क्षंेत्रों में अवैध रूप संे निर्मित मकानों को नियमित करने के लिए रघुवर सरकार के समय नगर विकास व आवास विभाग ने नई नीति तैयार किया। जिसके तहत शहरी क्षेत्र में जो मकान नियामित नही थे, याने अवैध थे को बैध किया जायेगा। नीति तैयार करने के पूर्व ऐसे सभी मकानों का डाटा इकठा किया गया, जिसका नक्सा किसी सक्षम प्राधिकार से पास नहीं है, विभाग ने आम सूचना जारी कर लोगों से ऐसे मकानों का व्योरा मांगा, और उन सभी अवैध कमानों को बैध किया। रांची शहर में केवल 2.50 लाख ऐसे कमानों को बैध करने का काम किया। सूत्रों के अनुसार इसी क्रम में अवैध रूप से बसी काॅलोनियों को भी नियमित करने की नीति भी बनाये जाने की चर्चा थी। ं

